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प्रधान मंत्री पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) विकास मिशन

प्रारंभिक परीक्षा – विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी)
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय 

सन्दर्भ 

  • वित्त मंत्री द्वारा 2023-24 के केंद्रीय बजट में देश भर में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की समग्र सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रधान मंत्री-पीवीटीजी विकास मिशन की घोषणा की गयी।
  • प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन 15,000 करोड़ रूपये के परिव्‍यय से शुरू किया जाएगा।
  • इस मिशन को 'रीचिंग द लास्ट माइल' के हिस्से के रूप में लॉन्च किया जाएगा, जो बजट में सूचीबद्ध सात सप्तऋषि प्राथमिकताओं में से एक है।
  • इस मिशन के अंतर्गत पीवीटीजी परिवारों को सुरक्षित आवास, स्‍वच्‍छ पेयजल शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य एवं पोषण,सड़क तथा दूरसंचार संपर्कता और संधारणीय आजीविका के  अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी।
  • इस मिशन से लगभग 3.5 लाख आदिवासियों को लाभ प्राप्त होगा।

पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह)

PVTG

  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को PVTG के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • ये मुख्यतः 18 राज्यों तथा अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में पाए जाते हैं। 
  • जनजातीय कार्य मंत्रालय इनके विकास से जुड़ी योजनाएँ कार्यान्वित करता है।
  • भारत सरकार PVTG की पहचान के लिए निम्नलिखित मानदंडों का पालन करती है -
    • प्रौद्योगिकी पूर्व-कृषि स्तर।
    • साक्षरता का निम्न स्तर।
    • आर्थिक पिछड़ापन।
    • घटती या स्थिर आबादी। 
  • वर्ष 1973 में ढेबर आयोग द्वारा सबसे कम विकसित जनजातियों को ‘आदिम जनजातीय समूह’ (Primitive Tribal Groups– PTGs) की एक अलग श्रेणी के रूप वर्गीकृत किया गया था।
  • वर्ष 1975 में भारत सरकार द्वारा कमज़ोर आदिवासी समूह (PTG) नामक एक पृथक श्रेणी बनायी गई तथा 52 ऐसे समूहों को अधिसूचित किया गया। 
    • वर्ष 1993 में 23 अन्य समूहों को PTG श्रेणी में सम्मिलित किया गया।
  • वर्ष 2006 में भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया था। 
  • देश में सूचीबद्ध PVTG समूहों की सबसे अधिक संख्या ओडिशा (13) में तथा इसके बाद आंध्र प्रदेश (12) में पाई जाती है। 
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