(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 :सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध)
चर्चा में क्यों
- भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में वृद्धि करने के उद्देश्य से युद्धपोत से संबंधित परियोजना ‘15बी’ का पहला विध्वंसक युद्धपोत Y-12704 (विशाखापट्टनम) भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।
- विशाखापट्टनम श्रेणी के युद्धपोत के निर्माण की शुरुआत अक्तूबर 2013 में हुई थी तथा अप्रैल 2015 में इसे लॉन्च किया गया था।
विशाखापट्टनम युद्धपोत की प्रमुख विशेषताएँ
- इस युद्धपोत का निर्माण स्वदेशी स्टील डी.एम.आर.-249 ए. द्वारा किया गया है। इसकी लंबाई 164 मीटर, जबकि भार क्षमता 7,500 टन है।
- यह सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइलों से लैस है।
- युद्धपोत को स्वदेशी रूप से विकसित पनडुब्बी रोधी हथियारों और समुद्र के भीतर युद्ध क्षमता के लिये सेंसर से सुसज्जित किया गया है। इसमें सोनार हम्सा एनजी (Humsa NG), हैवीवेट टारपीडो ट्यूब लॉन्चर और पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर भी शामिल हैं।
- इस युद्धपोत में 312 नौसेना कर्मियों के रहने की व्यवस्था है तथा यह 30 समुद्री मील प्रति घंटा (लगभग 55 किमी प्रति घंटे) की अधिकतम गति प्राप्त करने में सक्षम है।
- यह लगातार 42 दिनों तक समुद्र में रह सकता है। इसे नौसेना डिज़ाइन निदेशालय ने डिज़ाइन किया है और इसका निर्माण मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई ने किया है।
परियोजना 15बी
- इस परियोजना के तहत स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक (Stealth Guided Missile Destroyers) का निर्माण किया जा रहा है।
- परियोजना 15बी के तहत चार युद्धपोतों के अनुबंध पर 28 जनवरी, 2011 को हस्ताक्षर किये गए थे। इन्हें विशाखापट्टनम श्रेणी के जहाज़ों के रूप में जाना जाता है।
- इसके तहत विशाखापट्टनम, मोरमुगाओ, इंफाल और सूरत के नाम पर चार युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है।
- यह परियोजना पिछले दशक में शुरू किये गए कोलकाता श्रेणी विध्वंसक (परियोजना 15ए) की अनुवर्ती है।
- विदित है कि भारत का स्वदेशी विध्वंसक निर्माण कार्यक्रम 1990 के दशक के अंत में दिल्ली श्रेणी ( परियोजना 15) के तीन युद्धपोतों के साथ शुरू हुआ और इसके बाद कोलकाता वर्ग (परियोजना 15 ए) के तीन युद्धपोतों को भी भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। परियोजना 15 ए के कोलकाता श्रेणी के युद्धपोतों में कोलकाता, कोच्चि और चेन्नई युद्धपोतों का निर्माण किया गया है।
निष्कर्ष
विशाखापट्टनम श्रेणी के युद्धपोतों के भारतीय नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में वृद्धि होगी।