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प्राथमिक डीलर विंडो

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बॅाण्ड हाउस के लिये ‘प्राथमिक डीलर’ नामक एक समर्पित विंडो की शुरुआत की है। विदित है कि बॅाण्ड हाउस एक प्रतिभूति फर्म होती है, जो बॅाण्ड बनाने, वितरण एवं व्यापार का कार्य करती है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस विंडो के माध्यम से बॅाण्ड हाउस, खुदरा प्रत्यक्ष प्लेटफ़ॉर्म से प्राप्त गैर- तरल प्रतिभूतियों (सरकारी प्रतिभूति) को तरल प्रतिभूतियों (नकदी) से बदल सकते हैं।
  • यह प्लेटफ़ॉर्म उन खुदरा निवेशकों के लिये उपयोगी है, जो म्यूचुअल फंड में निवेश किये बिना सीधे संप्रभु बॅाण्ड में निवेश करने के इच्छुक होते हैं।
  • इसके माध्यम से पूंजी बाज़ार को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि प्राथमिक डीलरों की खुदरा निवेश में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्राथमिक डीलर– यह कोई फर्म या व्यक्ति हो सकते हैं, जो दूसरों को पुनर्विक्रय करने के इरादे से सरकारी प्रतिभूतियों को सीधे सरकार से खरीदते हैं। इस प्रकार, ये सरकारी प्रतिभूतियों के बाज़ार-निर्माता के रूप में कार्य करते हैं। सरकार प्राथमिक डीलरों के व्यवहार एवं संख्या को विनियमित करने के लिये प्रवेश संबंधी शर्तें लगा सकती है।

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