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कॉलेजों के क्लस्टरिंग का प्रस्ताव

चर्चा में क्यों  

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों को बहु-विषयक संस्थानों में बदलने के लिये दिशा-निर्देश को अंतिम रूप दिया है, जिसमें एक-दूसरे के निकट स्थित संस्थानों की ‘क्लस्टरिंग’ भी शामिल हैं। 

प्रमुख बिंदु 

  • इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य राज्य सरकारों एवं विश्वविद्यालयों को उपयुक्त नियम और नीतियाँ बनाने में मदद करना है।
  • बहु-विषयक संस्थानों को बढ़ावा देना राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की प्रमुख अनुशंसाओं में से एक थी।
  • यू.जी.सी. (UGC) ने ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) के ‘क्लस्टर’ के माध्यम से संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग का सुझाव दिया है।
  • क्लस्टर प्रणाली ऐसे एकल संकाय संस्थानों (Single-Stream Institutions) की भी मदद करेगी जो विभिन्न कारणों, जैसे- रोज़गारोन्मुखी न होने, नवीनतम एवं बहुविषयक पाठ्यक्रमों की कमी और वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण नामांकन में गिरावट का सामना कर रहे हैं।  
  • यह प्रणाली ऐसे केंद्रों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) मान्यता में अपने ग्रेड में सुधार करने में मदद करेगी।
  • क्लस्टर में सदस्य कॉलेज प्रारंभिक चरण में विश्वविद्यालय के तहत संबद्ध कॉलेजों के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे और छात्र अनुसंधान परियोजनाओं के लिये अपने संसाधनों को साझा करेंगे।
  • इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन ने ए.बी.सी. प्लेटफॉर्म (ABC Platform) विकसित किया है जो छात्रों को एक अकादमिक खाता खोलने और रूचि के अनुसार एच.ई.आई. को जोड़ने तथा डिग्री व डिप्लोमा प्राप्त करने के लिये उनसे अर्जित क्रेडिट स्टोर को भंडार करने की सुविधा प्रदान करता है। 
  • यू.जी.सी. ने फैकल्टी (अध्यापक समूह) के लिये क्षमता निर्माण का भी सुझाव दिया है, ताकि वे शिक्षण में अधिगम मूल्यांकन विधियों में सुधार जैसी पहलों के माध्यम से बहु-विषयक शैक्षणिक कार्यक्रमों में पढ़ा सकें तथा प्रशिक्षण एवं शोध कार्य कर सकते हैं। 
  • विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षा विभाग स्थापित करने का भी सुझाव दिया गया है, जो भविष्य के शिक्षकों को पाठ्यक्रम डिजाइन, शिक्षाशास्त्र, संचार और लेखन सिखाने में मदद करेगा। 
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