(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, सरकारी योजनाएं) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय) |
संदर्भ
18 फरवरी, 2025 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 9 वर्ष पूरे हुए।
फसल बीमा के बारे में
- परिचय : यह किसानों को अप्रत्याशित आपदाओं से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम शमन उपकरण है। इसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी होती है।
- उद्देश्य : ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, चक्रवात, भारी व बेमौसम बारिश, बीमारी और कीटों के हमले आदि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली फसल हानि से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- लाभ : किसानों को विपरीत परिस्थितियों में होने वाले नुकसान से सुरक्षा और कृषि समृद्धि एवं क्षेत्रीय कल्याण के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा
- प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग : उपग्रह इमेजरी, रिमोट सेंसिंग एवं डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग
- इससे जोखिम मूल्यांकन में अधिक सटीकता, दावा के प्रसंस्करण में दक्षता और पारदर्शिता में वृद्धि संभव हुई है।
भारतीय फसल बीमा क्षेत्र के बारे में
- भारत के फसल बीमा बाजार में वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2032 के पूर्वानुमान अवधि के दौरान 7.62% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2024 में 4.56 बिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2032 में 8.21 बिलियन डॉलर हो जाएगा।
- खाद्य सुरक्षा एवं सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय आबादी के लगभग 65% की आजीविका का प्राथमिक स्रोत होने के कारण कृषि क्षेत्र में लचीलापन व संधारणीयता सर्वोपरि है।
- अन्य विकसित एवं विकासशील देशों की तुलना में भारतीय कृषि व प्राथमिक क्षेत्र का बड़ा हिस्सा फसल बीमा के दायरे में नहीं आता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में
- प्रारंभ : 18 फरवरी, 2016
- क्या है : अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसल नुकसान के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करने वाली एक स्वैच्छिक फसल बीमा योजना
- नोडल मंत्रालय : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
- पात्रता : अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/जोतदार किसान
- पूर्ववर्ती योजनाएं : यह राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) एवं संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) की प्रतिस्थापन योजना है और इसलिए इसे सेवा कर से भी छूट है।
- योजना के उद्देश्य
- प्राकृतिक आपदाओं, कीटों एवं रोगों के परिणामस्वरूप किसी भी अधिसूचित फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज तथा वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- किसानों की आय को स्थिर करना तथा खेती में उनकी निरंतर प्रक्रिया सुनिश्चित करना।
- किसानों को नवीन एवं आधुनिक कृषि पद्धतियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना।
- बजट : जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 69,515.71 करोड़ रुपए के कुल बजट के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी।
- पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना : यह एक मौसम सूचकांक आधारित योजना है जो पी.एम.एफ.बी.वाई. के साथ ही शुरू की गई थी।
- दोनों योजनाओं के बीच बुनियादी अंतर किसानों के लिए स्वीकार्य दावों की गणना के लिए इसकी कार्यप्रणाली में है।
- सफलता : यद्यपि यह योजना किसानों के लिए स्वैच्छिक है, फिर भी 2023-24 के दौरान गैर-ऋणी किसानों का कवरेज इस योजना के तहत कुल कवरेज का 55% तक बढ़ गया है।
- प्रौद्योगिकी उपयोग : इस योजना में उपग्रह इमेजरी, ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन और रिमोट सेंसिंग सहित उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुख्य लाभ
- वहनीय प्रीमियम
- खरीफ खाद्य एवं तिलहन फसलों के लिए किसान द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम 2% है।
- रबी खाद्य एवं तिलहन फसलों के लिए यह 1.5% है।
- वार्षिक वाणिज्यिक या बागवानी फसलों के लिए यह 5% है।
- शेष प्रीमियम पर सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।
- व्यापक कवरेज : यह योजना प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़), कीटों व बीमारियों के साथ-साथ ओलावृष्टि एवं भूस्खलन जैसे स्थानीय जोखिमों के कारण फसल के बाद होने वाले नुकसान को भी कवर करती है।
- समय पर मुआवजा : फसल कटाई के दो महीने के भीतर दावों का निपटान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कवर किए गए जोखिम
गैर-रोकथाम योग्य जोखिमों के कारण होने वाली उपज हानि (खड़ी फसल), बुवाई में रुकावट के मामलें में बीमा राशि के अधिकतम 25% तक का क्षतिपूर्ति दावा, फसल कटाई से 14 दिन (अधिकतम) तक होने वाले नुकसान के लिए कवरेज, स्थानीय आपदाओं से होने वाली क्षति से कवरेज
आगे की राह
- भारत में फसल बीमा बाजार का विस्तार करने के लिए, फसल बीमा उत्पादों, कवरेज लाभों और दावा प्रक्रियाओं की समझ में सुधार के लिए किसान शिक्षा और जागरूकता पहल पर जोर देने की आवश्यकता है।
- फसल बीमा क्षेत्र में निजी कंपनियों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहन मिलेगा तथा किसानों को बेहतर विकल्प उपलब्ध होंगे।