(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव)
चर्चा में क्यों?
01 जुलाई, 2020 को भारतीय रेलवे द्वारा निजी क्षेत्र के लिये 109 गंतव्यों पर 151 आधुनिक रेलों के परिचालन हेतु आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। यह प्रक्रिया दो चरणों में छह माह की अवधि में पूरी की जाएगी।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वर्तमान में भारत में आई.आर.सी.टी.सी. द्वारा तीन निजी रेलगाड़ियाँ (Private Train) चलाई जा रहीं हैं। लखनऊ से नई दिल्ली, अहमदाबाद से मुम्बई और वाराणसी से इंदौर (काशी-महाकाल एक्सप्रेस)|
- वर्ष 2018 में भारत में 68,443 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क था,जो विश्व का चौथा सबसे बड़ा (अमेरिका, चीन और रूस के बाद) रेलवे नेटवर्क है।
- वर्तमान में देश में 13,000 रेल चलाई जा रही हैं तथा माँग और आपूर्ति के बीच समानता लाने के लिये अतिरिक्त 7,000 रेलगाड़ी चलाए जाने का प्रस्ताव है।
- रेलवे द्वारा इन 151 रेलगाड़ियों से सम्बंधित परियोजनाओं को 35 वर्ष के लिये निजी कम्पनियों को सौंपा जाएगा।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2015 में रेलवे सुधारों पर बिबेक देवराय समिति ने रेलवे के उदारीकरण पर बल देते हुए कहा था कि भविष्य में बड़े शहरों के मध्य और अधिक यात्री रेलों की आवश्यकता होगी। सरकार के आँकड़ों के अनुसार भारतीय रेलवे को अगले 12 वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
- सब्सिडी के ज़रिये सस्ती यात्रा की व्यवस्था हमेशा से भारतीय रेलवे की पहचान रही है। रेलवे के परिचालन में सरकार का प्राथमिक उद्देश्य सार्वजानिक कल्याण है, जिसके कारण समय के साथ रेलवे की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
- रेलवे के निजीकरण में तेजस रेलों का उदहारण दिया जाता है। तेजस का परिचालन इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टिकटिंग कारपोरेशन अर्थात आई.आर.सी.टी.सी. द्वारा किया जाता है, जोकि भारतीय रेलवे की एक सहायक कम्पनी है। ऑनलाइन टिकट बिक्री में यह संस्था काफी सफल रही जबकि खान-पान से सम्बंधित सेवाओं को लेकर इसकी निरंतर आलोचना होती रही है।
रेलवे के निजीकरण का महत्त्व
- रेलवे के निजीकरण से सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ लोगों को एक बेहतर यात्रा अनुभव प्राप्त हो सकेगा।
- निजी क्षेत्र की सहभागिता से रेलवे के नेटवर्क में और अधिक तथा तीव्रता के साथ विस्तार हो सकेगा।
- रेलवे का तर्क है कि निजीकरण की परियोजनाओं से रेलवे में नई एवं आधुनिक तकनीक आएगी, मरम्मत का खर्च घटेगा, यात्रा का समय कम होगा तथा नौकरियाँ बढ़ने के साथ-साथ सुरक्षा बढ़ेंगी और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधा प्राप्त होंगी।
- रेलवे में निजी क्षेत्र को साझीदार बनाने से लगभग 30000 करोड़ के निवेश की सम्भावना है।
- रेलवे में निवेश के महत्त्व को इस आकलन से समझा जा सकता है कि रेल क्षेत्र में 1 रुपए के निवेश से अन्य क्षेत्रों में 2.5 रुपए का आउटपुट प्राप्त होता है।
- बिबेक देवरॉय समीति ने यह अवलोकन किया था कि सुगम और गुणवत्तापूर्ण सुविधा के लिये यात्री अधिक किराया देने की इच्छा रखते हैं।
- सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण से रेलवे की अचल सम्पत्तियों (Fixed Assets) का मोनेटाईज़ेशन सम्भव हो सकेगा।
रेलवे के निजीकरण की चुनौतियाँ
- रेलवे एक अत्यधिक विस्तृत उद्योग है, इतनी कम संख्या में रेलों का परिचालन निजी क्षेत्र को सौंपे जाने से निकट भविष्य में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
- रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता (Employer) है तथा इसके निजीकरण से बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियाँ समाप्त हो जाएँगी तथा 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचरियों को सेवानिवृत्ति का ऑफर दिया जाएगा। रेलवे में इनकी संख्या लगभग 3 लाख है।
- निजी क्षेत्र हमेशा लाभ के लिये कार्य करता है, जन सेवा-भाव या जनकल्याण इनकी प्राथमिकताओं में शामिल नहीं होता है।
- निजी क्षेत्र द्वारा संचालित रेलों का किराया सरकार द्वारा चलाई जा रही रेलों से अधिक होता है, जोकि ग्रामीण क्षेत्र के तथा मध्यम वर्ग के लोगों पर अधिक आर्थिक बोझ के रूप में सामने आएगा।
- रेलवे के निजीकरण से सेवाओं की गुणवत्ता के बेहतर होने के साथ ही किराये में भी वृद्धि निश्चित है, जिससे एक नई प्रकार की आर्थिक असमानता में वृद्धि होगी।
आगे की राह
- रेलवे के निजीकरण के साथ ही एक स्वायत्त नियामक की स्थापना की जानी चाहिये, जिससे निजी तथा सार्वजानिक दोनों क्षेत्रों को समान रूप से परिचालन में स्वतंत्रता प्राप्त हो सके।
- रेलवे में सुविधा बढाने, गाँव और देश के विभिन्न हिस्सों को रेल सम्पर्क से जोड़ने के लिये बड़े स्तर पर निवेश को प्रोत्सहित किया जाना आवश्यक है।