(सामान्य अध्ययन प्रश्न-3; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।) |
संदर्भ
पंजाब के फाजिल्का और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में पोटाश के तीन खनन ब्लॉकों में बड़े खनिज भंडार की खोज की गई है।
पोटाश के बारे में
- पोटाश का अर्थ पोटेशियम युक्त खनिजों से है जो मुख्य रूप से उर्वरकों में उपयोग किए जाते हैं।
- 90% से अधिक पोटाश का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है और यह तीन प्राथमिक कृषि पोषक तत्वों नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (N,P,K) में से एक है।
- आधिकारिक इंडियन मिनिरल्स बुक 2021 के अनुसार, पौधों के स्वास्थ्य एवं पोषण को बढ़ावा देने के साथ-साथ फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए पोटाश का उपयोग सभी पौधों पर किया जा सकता है।
- सभी पोटाश उर्वरकों में पोटेशियम कई अलग-अलग रूपों में मौजूद होता है।
- इनमें सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) शामिल है।
- SOP एक प्रीमियम पोटाश उर्वरक है जिसमें क्लोराइड अनुपस्थित होता है जबकि MOP में क्लोराइड की कुछ मात्रा पाई जाती है।
- SOP का उपयोग मुख्य रूप से उच्च मूल्य वाली फसलों जैसे- पत्तेदार पौधों, फलों और सब्जियों पर किया जाता है जबकि MOP का उपयोग कार्बोहाइड्रेट-प्रकार की फसलों, जैसे गेहूं पर किया जाता है।
भारत में पोटाश के भंडार
- राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार वर्ष 2020 में कुल पोटाश संसाधन 23,091 मिलियन टन होने का अनुमान है।
- अकेले राजस्थान कुल संसाधनों में 89% का योगदान देता है।
- राजस्थान में, पोटाश भंडार मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी नागौर-गंगानगर बेसिन में पाए गए, जिसमें फाजिल्का और मुक्तसर की सीमा वाले गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले भी शामिल हैं।
- राजस्थान के बाद पंजाब दूसरा राज्य है जिसके पास पोटाश का महत्वपूर्ण भंडार है।
- पंजाब के पोटाश भंडार वाले तीन खनन ब्लॉक कबरवाला (मुक्तसर साहिब), शेरेवाला व रामसरा (फाजिल्का) और शेरगढ़ तथा दलमीर खेड़ा (फाजिल्का) हैं।