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केरल में प्रागैतिहासिक शैलचित्रों की खोज

  • खोज के बारे में : केरल में चट्टान पर उकेरी गई 24 जोड़ी प्रागैतिहासिक पदचिह्न एवं एक मानव आकृति की पुरातात्विक खोज की गई है। यह रॉक-कट वास्तुकला का एक उदाहरण है। 
    • रॉक-कट वास्तुकला (Rock-Cut Architecture) शैल चित्र का एक प्रकार है जिसमें ठोस प्राकृतिक चट्टान पर नक्काशी करके संरचना का निर्माण किया जाता है।
  • खोज स्थल : केरल के कासरगोड जिले में मडिक्कई पंचायत के कन्हिरापोइल स्थान पर 
  • निर्माण काल : मेगालिथिक काल (2500 ईसा पूर्व से 200 ईस्वी तक)
  • सर्वप्रथम जानकारी : स्थानीय पुरातत्वविद् सतीसन कालियानम द्वारा

प्रमुख विशेषताएं 

  • लोहे के औजारों से बनाई गई रॉक-कट नक्काशी में 6 से 10 इंच के आकार के पैरों के निशान शामिल हैं जो बच्चों और वयस्कों दोनों के चित्रण को दर्शाते हैं। 
  • पैरों के निशान के अंत में एक मानव आकृति को जटिल रूप से उकेरा गया है जिसके चारों ओर 4 गोलाकार गड्ढे हैं।
  • पैरों के निशान मृत लोगों की आत्माओं के प्रतीक हैं और उन्हें सम्मान देने के लिए बनाए गए हैं। 
  • सभी पैरों के निशान पश्चिम दिशा की ओर संकेत कर रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि ये निशान देवी के हैं।

खोज का महत्त्व

  • 2,000 वर्ष पुरानी यह शैल चित्रकला मडिक्कई ग्राम और समग्र रूप से केरल के प्रारंभिक निवासियों के जीवन एवं कलात्मक अभिव्यक्तियों पर प्रकाश डालती है। 
  • यह खोज इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को पुष्ट करती है और क्षेत्र के प्राचीन अतीत में आगे के अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करती है।

prehistoric-rock-paintings

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