संदर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर में पब्लिक डाटा ऑफिस (PDO) के द्वारा सार्वजनिक रूप से वाई-फाई सेवा प्रदान करने के लिये ‘पी.एम. वाणी’ नामक एक वृहत नेटवर्क के प्रस्ताव के लिये दूरसंचार विभाग को मंज़ूरी दी है।
- ऐसा माना जा रहा है कि पी.एम. वाणी परियोजना वर्तमान समय में भारत में उभरते ई-डिवाइड को पाटने के लिये एक विकसित तथा विकेंद्रीकृत अवसंरचना के निर्माण में सक्षम होगी। ध्यातव्य है कि डिजिटल इण्डिया योजना (या विशेष रूप से भारत नेट) अब तक अपेक्षानुसार सफल साबित नहीं हो पाई है।
प्रमुख बिंदु
- "पी.एम. वाणी" (Prime Minister Wi-Fi Access Interface - PM WANI) परियोजना को भारत में वाई-फाई के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है।
- इस परियोजना के तहत सम्पूर्ण देश में वृहत स्तर पर डाटा सेंटर तथा पब्लिक डाटा ऑफिस (PDO) खोले जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि पब्लिक डाटा ऑफिस के लिये न तो लाइसेंस की ज़रुरत होगी और न ही पंजीकरण की। इसके अलावा, इन पर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लगेगा।
- इसके तहत स्थानीय किराना दुकानों तथा गली-मोहल्ले की दुकानों पर भी सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क या ‘एक्सेस पॉइंट’ लगाए जा सकेंगे।
- पी.डी.ओ. के प्राधिकार और अकाउंटिंग के लिये पब्लिक डाटा एग्रीगेटर (PDA) नियुक्त किये जाएंगे।
- यह एक थ्री टियर परियोजना (पब्लिक डाटा ऑफिस, पब्लिक डाटा एग्रिगेटर एवं पी.एम. वाणी ऐप) है।
- इस परियोजना के अमल में आने पर भारत, अमेरिका, कनाडा, स्विट्ज़रलैंड और सिंगापुर जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहाँ आम नागरिकों के लिये व्यापक स्तर पर वाई-फाई नेटवर्क स्थापित किया गया है।
- हाल ही में, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि यदि सही दिशा में प्रयास किये गए तो वर्ष 2025 तक भारत डिजिटल तकनीकों के उपयोग से 1 ट्रिलियन डॉलर का राजस्व अर्जित कर सकता है।
- पी.एम. वाणी को उमंग ऐप के समान ही वृहत रूप से उपयोगी माना जा रहा है, जिसके द्वारा लगभग 2084 सेवाओं व 194 सरकारी विभागों तक आम लोगों की पहुँच सुनिश्चित हुई है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- ट्राई के हालिया आँकड़ों के अनुसार वर्तमान में लगभग 54% भारतीयों तक इंटरनेट की पहुँच है, किंतु 75वें दौर के एन.एस.ओ. के सर्वेक्षण के अनुसार केवल 20% भारतीय जनता ही इंटरनेट का भलीभाँति प्रयोग कर पाने में सक्षम है। अतः शुरुआत में पी.एम. वाणी के प्रसार में मुश्किलें आ सकती हैं।
- भारत में जनसंख्या घनत्व ऐसे देशों से ज़्यादा है, जो सार्वजनिक स्तर पर वाई-फाई की सुविधा दे रहे हैं। अतः वृहत जनसंख्या तक पी.एम. वाणी के विस्तार में अवसंरचनागत बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- भारत में भौगोलिक विषमता भी एक प्रमुख चुनौती है। पहाड़ी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में उचित नेटवर्क का न होना अभी भी प्रमुख समस्या बना हुआ है।
सम्भावनाएँ
- इंडिया इंटरनेट-2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के समान ही इंटरनेट की पहुँच है, बल्कि ग्रामीण भारत में लगभग दोगुने उपभोक्ता हैं, यद्यपि यहाँ इंटरनेट का उपयोग अधिक नहीं होता। अतः यदि प्रयास किये जाएँ तो दोनों ही क्षेत्रों में पी.एम. वाणी के द्वारा इंटरनेट की पहुँच बढ़ाई जा सकती है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार लगभग 99% भारतीय मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जिनमें से लगभग 88% 4G नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। इस वजह से आम 4G सेवा प्रदाताओं पर भार बढ़ता जा रहा है, पी.एम वाणी इस भार को कम करने में सहायक है।
आगे की राह
पी.एम. वाणी परियोजना को भारत के डिजिटल क्षेत्र में एक गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा है, जो न सिर्फ भारत को डिजिटली सशक्त बनाने में सहायक होगी बल्कि इसके द्वारा देशभर में सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं का बड़ा नेटवर्क तैयार करने में भी सहायता मिलेगी, जिससे देश में रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे। हालाँकि भारत को पूर्व में लॉन्च की गई उन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जो बड़े स्तर पर लागू किये जाने के बाद भी प्रभावशाली साबित नहीं हो पाईं।