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प्रकृति 2025

कार्बन बाजार पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इसे प्रकृति 2025 (PRAKRITI 2025) नाम दिया गया है। 

प्रकृति 2025 के बारे में 

  • परिचय : यह कार्बन बाज़ार पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो वैश्विक कार्बन बाजार की वर्तमान प्रवृत्तियों, चुनौतियों एवं भविष्य की दिशाओं पर सार्थक चर्चा पर केंद्रित है। 
  • प्रकृति का अर्थ : परिवर्तनकारी पहलों को एकीकृत करने के लिए लचीलापन, जागरूकता, ज्ञान एवं संसाधनों को बढ़ावा देना (Promoting Resilience, Awareness, Knowledge, and Resources for Integrating Transformational Initiatives: PRAKRITI) 
  • आयोजक : प्रकृति 2025 का आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE), विद्युत मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। 
  • उद्देश्य : इसका उद्देश्य भारतीय कार्बन बाजार की कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं की गहन समझ प्रदान करना तथा वैश्विक कार्बन बाजार की गतिशीलता, अवसरों व चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
    • यह सम्मेलन दुनिया भर के विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, शोधकर्ताओं एवं व्यवसायियों को एक साथ लाता है। 
  • ज्ञान भागीदार : विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार संघ (IETA)
  • महत्व : यह सम्मेलन ज्ञान व विचारों का आदान-प्रदान करने, सहयोगात्मक समाधान तलाशने तथा कार्बन-मुक्ति और सतत विकास में तेजी लाने के लिए रणनीतियों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) के बारे में

  • स्थापना : ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत 1 मार्च, 2002 को 
  • उद्देश्य : अधिनियम की समग्र रूपरेखा के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करना 
  • मिशन : ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढांचे के भीतर स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर जोर देने वाली नीतियों व रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना 
  • कार्य : 
    • ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के बारे में जागरुकता पैदा करना और सूचना का प्रसार करना।
    • ऊर्जा के दक्ष उपयोग और इसके संरक्षण के लिए तकनीकों में कर्मियों व विशेषज्ञों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना 
    • ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में परामर्श सेवाओं को सुदृढ़ करना
    • अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना
    • परीक्षण एवं प्रमाणन प्रक्रियाओं का विकास करना तथा परीक्षण सुविधाओं को बढ़ावा देना
    • पायलट परियोजनाओं एवं निष्‍पादन परियोजनाओं को तैयार करना और उनके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाना
    • ऊर्जा दक्ष प्रक्रियाओं, उपकरणों और प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देना
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