(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ, स्वास्थ्य)
संदर्भ
9 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के साथ ‘नि-क्षय मित्र’ पहल का शुभारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य वर्ष 2025 तक टी.बी. उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करना है।
प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान
- प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के हिस्से के रूप में टी.बी. रोगियों को किसी व्यक्ति, किसी प्रतिनिधियों या संस्थानों द्वारा गोद लिया जा सकता है।
- सामुदायिक समर्थन में संलग्न इन लोगों और संस्थानों को 'निक्षय मित्र' कहा जाएगा।
- देश में वर्तमान में उपचाररत 66% से अधिक टी.बी. रोगियों ने इस अभियान के तहत गोद लेने के लिये अपनी सहमति दी है।
- इस योजना के तहत व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन और कॉरपोरेट 1-3 वर्ष के लिये समर्थन देकर टी.बी. रोगियों को गोद ले सकते हैं।
- सामुदायिक समर्थन से रोगियों के लिये पोषण, अतिरिक्त उपचार में सहायता और उनके परिवार के लोगों के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रबंध करना शामिल है।
- टी.बी. रोगी के परिवार के सदस्यों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने से उनके परिवारों पर आर्थिक दबाव कम हो सकता है।
- इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य सभी टी.बी. रोगियों की पहचान करते हुए उन्हें आवश्यक नि:शुल्क उपचार सुलभ करना है।
नि-क्षय मित्र पहल
- प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के तहत नि-क्षय मित्र पहल का भी शुभारंभ किया गया है। इसका प्रमुख उद्देश्य टी.बी. के उपचार में अतिरिक्त नैदानिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करना है।
- साथ ही, उपचार में सहयोग के लिये निर्वाचित प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों को दाताओं के रूप प्रोत्साहित करना है।
- इसके लिये नि-क्षय 2.0 पोर्टल लांच किया गया है। डिजिटल पोर्टल नि-क्षय टी.बी. रोगियों को सामुदायिक सहायता के लिये एक मंच प्रदान करेगा।
- नि-क्षय पोर्टल में लगभग 13.5 लाख टी.बी. रोगी पंजीकृत हैं।
- इसमें से 8.9 लाख सक्रिय टी.बी. रोगियों ने गोद लेने के लिये अपनी सहमति दे दी है।
- उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में ‘नि-क्षय मित्र’ नामक पहल पहले से ही चल रही है।
पहल का उद्देश्य
- टी.बी. रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिये अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करना
- वर्ष 2025 तक टी.बी. को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों का लाभ उठाना
पहल का दायरा
- नि-क्षय मित्र उन सभी उपचाररत टी.बी. रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करेगा जिन्होंने इसके लिये सहमति प्रदान की है।
- केवल व्यक्तिगत नि-क्षय मित्र किसी दिए गए स्वास्थ्य सुविधा से रोगियों का चयन कर सकते हैं।
- अन्य नि-क्षय मित्रों को संपूर्ण भौगोलिक इकाई (ब्लॉक/शहरी वार्ड/जिले/राज्य) का चयन करना होता है।
- नि-क्षय मित्र द्वारा ऑन-ट्रीटमेंट टी.बी. के लिए प्रदान की जा सकने वाली अतिरिक्त सहायता का प्रकार-
- पोषण संबंधी सहायता
- निदान किए गए टी.बी. रोगियों के लिए अतिरिक्त जांच
- व्यावसायिक समर्थन
- अतिरिक्त एवं पूरक पोषक तत्व
- टी.बी. रोगी को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता की न्यूनतम अवधि एक वर्ष होगी।
पहल से लाभ
- इस पहल से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में समाज की सक्रिय भागीदारी बढ़ेगी।
- इस गतिविधि का उद्देश्य तपेदिक के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
- उपचार समर्थन में समुदायिक भागीदारी से इससे संबंधित मिथक को कम करने में मदद मिलेगी।
- अतिरिक्त सहायता टी.बी. मरीज के परिवार के आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च में कमी आएगी।
पोषण सहायता : फ़ूड बास्केट
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने पोषण सहायता के लिये राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR) के सहयोग से मासिक फूड बास्केट के लिये दो विकल्प तैयार किया है-
विकल्प-1
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क्रम
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खाद्य समूह
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व्यस्क के लिये
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बच्चों के लिये
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1.
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अनाज या बाजरा
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3 किग्रा.
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2 किग्रा.
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2.
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दाल
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1.5 किग्रा.
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1 किग्रा.
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3.
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वनस्पति तेल
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250 ग्राम
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150 ग्राम
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4.
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दूध पाउडर/ दूध
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1 किग्रा./6 लीटर
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750 ग्राम
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- मांसाहारी विकल्प में 30 अंडे इसके अतिरिक्त होंगे।
- दूध के स्थान पर नियत मात्रा में एफ्लाटॉक्सिन रहित मूंगफली का प्रयोग किया जा सकता है।
- स्थानीय स्तर पर स्वीकार्य भोजन के अनुसार फूड बास्केट को संशोधित किया जा सकता है।
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अन्य प्रमुख बिंदु
- टी.बी. की समाप्ति के लिये वैश्विक प्रतिबद्धता के रूप में वर्ष 2030 तक का समय निर्धारित किया गया है।
- भारत ने इसकी समाप्ति के लिये वर्ष 2025 तक का समय निर्धारित किया है।
- इस लक्ष्य को सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में ‘डेल्ही इंड टी.बी. सम्मलेन’ (Delhi End TB Summit) में प्रस्तुत किया था।
- दिसंबर 2022 तक 1,50,000 से अधिक आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- सितम्बर 2019 में राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान की शुरुआत की थी।
- गौरतलब है की भारत में टी.बी. उन्मूलन के लिये पहले से राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम
- इस कार्यक्रम को पूर्व में राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के रूप में जाना जाता था। इसका लक्ष्य भारत में टी.बी. के बोझ को सतत विकास लक्ष्यों से पांच वर्ष पूर्व (वर्ष 2025 तक) रणनीतिक रूप से कम करना है।
- वर्ष 2020 में संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम कर दिया गया था।
- यह 632 जिलों/रिपोर्टिंग इकाइयों में एक बिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच बना चुका है। टी.बी. उन्मूलन के लिये भारत सरकार की पंचवर्षीय राष्ट्रीय रणनीतिक योजनाओं को संचालित करने के लिये उत्तरदायी है।
- टी.बी. उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना मिशन मोड में शुरू की गई थी।
भारत में टी.बी. की स्थिति
- वर्ष 2021 में टी.बी. से संबंधित 21 लाख मामलों को अधिसूचित किया गया। भारत में प्रतिवर्ष 20-25 लाख टी.बी. के मामले सामने आते हैं और लगभग 4 लाख लोगों की इससे मृत्यु हो जाती है।
- उल्लेखनीय है कि देशभर में वर्ष 2018 से अब तक 65 लाख से अधिक टी.बी. मरीजों की पहचान की गयी जिनके इलाज के लिये सरकारी योजनाओं के तहत 1,707 करोड़ रुपए आबंटित किये जा चुके हैं।
- देश में लक्षद्वीप (UT) और बडगाम जिला (जम्मू-कश्मीर) टी.बी. मुक्त घोषित होने वाली पहली जगहें हैं।