चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई ढाँचे (PCAF) से बाहर कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- न्यूनतम नियामक पूंजी और शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NNPAs) सहित विभिन्न वित्तीय अनुपातों में सुधार होने के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया को इससे बाहर किया गया है।
- विदित है कि आर.बी.आई. ने जोखिम सीमा का उल्लंघन करने के बाद 11 सरकारी बैंकों को पी.सी.ए. ढांचे के तहत ला दिया था।
- इसमें इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, आई.डी.बी.आई. बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
क्या है पी.सी.ए.एफ.
- त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई मानदंड एक पर्यवेक्षी उपकरण है तथा इसे आर.बी.आई. द्वारा किसी वित्तीय संस्थान पर तब लागू किया जाता है जब कोई बैंक पूंजी पर जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR), एन.एन.पी.ए. और परिसंपत्तियों पर रिटर्न (ROA) के लिये नियामक सीमाओं का उल्लंघन करता है।
- आर.बी.आई. ने जून 2017 में उच्च शुद्ध एन.पी.ए. और नकारात्मक परिसंपत्ति रिटर्न (ROA) के कारण बैंक पर पी.सी.ए. मानदंड लागू किये थे।
- बैंक ने एक लिखित प्रतिबद्धता प्रदान की है कि वह निरंतर आधार पर न्यूनतम नियामक पूंजी, एन.एन.पी.ए. और लीवरेज अनुपात (Leverage Ratio) के मानदंडों का पालन करेगा।