(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)
संदर्भ
- हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी ‘अनंतिम अनुमान’ (Provisional Estimates) के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7% की वृद्धि हुई है, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान जी.डी.पी. में 6.6% की वृद्धि हुई थी।
- साथ ही, सकल मूल्य वर्धित (GVA) में वित्त वर्ष 2021-22 में 8.1% की वृद्धि हुई है, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 4.8% की वृद्धि हुई थी।
जी.डी.पी. और जी.वी.ए. में अंतर
- जी.डी.पी., किसी देश में एक निश्चित अवधि में उत्पादित सभी "अंतिम" वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापता है, जो कि अंतिम उपभोक्ता द्वारा खरीदे जाते हैं।
- जी.डी.पी. अर्थव्यवस्था में सभी व्ययों को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना करता है जबकि जी.वी.ए. अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में जोड़े गए मूल्य को देखकर आपूर्ति पक्ष से राष्ट्रीय आय की गणना करता है। इस प्रकार, जी.डी.पी. का संबंध अर्थव्यवस्था के मांग पक्ष से जबकि जी.वी.ए. का संबंध आपूर्ति पक्ष से है।
जी.डी.पी. = जी.वी.ए. + सरकार द्वारा अर्जित कर - सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी।
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- अगर सरकार अपने कर राजस्व से कम सब्सिडी प्रदान करती है तो जी.डी.पी. जी.वी.ए. से अधिक होगी। वहीं दूसरी ओर यदि सरकार अपने कर राजस्व से अधिक सब्सिडी प्रदान करती है तो जी.वी.ए. का स्तर जी.डी.पी की तुलना में अधिक होगा।
जीडीपी आँकड़ों के निहितार्थ
भारतीय अर्थव्यवस्था में जी.डी.पी. के चार तत्त्व हैं-
- इसमें सर्वाधिक प्रमुख तत्त्व निजी क्षमता में खर्च किया गया धन है, जिसे तकनीकी रूप से इसे ‘निजी अंतिम उपभोग व्यय’ (PFCE) कहा जाता है। इस प्रकार का व्यय कुल जी.डी.पी. का 56% है।
- दूसरा प्रमुख तत्त्व कंपनियों और सरकार द्वारा नया कार्यालय बनाने, नया कंप्यूटर खरीदने या नई सड़क बनाने जैसे निवेश में खर्च किया गया धन है, जिसे ‘सकल स्थायी पूंजी निर्माण’ (GFCF) कहा जाता है। इस प्रकार का व्यय कुल जी.डी.पी. का 32% है
- तीसरा प्रमुख तत्त्व दिन-प्रतिदिन के कार्यों जैसे वेतन का भुगतान आदि में खर्च किया गया धन है, जिसे ‘सरकारी अंतिम उपभोग व्यय’ (GFCE) कहा जाता है। यह भारत की कुल जी.डी.पी. का 11% है।
- चौथा तत्त्व शुद्ध निर्यात (NX) है। शुद्ध निर्यात से तात्पर्य भारतीयों द्वारा विदेशी वस्तुओं पर खर्च किये गए धन (अर्थात् आयात) को विदेशियों द्वारा भारतीय वस्तुओं पर खर्च किए गए धन (अर्थात् निर्यात) से घटाना है। चूंकि अधिकांश वर्षों में भारत निर्यात से अधिक आयात करता है, अतः एनएक्स जी.डी.पी. वृद्धि का सबसे छोटा तत्त्व माना जाता है।
- इस प्रकार, जी.डी.पी. से आशय पी.एफ.सी.ई., जी.एफ.सी.एफ., जी.एफ.सी.ई. एवं एन.एक्स. के कुल योग से हैं।