हाल ही में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सिंचाई विभाग को पोलावरम परियोजना के निर्माण से तेलंगाना पर पड़ने वाले प्रभाव पर आई.आई.टी. हैदराबाद की मदद से एक रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है। पोलावरम परियोजना के कारण वर्ष 2022 में तेलंगाना का भद्राचलम शहर 27 लाख क्यूसेक पानी की बाढ़ के कारण जलमग्न हो गया था।
पोलावरम परियोजना के बारे में
- क्या है : पोलावरम परियोजना आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले और पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर एक निर्माणाधीन बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है।
- राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा : इस परियोजना को केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया।
- निर्माण क्रम : जुलाई 1941 में मद्रास प्रेसीडेंसी के सिंचाई विभाग में तत्कालीन मुख्य अभियंता दीवान बहादुर एल. वेंकटकृष्ण अय्यर ने परियोजना स्थल का पहला सर्वेक्षण किया और पोलावरम में एक जलाशय के लिए एक निश्चित प्रस्ताव दिया था।
- वर्ष 1980 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री तंगुतुरी अंजैया ने पोलावरम सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी।
- वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने 8,261 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ भूमि पूजन किया।
- वर्तमान सिंचाई क्षमता : 2.91 लाख हेक्टेयर भूमि
- संभावित सकल सिंचाई क्षमता : 4.36 लाख हेक्टेयर
- नहर निर्माण : पोलावरम परियोजना से पश्चिम एवं पूर्वी दिशाओं में दो नहरों का निर्माण किया गया है।
- जल विद्युत् उत्पादन क्षमता : 960 मेगावाट
- पेयजल आपूर्ति : 611 गाँवों की 28.50 लाख की आबादी को 23.44 टी.एम.सी. (हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट) पेयजल आपूर्ति
- पोलावरम बांध की अधिकतम ऊंचाई : 48 मीटर निर्धारित
- अंतरराज्यीय समझौता : वर्ष 1978 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के मध्य इस परियोजना के उपभोग के लिए समझौता किया गया था।