प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (पीएम पोषण) के अंतर्गत स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए सामग्री लागत में 9.5% की वृद्धि की गई है।
पीएम-पोषण के बारे में
- क्या है : इस केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 10.24 लाख सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बालवाटिका और कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले 11.70 करोड़ छात्रों को सभी स्कूली दिनों में एक बार गर्म पका हुआ भोजन परोसा जाता है।
- शुरुआत : सितंबर 2021 में सरकार ने इस योजना को मंजूरी दी। इसे पहले मिड-डे मील योजना के रूप में जाना जाता था।
- उद्देश्य : पोषण सहायता प्रदान करना और छात्रों की स्कूलों में भागीदारी बढ़ाना।
- नोडल मंत्रालय : शिक्षा मंत्रालय
- खाद्यान्न सामग्री : केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम के जरिए लगभग 26 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उपलब्ध कराती है और खाद्यान्न की 100% लागत वहन करती है।
- कार्यावधि : 2021-22 से 2025-26 तक
- बाल वाटिका : यहाँ प्री-स्कूल (या कक्षा 1 से पहले) के बच्चों के लिए गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
- तिथि भोजन () : यह एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम है जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्यौहारों पर बच्चों को विशेष भोजन उपलब्ध कराते हैं।
- आकांक्षी जिलों एवं एनीमिया के उच्च प्रसार वाले जिलों में बच्चों को पूरक पोषण वस्तुएँ उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
इसे भी जानिए!
- भारत में पहली बार वर्ष 1925 में मद्रास नगर निगम में वंचित बच्चों के लिए एक मध्याह्न भोजन कार्यक्रम शुरू किया गया था।
- प्राथमिक शिक्षा के लिए पोषण सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम (मिड-डे मील) 15 अगस्त, 1995 को एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य नामांकन, उपस्थिति एवं प्रतिधारण में सुधार के साथ-साथ बच्चों में पोषण स्तर को बढ़ाना था।
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