प्रारम्भिक परीक्षा – पोंगल उत्सव मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ
चेन्नई में छात्रों ने 10 जनवरी 2024 को तमिलनाडु के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यक्रम पोंगल उत्सव की शुरुआत की।
पोंगल उत्सव:-
- सूर्य के उत्तरायण होने पर उत्तर भारत में मकर संक्रांति या खिचड़ी मनाई जाती है। वहीं दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व मनाया जाता है।
- इस त्योहार को प्रत्येक वर्ष 15-18 जनवरी के मध्य मनाया जाता है।
- पोंगल दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है।
- दक्षिण भारत में फसल काटने के बाद लोग अपनी प्रसन्नता को प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं।
- इस दिन लोग समृद्धि लाने के लिए वर्षा के देवता इंद्रदेव, सूर्य और खेतिहर पशुओं की पूजा करते हैं।
- यह त्योहार पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है। प्रत्येक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है।
- पोंगल का मुख्य त्योहार “थाई पोंगल” है। थाई पोंगल, चार दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है, जिसे संक्रान्ति के रूप में भी मनाया जाता है।
पोही :-
- पोंगल के पहले अमावस्या को लोग बुरी रीतियों का त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं, जिसे 'पोही' कहा जाता है।
- पोही का अर्थ - 'जाने वाली' होता है।
भोगी पोंगल :-
- पोंगल के पहले दिन बारिश के देवता इंद्र देव की पूजा की जाती है।
- इस पूजा को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन वर्षा के लिए इंद्र देव का आभार प्रकट करते हुए जीवन सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।
- इस दिन लोग अपने पुराने सामानों की होली जलाते हुए नाचते हैं।
थाई पोंगल :-
- पोंगल के दूसरे दिन को 'थाई पोंगल' या सूर्य पोंगल कहा जाता है।
- दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
- इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने के बाद सूर्य देव का आभार प्रकट किया जाता है।
- इस दिन एक खास तरह की खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल खीर कहा जाता है।
मट्टू पोंगल :-
- पोंगल के तीसरे दिन को 'मट्टू पोंगल' के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन को फसलों के उत्पादन में मदद करने वाले खेत, जानवरों को धन्यवाद देने के लिए पशुओं अर्थात गाय और बैलों को सजाया कर उनकी पूजा की जाती है।
- इसी दिन तमिलनाडु में जलीकट्टू नामक खेल का आयोजन किया जाता है।
- इस दिन मट्टू अर्थात बैल की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
जल्लीकट्टू (Jallikattu):-
- यह तमिलनाडु के ग्रामीण इलाक़ों में परंपरागत रूप से खेला जाने वाला 2000 साल पुराना खेल है।
- यह खेल तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक है।
- इस खेल में बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है।
- जानवरों की सुरक्षा करने वाली संस्था पेटा ने इस खेल पर सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
- अदालत ने वर्ष 2014 में इस खेल पर पाबंदी लगाने का फैसला सुनाया था।
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कन्नुम पोंगल:-
- पोंगल के चौथे और आखरी दिन को 'कन्नुम/कानू' के नाम से जाना जाता है।
- चौथे दिन को कन्या पोंगल के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन घरों को फूलों और पत्तों से सजाया जाता है। आंगन और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।
- इसके पश्चात् कन्या पूजन कर लोग एक-दूसरे को पोंगल की बधाइयां देते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- पोंगल उत्सव के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इस त्योहार को प्रत्येक वर्ष 15-18 जनवरी के मध्य मनाया जाता है।
- इस त्योहार को दक्षिण भारत में फसल काटने के बाद लोग अपनी प्रसन्नता को प्रकट करने के लिए मनाते हैं।
- इस दिन लोग समृद्धि लाने के लिए वर्षा के देवता इंद्रदेव, सूर्य और खेतिहर पशुओं की पूजा करते हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर - (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- पोंगल उत्सव तमिलनाडु की सामाजिक एवं सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है? विवेचना कीजिए।
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