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अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र : 3 – अंतरिक्ष)

संदर्भ

हाल ही में, अन्तरिक्ष विभाग एवं इसरो द्वारा अंतरिक्ष नीति के नए दिशानिर्देशों की घोषणा की गई। इससे भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को नई गतिशीलता मिलने की संभावना है।

मुख्य बिंदु

  • घोषित अंतरिक्ष नीति के दिशानिर्देशों के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में अपने केंद्र स्थापित करने और अंतरिक्ष क्षेत्र में सीधे विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है।
  • भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच साझेदारी से इस क्षेत्र में नए उपक्रमों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा। इन साझा उपक्रमों के तहत उपग्रहों के विकास में साझेदारी, अंतरिक्ष विज्ञान को एक नई दिशा दे सकती है।
  • ध्यातव्य है कि यदि विदेशी कंपनियों से साझेदारी नहीं होती है तो भी नए भारतीय स्टार्टअप और कंपनियाँ, अंतरिक्ष से संबंधित तकनीक और बुनियादी ढाँचे के विकास और व्यवसायीकरण में अपना योगदान दे सकेंगी।

अन्य बिंदु

  • निवेश के नए नियमों के अनुसार विदेशी कम्पनियों को इसरो द्वारा विकसित अन्तरिक्ष प्रक्षेपण और दूरमापी सेवाओं के प्रयोग की छूट होगी।
  • इन कंपनियों को दूरसंचार और दूरमापी सुविधाओं के लिये भूतल केंद्रों के निर्माण में भी शामिल किया जा सकेगा।
  • भारतीय दूरसंचार कंपनी एयरटेल, नार्वे-स्थित कांग्सबर्ग सैटेलाइट सर्विसेस (केसैट) के साथ साझेदारी की प्रक्रिया शुरू भी कर चुकी है।
  • केसैट दुनियाभर में भूतल केंद्रों के एक बड़े नेटवर्क का संचालन करती है। इसके ज़रिए यह डाउनलिंक सेवाएँ और हाई थ्रूपुट ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सेवाएँ मुहैया कराती है।
  • एयरटेल की वनवेब कंपनी में भी हिस्सेदारी है। वनवेब कंपनी पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाने वाले 648 उपग्रहों के एक समूह का निर्माण करने वाली है। यह दुनिया में छोटे उपग्रहों के सबसे बड़े समूहों में से एक होगा।
  • स्पष्ट है कि देशभर में भूतल केंद्रों की स्थापना के मकसद से वनवेब में एयरटेल की हिस्सेदारी और केसैट के साथ उसका समझौता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • देश के दूरदराज़ के वो भूभाग जिन्हें ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए नहीं जोड़ा जा सकता, उन्हें इस गठजोड़ से काफी फायदा पहुँचने की संभावना है।
  • यद्यपि विशेषज्ञों का मानना है कि सेना और उद्योग जगत के बीच सहयोग को मंज़ूरी देने वाले अंतरिक्ष विभाग के नए दिशानिर्देशों को और स्पष्ट किए जाने की ज़रूरत है।
  • संवेदनशीलता को देखते हुए रिमोट सेंसिंग, दूरसंचार और अंतरिक्ष से खींची जाने वाली तस्वीरों के मामलों में भारतीय सेना का न तो विदेशी कंपनियों से कोई गठजोड़ होगा और न ही इन संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी निवेश की मंज़ूरी दी जाएगी। राष्ट्रीय सुरक्षा हित को देखते हुए ऐसा करना ज़रूरी है।

वैश्विक स्थिति

  • चीन और अमेरिका अपनी सेनाओं की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यापारिक इस्तेमाल में अग्रणी हैं।
  • बीजिंग स्थित शिनवेई टेलीकॉम कंपनी और शिंघुआ यूनिवर्सिटी ने मिलकर सिमसैट उपग्रहों का एक जाल बिछाया है जिनकी संख्या आगे चलकर 300 तक पहुँच सकती है। इनके ज़रिए समुद्री जहाज़ों, मोबाइल उपभोक्ताओं, गाड़ियों और हवाई जहाज़ों को तेज़ रफ्तार वाली ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा, नैरोबैंड दूरसंचार और डेटा प्रोसेसिंग क्षमता उपलब्ध कराई जा सकती है।
  • चीन की एयरोस्पेस साइंस और टेक्नोल़ॉजी कॉरपोरेशन (सी.ए.एस.सी.) द्वारा विकसित और पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित 300 से भी ज़्यादा उपग्रहों वाले ‘होंग्यान महासमूह’ द्वारा चीन की फ़ौज और असैनिक उपभोक्ताओं तक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएँ मुहैया कराने में सफल रही है।
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