प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023, प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ-
- 21 दिसंबर, 2023 को लोकसभा ने औपनिवेशिक युग के कानून ‘प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867’ को निरस्त करते हुए ‘प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023’ पारित किया।
मुख्य बिंदु-
- पहले ही मानसून सत्र में यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो चुका है।
- यह विधेयक, गुलामी की मानसिकता को खत्म करने एवं नए भारत के लिए नए कानून लाने की दिशा में मोदी सरकार के एक और कदम को प्रतिबिंबित करता है।
- औपनिवेशिक युग के कानून को काफी हद तक अपराधमुक्त करने के प्रयास किए गए हैं।
- कुछ अपराधों के लिए पहले की तरह अपराध सिद्ध करने के बजाय वित्तीय दंड का प्रावधान किया गया है।
- भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक विश्वसनीय अपीलीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
- व्यवसाय शुरू करने में आसानी करते हुए स्वामित्व पंजीकरण प्रक्रिया, जिसमें कभी-कभी 2-3 साल लग जाते थे, अब 60 दिनों में पूरी की जाएगी।
- 1867 का कानून ब्रिटिश राज की विरासत थी।
- इसका उद्देश्य प्रेस एवं समाचार पत्रों और पुस्तकों के मुद्रकों और प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखना था।
- मुद्रकों और प्रकाशकों को विभिन्न अपराधों के लिए कारावास सहित भारी जुर्माना और दंड भी देना था।
विधेयक की विशेषता-
- इस कानून के अनुसार, में किसी भी कार्यालय में जाने की जरुरत नहीं है।
- ऑनलाइन प्रणाली के जरिए पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक आवंटन और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल एवं समकालिक बना दिया गया है।
- इससे प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को शीर्षक आवंटन और पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने में मदद मिलेगी।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रकाशकों, विशेषकर छोटे और मध्यम प्रकाशकों को अपना प्रकाशन शुरू करने में किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े।
- प्रकाशकों को अब जिला मजिस्ट्रेटों या स्थानीय अधिकारियों के पास संबंधित कंटेंट को प्रस्तुत करने और इस तरह के कंटेंट को प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
- प्रिंटिंग प्रेस को भी इस तरह की कोई कंटेंट प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी; इसके बजाय केवल एक सूचना ही पर्याप्त होगी।
- वर्तमान में इस पूरी प्रक्रिया में 8 चरण शामिल थे और इसमें काफी समय लगता था।
प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867-
- यह अधिनियम 1867 में ब्रिटिश भारत के दौरान लागू किया गया था।
- इस अधिनियम के अनुसार, पुस्तक के मुद्रक को संबंधित राज्य सरकार को पुस्तक की एक मानार्थ प्रति और केंद्र सरकार को एक या अधिक प्रतियां प्रदान करनी होंगी।
- इस अधिनियम को लागू करने का प्राथमिक उद्देश्य भारत में प्रसारित पुस्तकों का रिकॉर्ड बनाए रखना था।
- प्रत्येक राज्य सरकार आवश्यक ग्रंथ सूची विवरण सहित पुस्तकों की एक व्यापक सूची संकलित करने के लिए बाध्य थी।
- सभी सूचीबद्ध पुस्तकों को शामिल करने वाली इस सूची को हर तिमाही के अंत में प्रकाशित किया जाना था, जिससे पुस्तकालयों को पुस्तकों की मानार्थ प्रतियां प्राप्त करने और देश में सभी मुद्रित सामग्री का निर्बाध रिकॉर्ड बनाए रखने में सुविधा हो।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 में किसके अधीन एक विश्वसनीय अपीलीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है?
(a) भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष
(b) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) राष्ट्रपति
(d) प्रधानमंत्री
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 गुलामी की मानसिकता को खत्म करने एवं नए भारत के लिए नए कानून लाने की दिशा में सरकार के एक और कदम को प्रतिबिंबित करता है। मूल्यांकन कीजिए।
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