(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
संदर्भ
14 मई, 2021 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ‘मलेरकोटला’ को राज्य का 23वाँ ज़िला घोषित किया। ‘पंजाब भूमि राजस्व अधिनियम, 1887’ की धारा 5 में कहा गया है कि "राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा राज्य की तहसीलों, ज़िलों और प्रभागों की संख्या तथा सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।”
नए ज़िलों का गठन
- नए ज़िले गठित करने या मौजूदा ज़िलों की सीमाओं में परिवर्तन करने या उन्हें समाप्त करने की शक्ति राज्य सरकार में निहित है। यह कार्य या तो एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से या राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून के माध्यम से किया जा सकता है।
- इस कार्य के लिये राज्य सरकारें सामान्यतः कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती हैं और एक अधिसूचना जारी कर इसे राजपत्र में प्रकाशित करती हैं।
गठन की तार्किकता
- राज्यों का तर्क है कि छोटे ज़िले शासन-प्रशासन के बेहतर संचालन में सहायक होते हैं। उदाहरणार्थ, वर्ष 2016 में, असम सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से ‘प्रशासनिक सुविधा’ के दृष्टिकोण से माजुली उप-मंडल को माजुली ज़िले के रूप में परिवर्तित किया था।
- यदि प्रशासनिक क्षेत्र वृहत् होता है, तो इससे कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने में विलंब तथा असुविधा होती है। जबकि वर्तमान समय में जनसंख्या, मानव बस्तियाँ, व्यावसायिक प्रतिष्ठान तथा उद्योग निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।
- नए ज़िलों के गठन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि नागरिकों की प्रशासन तक पहुँच हो तथा उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से प्राप्त हो सके।
- नए ज़िले का गठन विकास प्रक्रिया को भी गति दे सकता है। चूँकि नवगठित ज़िले में एक नया ‘कलेक्टरेट’ होगा, जो रोज़गार के अवसरों के साथ नवीन वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों तथा उद्योगों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करेगा।
नए ज़िले में विशिष्ट अधिकारियों की भूमिका
- जब कोई सरकार राजस्व प्रशासन के क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण करती है, तो नागरिकों के सुझावों, शिकायतों तथा विवादों को सुना जाना चाहिये। विशेष अधिकारी, जिला कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों से परामर्श कर लोगों की राय लेता है।
- सरकार द्वारा नए ज़िलों की घोषणा के उपरांत विशेष अधिकारी क्षेत्रों का मानचित्र प्राप्त करते हैं। तत्पश्चात् तहसीलों एवं राजस्व प्रभागों को शामिल करने व बाहर करने के संबंध में कलेक्टरों तथा अन्य अधिकारियों से विचार-विमर्श करते हैं। वे नए ज़िलों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण भी करते हैं।
- वस्तुतः एक नया ज़िला न सिर्फ प्रशासनिक सुगमता सुनिश्चित करता है, बल्कि क्षेत्र का पर्यवेक्षण करने में जिला कलेक्टर को सुविधा भी प्रदान करता है। एक ज़िला कलेक्टर चार निर्वाचन क्षेत्रों का पर्यवेक्षण आसानी से कर सकता है, लेकिन यदि किसी ज़िले में चार से अधिक निर्वाचन क्षेत्र हों, तो कलेक्टर के लिये पर्यवेक्षण-कार्य अपेक्षाकृत मुश्किल हो सकता है।
केंद्र सरकार की भूमिका
- नए ज़िलों के गठन या उनमें परिवर्तन करने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। इस संबंध में राज्य अंतिम निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र होते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में केंद्रीय गृह मंत्रालय तब हस्तक्षेप करता है, जब कोई राज्य किसी ज़िले या रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित करना चाहता हो।
- राज्य सरकारें अपने अनुरोध अन्य संस्थाओं, जैसे– पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो, डाक विभाग, सर्वे ऑफ इंडिया और रेल मंत्रालय को भी मंजूरी के लिये भेजती हैं तथा जाँच के दौरान उनके अनुरोध में कोई त्रुटी न पाए जाने की स्थिति में ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (No Objection Certificate – NOC) जारी किया जाता है।
भारत में जिलों की संख्या
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में कुल 593 ज़िले थे। जनगणना के आँकड़ों से ज्ञात होता है कि वर्ष 2001-2011 के मध्य, राज्यों द्वारा 46 नए ज़िलों का गठन किया गया था।
- हालाँकि वर्ष 2021 की जनगणना के आँकड़े प्रकाशित होने अभी शेष हैं। भारत सरकार की वेबसाइट ‘नो इंडिया’ (Know India) के अनुसार, वर्तमान में देश में कुल 718 ज़िले हैं।
- जिलों की संख्या में वृद्धि का एक प्रमुख कारण वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश राज्य से एक पृथक राज्य ‘तेलंगाना’ का जन्म होना भी है। वर्तमान में, तेलंगाना में कुल 33 तथा आंध्र प्रदेश में कुल 13 ज़िले हैं।