(प्रारम्भिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं सम्बंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises Scheme : PM-FME) के क्षमता निर्माण घटक के लिये मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम : प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। साथ ही उन्होंने 'एक ज़िला-एक उत्पाद' के जी.आई.एस. डिजिटल मानचित्र का भी शुभारम्भ किया।
- मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण का उद्देश्य इस योजना से जुड़े 8 लाख लोगों को लाभान्वित करना है। खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के साथ-साथ स्वयं-सहायता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों, श्रमिकों, अनुसूचित जनजाति समुदाय एवं अन्य हितधारकों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के क्षमता निर्माण घटक के अंतर्गत मास्टर ट्रेनरों को ऑनलाइन मोड, क्लासरूम लेक्चर, प्रदर्शन और ऑनलाइन पाठ्य सामग्री के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- चयनित उद्यमियों और समूहों को प्रशिक्षण एवं शोध सहायता प्रदान करने में सोनीपत स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) और तंजावुर स्थित भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, (IIFPT) राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के समन्वय से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- क्षमता निर्माण के तहत दिये जाने वाले प्रशिक्षण का मूल्यांकन और प्रमाणन खाद्य उद्योग क्षमता और कौशल पहल (FICSI) द्वारा किया जाएगा।
लाभ
- प्रशिक्षण एवं सहयोग से छोटे खाद्य उद्यमियों को स्थापित होने में सहायता मिलेगी और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा।
- एक जिला-एक उत्पाद योजना के डिजिटल मानचित्र के माध्यम से इस योजना से जुड़े सभी हितधारकों के उत्पादों की समग्र जानकारी एक साथ प्राप्त हो सकेगी।
- डिजिटल मैप में आदिवासी, एस.सी, एस.टी और आकांक्षी ज़िलों के लिये संकेतक भी हैं। यह हितधारकों को इसके मूल्य श्रृंखला विकास के लिये ठोस प्रयास करने में सक्षम बनाएगा।
- पी.एम-एफ.एम.ई. योजना आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के अनुरूप है और यह स्थानीयता के महत्त्व को रेखांकित करता है। इसी क्रम में भविष्य में स्थानीय उत्पादन, स्थानीय विपणन और स्थानीय आपूर्ति शृंखला के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- सूक्ष्म खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये क्षमता संवर्धन भी बहुत आवश्यक है। छोटे उद्यमियों के प्रोत्साहन में यह कदम एक सराहनीय पहल सिद्ध होगा।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PM-FME Scheme)
- आत्मनिर्भर भारत अभियान के अतंर्गत प्रारम्भ की गई ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में असंगठित रूप से कार्य कर रहे छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का निर्माण करना है।
- साथ ही इस क्षेत्र के उन्नयन को बढ़ावा देना और इससे जुड़े किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और सहकारी उत्पादक समितियों को उनकी सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिये सहायता भी प्रदान करना है।
- इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 से 2024-25 के मध्य 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को उन्नयन के लिये वित्तीय, तकनीकी एवं व्यापारिक सहयोग प्रदान करने के लिये 10 हजार करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान किया गया है।