New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

महिलाओं पर आदर्श वज़न को प्राप्त करने का दबाव

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 1: महिला सशक्तीकरण और उनकी समस्या से संबंधित मुद्दे; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य संबंधी विषय से संबंधित मुद्दे )

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, आदर्श वज़न को बनाए रखना 21वीं सदी की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। यह चुनौतीनेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकोनॉमिक रिसर्च’ (National Bureau of Economic Research – NBER) द्वारा जारी किये गए वर्किंग पेपर के निष्कर्ष से संदर्भित है। 

एन.बी..आर. पेपर के मुख्य बिंदु 

  • इस अनुसंधान के अनुसार विवाहित युगल इस बात पर सहमत हैं कि पत्नी को स्वस्थ रखना पति की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है। 
  • किसी व्यक्ति के वज़न संबंधी स्वास्थ्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इस अनुसंधान में विवाहित जोड़ों के बीच आम सहमति को दिखाया गया है कि पत्नी का वज़न पति की तुलना में उनके जीवन की संतुष्टि के लिये अधिक मायने रखता है।
  • शोध-पत्र  में किसी व्यक्ति के मौद्रिक मूल्य के बराबर का अनुमान लगाने के लिये 'क्षतिपूर्ति आय भिन्नता' पद्धति का उपयोग किया गया 
  • बॉडी मास इंडेक्स (BMI) लंबाई वर्ग से अधिक वज़न का अनुपात, यानी इष्टतम वज़न का अनुमान लगाने के लिये विश्व स्तर पर स्वीकृत मापदंड है। 
  • डब्ल्यू.एच.. के अनुसार, 18.5 और 25 के बीच बी.एम.आई. वाले व्यक्ति को सामान्य वज़न वाला माना जाता है। 
  • शोध-पत्र यह भी दर्शाता है कि अधिक वज़न होने से महिलाओं में अधिक असंतोष पैदा होता है, जबकि पुरुष कम वज़न के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। वस्तुतः पुरुषों के अनुमान के मुताबिक, सामान्य वज़न की तुलना में अधिक वज़न होना जीवन की संतुष्टि के लिये अधिक लाभप्रद है।

शोध-पत्र के परिणाम 

  • हालाँकि, विवादास्पद परिणाम यह है कि पुरुष अपनी पत्नी के बी.एम.आई. के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो उनके स्वयं के बी.एम.आई. की तुलना में इष्टतम से ऊपर होता है। साथ ही, वे साथी के बी.एम.आई. में कमी को स्वयं से लगभग दो गुना अधिक महत्त्व देते हैं।
  • इसके विपरीत, औसत मूल्य पर महिलाएँ अपने बी.एम.आई. में पति की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक परिवर्तन करती हैं। 

मोटापे पर सामाजिक प्रतिकिया 

  • शरीर के इष्टतम वज़न के स्थापित मापदंडों से विचलन रोज़गार के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक परिणामों को प्रभावित करता है। 
  • विकसित देशों में हुए अध्ययनों में पाया गया है कि लिंग मापदंडों के अनुसार महिलाओं में पतले शरीर को, जबकि पुरुषों में बड़े मज़बूत शरीर को आदर्श माना जाता है। 

भारत की स्थिति 

  • भारत के मामले में, फोर्टिस हेल्थकेयर द्वारा 20 शहरों में 1,244 महिलाओं के बीच किये गए एक सर्वेक्षण में 84% महिलाओं ने महसूस किया कि वज़न की वजह से पुरुषों की तुलना में उन्हें अधिक शारीरिक शर्मिंदगी का अनुभव होता है। 90% महिलाओं ने महसूस किया कि फ़िल्म और टेलीविज़न शो बॉडी शेमिंग को बढ़ावा देते हैं। 
  • इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि लगभग 31% लोग अपनी शारीरिक बनावट के कारण दुनिया का सामना करने से बचते हैं।
  • शारीरिक छवि पर इस तरह के लिंग मापदंड समाज में इतनी मज़बूती से समाए हुए हैं कि अधिकांश लोगों को यह एहसास भी नहीं होता कि वे बॉडी शेमिंग में लिप्त हैं। 

निष्कर्ष 

  • ध्यातव्य है कि इतिहास में पिछला महीना महिलाओं के उत्थान के लिये उल्लेखनीय महत्त्व वाला है। 9 मई, 1960 को यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दुनिया की पहली व्यावसायिक रूप से निर्मित गर्भनिरोधक गोली को मंजूरी दी थी। 
  • कई अध्ययनों ने महिलाओं के लिये इस दवा को सामाजिक-आर्थिक परिणामों में सुधार में एक शक्ति के रूप में दिखाया है।
  • दुर्भाग्य से 60 वर्षोंके बाद भी महिलाओं द्वारा महसूस किये जाने वाले दबाव में बहुत कम बदलाव आया है। आज भी महिलाओं पर यह दबाव रहता है कि वे स्वास्थ्य के लिये नहीं, बल्कि सुंदर दिखने के लिये आदर्श वज़न को बनाए रखें।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR