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भारत में उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

संदर्भ

वैश्विक स्तर पर 15 मार्च, 2025 को उपभोक्ता अधिकारों और संरक्षण को बनाए रखने हेतु विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का आयोजन किया गया।

भारत में उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण 

  • भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और पारदर्शी एवं निष्पक्ष बाज़ार सुनिश्चित करने के लिए कई नई पहल और नीतियाँ शुरू की हैं। 
  • प्रमुख विकास पहलों में ई-कॉमर्स विनियमन, डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सतत उपभोग पहलों में सुधार शामिल हैं। इनका वर्णन निम्नलिखित है :

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

  • वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स बाजार आदि के नए युग में उपभोक्ता संरक्षण को नियंत्रित करने वाले ढाँचे को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया गया।
    • यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को प्रतिस्थापित करता है। 
  • इस अधिनियम में जिला, राज्य और केंद्रीय स्तरों पर त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र का प्रावधान है, जिसे सामान्यत: उपभोक्ता आयोग के रूप में जाना जाता है।
    • यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित विवादों सहित उपभोक्ता विवादों का सरल और त्वरित निवारण करता है। 
  • इन आयोगों को उपभोक्ता को एक विशिष्ट प्रकृति की राहत देने और उचित मुआवजा देने का अधिकार है।

उपभोक्ता कल्याण कोष

  • उपभोक्ता कल्याण कोष का समग्र उद्देश्य उपभोक्ताओं के कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने तथा देश में उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • नियमों के तहत, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को उपभोक्ता कल्याण कोष बनाने के लिए 75:25 के आधार पर (विशेष श्रेणी के राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मामले में 90:10) एकमुश्त अनुदान के रूप में बीज धन (Seed Money)  के रूप में धनराशि दी जाती है।
  • राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को हर साल कल्याण कोष से प्राप्त ब्याज द्वारा  स्थानीय स्तर पर उपभोक्ता कल्याण से संबंधित परियोजनाओं के संचालन की आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान में, कुल 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने उपभोक्ता कल्याण कोष की स्थापना की है।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के बारे में

  • परिचय :  यह दिवस सभी उपभोक्ताओं के मूल अधिकारों को बढ़ावा देने और उन अधिकारों के सम्मान एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करने का एक अवसर है।
  • वर्ष 2025 का लक्ष्य : टिकाऊ जीवनशैली हासिल करने के लिए आवश्यक मार्गों पर प्रकाश डालना और दुनिया भर में मज़बूत उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तीकरण का आह्वान करना।
  • प्रारंभ : विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार वर्ष 1983 में मनाया गया था।
    • यह तिथि राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को दिए गए संबोधन की याद में चुनी गई थी, जहाँ वे औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता देने वाले पहले विश्व नेता बने थे।
  • इस वर्ष की थीम : 'स्थायी जीवनशैली के लिए एक उचित बदलाव'
    • यह थीम सभी उपभोक्ताओं के लिए टिकाऊ और स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को उपलब्ध, सुलभ एवं  किफ़ायती बनाने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि ये बदलाव लोगों के बुनियादी अधिकारों तथा ज़रूरतों को बनाए रखें।

उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाना

ई-दाखिल पोर्टल

  • ई-दाखिल पोर्टल को 7 सितंबर 2020 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • कोविड-19 में उपभोक्ताओं पर लगे प्रतिबंधों के कारण, ई-दाखिल पोर्टल को उपभोक्ता शिकायत दर्ज करने के लिए सस्ती, त्वरित और परेशानी मुक्त प्रणाली के रूप में पेश किया गया था।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एन.सी.एच.) में सुधार

  • उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रिया को और सुदृढ़ करने के लिए, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एन.सी.एच.) ने एन.सी.एच. 2.0 पहल शुरू की है, जिसमें शिकायत निवारण को कारगर बनाने के लिए उन्नत तकनीकों को शामिल किया गया है।
  • एन.सी.एच. द्वारा प्राप्त कॉलों की संख्या दस गुना से अधिक बढ़ गई है, जो दिसंबर 2015 के 12,553 से बढ़कर दिसंबर 2024 में 1,55,138 तक हो गई है।

जागो ग्राहक जागो पोर्टल और मोबाइल ऐप

ये पोर्टल उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने और बाज़ार में अपने अधिकारों का दावा करने के लिए आवश्यक जानकारी, संसाधन और सहायता प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने के लिए समर्पित हैं।

ई-कॉमर्स और डिजिटल लेनदेन में उपभोक्ता संरक्षण

नए ई-कॉमर्स दिशानिर्देश

  • ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए, उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को भी अधिसूचित किया है। 
    • ये नियम, अन्य बातों के साथ-साथ, ई-कॉमर्स संस्थाओं की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं और ग्राहक शिकायत निवारण के प्रावधानों सहित मार्केटप्लेस और इन्वेंट्री ई-कॉमर्स संस्थाओं की देनदारियों को निर्दिष्ट करते हैं।
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने 30 नवंबर, 2023 को डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशानिर्देश, 2023 जारी किए। 
    • ये दिशानिर्देश ई-कॉमर्स क्षेत्र में पहचाने गए 13 विशिष्ट डार्क पैटर्न को संबोधित और विनियमित करते हैं, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली भ्रामक प्रथाओं को रोकना है।

बी.आई.एस. द्वारा ई-कॉमर्स स्व-शासन के लिए मसौदा दिशानिर्देश

  • भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) द्वारा ई-कॉमर्स स्व-शासन के लिए सिद्धांत और दिशानिर्देश पर जारी मसौदा ऑनलाइन मार्केटप्लेस के लिए पारदर्शी, निष्पक्ष और उपभोक्ता-अनुकूल ढाँचा स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। 
  • यह नैतिक ई-कॉमर्स संचालन सुनिश्चित करने के लिए तीन प्रमुख चरणों- पूर्व-लेनदेन, अनुबंध निर्माण और लेनदेन के बाद के सिद्धांतों को रेखांकित करता है।
  • दस्तावेज़ में स्पष्ट उत्पाद प्रकटीकरण अनिवार्य है, जिसमें मूल्य निर्धारण विखंडन, विक्रेता का विवरण, मूल देश, वापसी नीतियां और डाटा गोपनीयता उपाय शामिल हैं।
  • यह लेनदेन के लिए स्पष्ट उपभोक्ता सहमति को लागू करने के साथ ही भ्रामक विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करता है।
  • इसके माध्यम से उपभोक्ता अधिकारों और निष्पक्ष व्यावसायिक प्रथाओं को प्राथमिकता देकर, मानक ऑनलाइन लेनदेन में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ खरीदारों को सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है।
  • दस्तावेज़ में जालसाजी विरोधी उपाय भी शामिल हैं, जिसके तहत प्लेटफ़ॉर्म को नकली उत्पादों के बारे में शिकायतों का तेज़ी से समाधान करने की आवश्यकता होती है।
  • यह अनिवार्य करता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म उपभोक्ता डाटा की सुरक्षा तथा विपणन संचार के लिए स्पष्ट सहमति प्राप्त करने के साथ ही विवाद समाधान के लिए सुलभ तंत्र प्रदान करें।

आगे की राह

  • यदि बी.आई.एस. द्वारा जारी मसौदा दिशा-निर्देशों को लागू किया जाता है, तो यह ढाँचा ई-कॉमर्स में उपभोक्ता विश्वास को बढ़ावा देने के साथ ही  नैतिक व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देगा और भारत में एक अधिक जवाबदेह डिजिटल बाज़ार का निर्माण करेगा।
  • भारत द्वारा अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
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