New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

जी-7 समूह की मूल्य सीमा योजना 

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ 

हाल ही में, जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों ने रूस से तेल खरीद पर मूल्य सीमा (Price Cap) को अंतिम रूप देने और लागू करने की घोषणा की है।  

क्या है मूल्य सीमा 

  • यह विश्व स्तर पर रूसी मूल के कच्चे तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों के समुद्री परिवहन को सक्षम बनाने वाली उन सेवाओं या सुविधाओं का व्यापक निषेध करती है, जब तक कि उन्हें एक ‘मूल्य सीमा’ पर या उससे कम मूल्य पर नहीं खरीदा जाता है। 
  • हालाँकि, इस योजना में रूसी गैस के लिये मूल्य सीमा को शामिल नहीं किया गया है जिस पर यूरोप अत्यधिक निर्भर है।

मूल्य सीमा योजना के लिये प्रयास 

  • मूल्य सीमा योजना (Price Cap Plan) पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ-साथ बेलारूस द्वारा रूस का समर्थन करने के कारण प्रस्तावित प्रतिबंधों का नवीनतम रूप है।
  • गौरतलब है कि विगत कुछ समय से अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भारत, चीन एवं तुर्की सहित अन्य देशों से इस गठबंधन में शामिल होने अथवा मूल्य सीमा योजना का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया है।
  • तर्क है कि यह योजना रूस के सभी तेल खरीदारों के हित में है क्योंकि इससे उन्हें कम खरीद कीमतों का लाभ मिलेगा। 

मूल्य सीमा योजना का क्रियान्वयन 

  • इसके अंतर्गत रूस के तेल की खरीद तब तक नहीं की जाएगी जब तक उनकी कीमतों में निर्धारित मूल्य सीमा के अनुरूप कमी नहीं कर दी जाती है। 
  • इस योजना या गठबंधन का सदस्य न बनने वाले देश अथवा मूल्य सीमा से अधिक कीमतों पर रूस का तेल खरीदने वाले देशों की पहुँच गठबंधन देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं तक समाप्त हो जाएगी।
  • इन सेवाओं में शिपमेंट के लिये बीमा, मुद्रा भुगतान, पोत निकासी और अन्य सुविधाएँ आदि शामिल है।
  • मूल्य सीमा प्रस्ताव को अंतिम रूप नवंबर में बाली, इंडोनेशिया में होने वाली जी-20 समूह की बैठक में प्रदान किया जाएगा।
  • हालाँकि, इसे 5 दिसंबर से प्रभावी किये जाने की संभावना है।

मूल्य सीमा योजना का उद्देश्य

  • रूस पर तेल के विक्रय मूल्य को कम करने का दबाव बनाना
  • रूस से तेल आयत की मात्रा में कमी किये बिना तेल की कीमतों में कमी करके रूस की अर्थव्यस्था को हानि पहुँचाना
  • इससे यूक्रेन युद्ध के लिये रूस की वित्तपोषण क्षमता को कमज़ोर किया जा सकेगा।
  • वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना 

संभावित परिणाम 

  • यदि इसका क्रियान्वयन सफल हो जाता है तो रूस पर आर्थिक दबाव उत्पन्न होगा और विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में रूसी तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकेगा।
  • यदि रूस अपने तेल को नियमित कीमतों पर बेचने में सफल रहता है तो इससे पश्चिमी देशों पर ऊर्जा संसाधनों का दबाव बढेगा और तेल की कीमतें असामान्य रूप से बढ़ जाएँगी।

भारत की स्थिति 

  • भारत ने पूर्व में रूस पर आरोपित किये गए प्रतिबंधों की तुलना में भारत-रूस संबंधों ध्यान केंद्रित किया है। भारत द्वारा इन प्रतिबंधों में शामिल होने की संभावनाएं बहुत कम है। 
  • हालाँकि, पूर्व में अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत ने ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात कम कर दिया था या उसे रद्द कर दिया था।  
  • उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत और रूस के बीच तेल व्यापार में लगभग 50 गुना वृद्धि हुई है। 
  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी आर्थिक मंच में भारत-रूस ऊर्जा संबंधों को मज़बूत करने और तेल क्षेत्र में अधिक निवेश की इच्छा व्यक्त की है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR