(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र –3; बुनियादी ढाँचा ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि से सबंधित विषय )
संदर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा नई दिल्ली में ‘पी.एम. गतिशक्ति- मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ का शुभारंभ किया गया है। इसके माध्यम से सभी परियोजनाओं को एक साझा नज़रिये से तैयार और कार्यान्वित किया जाएगा। इससे लगभग 100 लाख करोड़ रुपए की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के विकास को गति मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु ‘पी.एम. गतिशक्ति पहल’ की शुरुआत की गई है। इससे अधिक समय लेने वाली अनुमोदन प्रक्रिया, नियामक मंज़ूरी की बहुलता आदि में सरलता आएगी।
- पी.एम.गतिशक्ति आगामी कनेक्टिविटी परियोजनाओं, व्यावसायिक केंद्रों, औद्योगिक क्षेत्रों और आसपास के वातावरण के संदर्भ में जनता व व्यावसायिक समुदायों को जानकारी प्रदान करेगी।
- पी.एम. गतिशक्ति के छह प्रमुख स्तंभ हैं-
- व्यापकता (Comprehensiveness)- इसमें एक केंद्रीकृत पोर्टल के साथ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सभी मौज़ूदा और नियोजित योजनाएँ शामिल होंगी।
- प्राथमिकता (Prioritization)– इसके माध्यम से विभिन्न विभाग अंतर्विभागीय- संपर्क के माध्यम से अपनी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में सक्षम होंगे।
- अनुकूलन (Optimization)– राष्ट्रीय मास्टर प्लान महत्त्वपूर्ण अंतराल की पहचान के बाद परियोजनाओं की योजना बनाने में विभिन्न मंत्रालयों की सहायता करेगा। यह योजना वस्तुओं एवं सेवाओं के परिवहन में समय और लागत में कमी लाएगी।
- तुल्यकालन (Synchronization)- पी.एम. गतिशक्ति पहल प्रत्येक विभाग की गतिविधियों के साथ-साथ शासन के विभिन्न सोपानों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
- विश्लेष्णात्मक (Analytical)- योजना जी.आई.एस. (Geographical Indication System) आधारित स्थानिक योजना और विभिन्न विश्लेषण उपकरणों के माध्यम से एक ही स्थान पर संपूर्ण डाटा प्रदान करेगी, जिससे निष्पादन एजेंसी को बेहतर दृश्यता प्राप्त होगी।
- गतिशीलता (Dynamic)- उपग्रह आधारित चित्रण के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर चल रही परियोजनाओं को पोर्टल पर अद्यतन किया जाएगा। फलत: सभी मंत्रालय और विभाग अब जी.आई.एस. प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतर्क्षेत्रीय परियोजनाओं की प्रगति की कल्पना, समीक्षा और निगरानी करने में सक्षम होंगे।
पी.एम. गतिशक्ति पहल की आवश्यकता क्यों?
- विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय के अभाव के कारण वृहद् परियोजनाओं के नियोजन एवं कार्यान्वयन में अंतराल विद्यमान है, क्योंकि विभिन्न विभाग प्राय: अलगाव की स्थिति में कार्य करते हैं।
- वर्ष 2019 में ज़ारी ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन परियोजना’ के विकास हेतु एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता थी।
- भारत की अर्थव्यवस्था वर्त्तमान में संक्रमण के दौर से गुजर रही है, ऐसे में आधारभूत अवसंरचना के माध्यम से ही इसमें बेहतर सुधार किया जा सकता है।
- इस पहल के माध्यम से न केवल रोज़गार तथा अवसंरचना सामग्री की मांग में बढ़ोतरी होगी, बल्कि उन्नत परिवहन मार्गों के माध्यम से लॉजिस्टिक लागत में भी कमी आएगी।
- अवसंरचना निर्माण में तेज़ी से अर्थव्यस्था पर गुणक प्रभाव पड़ता है। साथ ही, आर्थिक संकुंचन के समय यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- इस पहल के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी परियोजनाओं, जैसे- भारतमाला व सागरमाला को भी गति मिलेगी।
- पूर्व में किसी भी परियोजना के निर्माण से पूर्व विभिन्न विभागों से अनुमति लेनी पड़ती थी, जिससे परियोजना कार्य में विलंब होता था, परंतु अब इस पहल के माध्यम से सभी विभागों के एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध होने से समय की बचत होगी।
निष्कर्ष
भारत वर्तमान में विकास के संक्रमण के दौर से गुज़र रहा है, ऐसे में मज़बूत आधारभूत अवसंरचना के माध्यम से ही इसके विकास को गति दी जा सकती है और भारत को वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, पी.एम. गतिशक्ति पहल ‘मेक इन इंडिया’ योजना को सफल बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।