चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे भूमि के पट्टे के लिये संशोधित नीति को मंजूरी दी।
नवीन नीति
- संशोधित नीति कार्गो उपयोग के लिये ऐसी भूमि को कम लागत पर लंबी अवधि के लिये पट्टे पर उपलब्ध कराएगी।
- नई नीति के अनुसार ऐसी भूमि को पट्टे पर दिया जा सकता है-
- कार्गो से संबंधित गतिविधियों के उद्देश्य से 35 वर्ष के लिये
- पूर्व में पाँच वर्ष की अवधि के लिये दिया जाता था।
- प्रति वर्ष भूमि के बाजार मूल्य के 1.5% पर
- पूर्व में बाज़ार मूल्य के 6% पर दिया जाता था।
- इसके लिये एक व्यापक नीति दस्तावेज तैयार किया जाएगा और 90 दिनों के भीतर लागू किया जाएगा।
लाभ
रेलवे
- इससे बुनियादी ढांचे और अधिक कार्गो टर्मिनलों के एकीकृत विकास की उम्मीद है जिससे रेलवे के राजस्व में सुधार होगा।
- इससे रेलवे को अधिक कार्गो आकर्षित करने में मदद मिलेगी और माल ढुलाई में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी जिससे उद्योग की रसद लागत कम होगी।
बुनियादी ढाँचा में सुधार
- यह नीति रेलवे के भूमि उपयोग और सार्वजनिक सेवा उपयोगिताओं के एकीकृत विकास के को सरल बनाती है। सार्वजनिक सेवा में बिजली, गैस, जलापूर्ति, सीवेज निपटान, शहरी परिवहन आदि शामिल है।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और अन्य छोटे व्यास वाली भूमिगत उपयोगिताओं के लिये रेलवे पटरियों को पार करने के लिए ₹1,000 का एकमुश्त शुल्क लिया जाएगा।
- यह नीति कम लागत पर सौर संयंत्र स्थापित करने के लिये भी रेलवे भूमि प्रदान करती है। साथ ही, ₹1 प्रति मीटर2 के वार्षिक शुल्क पर सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहित करती है।
अन्य लाभ
- कार्गो टर्मिनलों के लिये रेलवे भूमि का उपयोग करने वाली मौजूदा संस्थाओं के पास नई नीति व्यवस्था पर स्विच करने का विकल्प होगा।
- इसके माध्यम से वर्ष 2019 में घोषित कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में 30.8% के विनिवेश की योजना को भी गति मिलेगी।