संदर्भ
हाल ही में, पोंग डैम के आस-पास के क्षेत्र में लगभग 1,400 से अधिक प्रवासी पक्षी मृत पाए गए।
प्रमुख बिंदु
- मृत पक्षियों में बार हेडेड गूज़, ब्लैक हेडेड गुल, रिवर टर्न, कॉमन टील और शॉवलर शामिल हैं। धामेटा एवं नगरोटा सहित अभयारण्य के विभिन्न हिस्सों में ये पक्षी मृत पाए गए। हालाँकि प्रवासी पक्षियों की मौत का कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है।
- मौत के कारण का पता लगाने के लिये रीजनल डिज़ीज़ डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (जालंधर), इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (बरेली), वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (देहरादून) तथा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग प्रयोगशाला (भोपाल) में परीक्षण हेतु पक्षियों के शव से लिये गए नमूने भेजे गए हैं।
- विदित है कि नवंबर 2019 में, राजस्थान की सांभर झील में एवियन बोटुलिज़्म (जीवाणु रोग) के कारण 18,000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मृत्यु हो गई थी।
पोंग डैम
- पोंग डैम या झील एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है। इसका निर्माण हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले की शिवालिक पहाड़ियों की आर्द्रभूमि में ब्यास नदी पर किया गया है। इसे ब्यास झील भी कहते हैं।
- इसका निर्माण वर्ष 1975 में महाराणा प्रताप के सम्मान में किया गया था, जिस कारण इसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है।
- 15 दिसंबर, 2020 को हुई जनगणना में यहाँ लगभग 57,000 प्रवासी पक्षी दर्ज किये गए थे, जिनमें हेडेड गूज़, ब्लैक हेडेड गुल, रिवर टर्न, कॉमन टील, शॉवलर, व्हॉपर स्वान, इंडियन स्किमर और व्हाइट रंप्ड वल्चर शामिल हैं।
- यह भरतपुर अभयारण्य के बाद देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ प्रत्येक वर्ष लाल गर्दन वाले ग्रेब (grebe) आते हैं।
- पोंग डैम सबसे महत्त्वपूर्ण मछली जलाशय है। इसमें राजसी मछली (Majestic Fish) अधिक मात्रा में पाई जाती है।
- ध्यातव्य है कि पोंग आर्द्रभूमि को वर्ष 2002 में रामसर साइट घोषित किया गया था।