प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिकी (The Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO), 2012) |
चर्चा में क्यों-
दिसंबर 2022 में, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कानून निर्माताओं से यौन गतिविधियों में शामिल होने वाले किशोरों के अपराधीकरण पर "बढ़ती चिंता" पर गौर करने को कहा। अध्ययन के बाद आयोग सहमत नहीं हुआ है कि POCSO अधिनियम के तहत सहमति की न्यूनतम उम्र (18 वर्ष) को कम किया जाए।
परिचय-
The Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO), 2012
मुख्य बिंदु-
आयोग का फैसला प्रभावित होने के कारण-
1. महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने का प्रस्ताव और POCSO कानून के बीच विसंगति-
दिसंबर 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पुरुषों के बराबर लाने के लिए महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है आयु बढ़ाने के कारण कम उम्र में गर्भधारण के जोखिम और हतोत्साहित होता महिला सशक्तिकरण, लिंग शैक्षणिक अन्तराल आदि है। यौन सहमति की न्यूनतम उम्र कम करना विरोधाभाषी प्रतीत होता है।
2. मुस्लिम पर्सनल लॉ और POCSO कानून के बीच विसंगति-
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत लड़कियों की शादी युवावस्था में हो सकती है, जिसे 15 साल के बाद की उम्र में माना जाता है। सहमति की उम्र कम करने से बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा।
सहमति की आयु न्यूनतम करने से बाल विवाह को बढ़ावा मिल सकता है। हालाँकि जागरूकता के उपायों की सिफारिश करना बेहतर विकल्प हो सकता है। जिसमें यौन शिक्षा को अनिवार्य बनाना और स्कूलों में POCSO अधिनियम के तहत सहमति की मूल बातें पढ़ाना शामिल हो।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? (a) केवल एक (b) केवल दो (c) सभी तीन (d) कोई भी नहीं उत्तर : (c) मुख्य परीक्षा प्रश्न: यौन गतिविधियों में शामिल होने वाले किशोरों के अपराधीकरण पर "बढ़ती चिंता" के समाधान के लिए यौन सहमति की आयु 18 वर्ष से कम कर देनी चाहिए। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। |
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