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बुनियादी ढाँचा परियोजना क्रियान्वयन में समस्या

(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

बिहार में निर्माणाधीन पुलों के ढहने की कई घटनाओं की रिपोर्ट ने भारत में बुनियादी ढाँचे में गुणवत्ता नियंत्रण एवं परियोजना कार्यान्वयन के मुद्दों की समस्या को उजागर किया है।

भारत में बुनियादी ढाँचा क्षेत्र

  • बुनियादी ढाँचा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालकों (कारकों) में से एक रहा है। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सरकार का लक्ष्य इसके बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में सुधार से जुड़ा हुआ है।
  • भारत के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और स्मार्ट सिटीज मिशन जैसे कई पहलें शुरू की गई हैं।

पीएम-गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान

  • पीएम-गति शक्ति के तहत सभी हितधारकों को एकीकृत मंच पर लाने के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान शुरू किया गया है।
  • इस पहल ने प्रस्तावित लक्ष्यों को समय-सीमा के भीतर प्राप्त करने के लिए सभी विभागों के लिए मानक निर्धारित किए हैं।
  • पीएम गति शक्ति को भौगोलिक सूचना तंत्र-आधारित संसाधन पोर्टल के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वास्तविक समय की प्रगति की निगरानी करना है।
    • यह राष्ट्रीय मास्टर प्लान का दृश्य चित्रण प्रदान करने के साथ ही एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस के माध्यम से विभिन्न विभागों की वास्तविक समय की प्रगति को भी एकीकृत करेगा।
  • सरकार ने बजट 2024 में अपने पूंजीगत व्यय आवंटन को बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ (जी.डी.पी. का 3.4%) कर दिया है जो बुनियादी ढाँचे के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ

परियोजनाओं की लागत में वृद्धि एवं विलंब

  • सरकार द्वारा प्रायोजित अधिकांश परियोजनाओं के समक्ष सबसे आम चुनौती लागत में वृद्धि है।
  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) की एक रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2023 तक 150 करोड़ या उससे अधिक के निवेश वाली 431 बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं की लागत में 4.82 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है।
  • इस वर्ष मार्च तक अधिकांश परियोजनाएँ अपने औसत समय से लगभग तीन वर्ष पीछे चल रही थी।

विभिन्न विभगों द्वारा स्वीकृति की आवश्यकता

भारत में किसी भी औद्योगिक या वाणिज्यिक गतिविधि को अवधारणा के समय से लेकर परियोजना के चालू होने तक कई मंज़ूरियों की आवश्यकता होती है।

परियोजना प्रबंधन में कमी

  • भारत में अधिकांश परियोजनाओं, विशेष रूप से शहरी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की कार्यान्वयन स्थिति परियोजना प्रबंधन प्रथाओं में अंतराल को दर्शाती है।
    • इसमें शहरी स्थानीय निकायों द्वारा व्यापक नियोजन एवं प्रबंधन की कमी और स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में क्षमता का अभाव शामिल है।
    • इन सबके परिणामस्वरूप सरकार पर अतिरिक्त व्यय का बोझ पड़ता है।
    • इससे अधिक योग्य परियोजनाओं के लिए धन की कमी होने के साथ ही लागत बढ़ जाती है।
  • परियोजना के नियोजन चरण के दौरान पर्याप्त ध्यान एवं समय नहीं दिया जाता है और न ही विशेषज्ञता का सही प्रयोग किया जाता है।
    • ऐसे में भारत के लिए आने वाले वर्षों में अपने उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए परियोजना प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

भ्रष्टाचार की समस्या 

केंद स्तरीय और राज्य स्तरीय परियोजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। इसका प्रभाव परियोजना डिज़ाइन से लेकर निष्पादन अक देखा जा सकता है। इससे जान-माल दोनों का नुकसान होता है। उदाहरण के लिए. बिहार में पुलों का गिरना और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर समस्या होना। 

पारंपरिक प्रथाओं में व्यापक बदलाव की आवश्यकता

  • पारंपरिक परियोजना प्रबंधन प्रथाओं में आधुनिक उपकरणों एवं तकनीकों को एकीकृत करने के लिए बड़े बदलाव की आवश्यकता है।
  • इसमें वास्तविक समय डाटा प्रबंधन करना शामिल है।
  • एक ऐसी सक्षम नीति होनी चाहिए जो परियोजना प्रबंधन पर वैश्विक सर्वोत्तम मानकों पर विचार करती हो और सार्वजनिक एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाओं में प्रभावी परियोजना निष्पादन के लिए प्रक्रियाओं/दिशानिर्देशों को निर्धारित करती हो।
  • विभिन्न देशों ने इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाए हैं।
    • यूनाइटेड किंगडम में इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट्स अथॉरिटी ने परियोजनाओं को पूरा करने में शामिल प्रक्रियाओं पर विशेष बल दिया है।
    • चीन, सऊदी अरब और कुछ अन्य देशों ने एंड-टू-एंड प्रोजेक्ट डिलीवरी के लिए एजेंसियों की स्थापना की है।

समग्र ‘कार्यक्रम प्रबंधन दृष्टिकोण’ की आवश्यकता

  • इस दृष्टिकोण को औद्योगिक गलियारा विकास परियोजनाओं में अपनाया गया था, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शेंद्रा-बिडकिन से हुई थी।
  • इसमें एकीकृत तरीके से कई परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें वितरित करने के लिए मानव संसाधन, समय, धन एवं सूचना का अनुशासित व व्यवस्थित समन्वय शामिल है।
  • महत्वपूर्ण संसाधन व्यय और विविध गतिविधियों के एकीकरण की आवश्यकता वाले  मिशनों के लिए इस दृष्टिकोण का उपयोग किया जाता है।

आगे की राह

  • कार्यक्रम प्रबंधन दृष्टिकोण निर्दिष्ट समय और बजट के भीतर समग्र मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रियाओं एवं उपकरणों पर निर्भर है।
    • इसके लिए उद्योग के लिए तैयार कार्यबल विकसित करने में सक्षम होना आवश्यक है।
  • भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और विभिन्न अन्य देशों के चार्टर्ड इंजीनियरों की तर्ज पर परियोजना प्रबंधन में पेशेवर पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए एक एजेंसी की स्थापना परियोजना निष्पादन, निगरानी एवं निरीक्षण में पेशेवर नैतिकता व जिम्मेदारियों को विकसित करने में मदद करेगी।
    • जैसे-जैसे भारत एक वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, समय एवं लागत में कमी करने के साथ-साथ निर्माणाधीन परियोजनाओं की विफलता को रोकना महत्वपूर्ण है।
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत कार्यक्रम प्रबंधन प्रणाली को लागू करना आवश्यक है।
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