New
Open Seminar - IAS Foundation Course (Pre. + Mains): Delhi, 9 Dec. 11:30 AM | Call: 9555124124

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक2024
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2, शिक्षा

संदर्भ- 

सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और अनियमितताओं की रोकथाम के लिए ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024’ को 5 फ़रवरी, 2024 को लोकसभा में प्रस्तुत किया।

public-examination-bill

मुख्य बिंदु-

  • यह एक केंद्रीय कानून होगा। 
  • इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। 
  • इसके दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाएं भी आएंगी।
  • उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त रैंक से नीचे का अधिकारी अधिनियम के तहत अपराधों की जांच नहीं करेगा। 
  • केंद्र सरकार जांच को किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर सकती है।

विधेयक की आवश्यकता-

  • हाल के वर्षों में देश भर में भर्ती परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होने के मामले बहुत बढ़ गए हैं। 
  • सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के कारण परीक्षाओं में देरी होती है और उनका रद्दीकरण होता है।
  • इससे लाखों युवाओं के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
  • वर्तमान में अनुचित तरीकों या किए गए अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है।
  • यह जरूरी है कि परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाने वाले तत्वों की पहचान की जाए।
  • एक केंद्रीय कानून द्वारा उनसे प्रभावी ढंग से निपटा जाए।
  • विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है। 
  • युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार प्रयासों का उचित प्रतिफल दिया जाएगा और उनका भविष्य सुरक्षित रखा जाएगा।
  • इस विधेयक का उद्देश्य विभिन्न अनुचित तरीकों में लिप्त व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से रोकना है। 
  • ये व्यक्ति, संगठित समूह या संस्थान मौद्रिक या गलत लाभ के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • विधेयक में उम्मीदवारों के ऊपर कार्रवाई करने का प्रावधान नहीं है।  
  • उम्मीदवारों का मामला संबंधित सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण के मौजूदा प्रशासनिक प्रावधानों के तहत आएगा।
  • यह विधेयक कानून बनने के बाद राज्यों के लिए एक मॉडल ड्रॉफ्ट के रूप में होगा, जिसे वे अपने विवेक से अपना सकते हैं। 
  • यह राज्यों को आपराधिक तत्वों को उनकी राज्य स्तरीय सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में बाधा डालने से रोकने में सहायता करेगा।

अनुचित साधन-

  • विधेयक की धारा 3 में अनेक कार्यों को अनुचित साधनों के रूप में माना गया है।
  • इन कार्यों में प्रमुख हैं-
    • प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक
    • बिना अधिकार क्षेत्र के प्रश्न पत्र या OMR शीट तक पहुंचना या उसे कब्जे में लेना
    • OMR शीट या उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़
    • सार्वजनिक परीक्षा के दौरान उम्मीदवार की सहायता करना
    • सार्वजनिक परीक्षा के दौरान किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा एक या अधिक प्रश्नों को हल करना
    • शॉर्टलिस्टिंग के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ 
    • कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़
    • मौद्रिक लाभ के लिए नकली परीक्षा आयोजित करना
    • नकली प्रवेश पत्र जारी करना
    • धोखाधड़ी या मौद्रिक लाभ के लिए ऑफर लेटर जारी करना
    • समय से पहले परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी का खुलासा करना
    • व्यवधान पैदा करने के लिए अनधिकृत लोगों का परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करना

सार्वजनिक परीक्षाएँ-

  • विधेयक की धारा 2(k) के तहत, "सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण" या किसी "ऐसे अन्य प्राधिकरण जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है" द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा को "सार्वजनिक परीक्षा" कहा गया है।
  • विधेयक में 5 सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों की सूची दी गई हैं-
    • संघ लोक सेवा आयोग
    • कर्मचारी चयन आयोग
    • रेलवे भर्ती बोर्ड
    • नेशनल टेस्टिंग एजेंसी
    • बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान
  • उपर्युक्त के अतिरिक्त केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग में कर्मचारियों की भर्ती के लिए उनसे जुड़े कार्यालय भी कानून के दायरे में आएंगे।
  • केंद्र सरकार आवश्यकता पड़ने पर एक अधिसूचना के माध्यम से विधेयक में नए प्राधिकरण जोड़ सकती है।

सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारियाँ- 

  • सेवा प्रदाता एक ऐसा संगठन है जो सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को कंप्यूटर संसाधन या कोई अन्य सहायता प्रदान करता है। 
  • विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में सेवा प्रदाताओं को पुलिस और संबंधित परीक्षा प्राधिकरण को रिपोर्ट करना होगा। 
  • ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट न करना अपराध होगा।
  • यदि सेवा  प्रदाता स्वयं कोई अपराध करता है, तो परीक्षा प्राधिकारी को इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी। 
  • विधेयक सेवा प्रदाताओं को परीक्षा प्राधिकरण की अनुमति के बिना परीक्षा केंद्र स्थानांतरित करने से रोकता है। 

सज़ा का प्रावधान-

  • विधेयक की धारा 9 के अनुसार, सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य होंगे। 
  • बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है और जमानत पाना अधिकार का मामला नहीं होगा।
  • एक मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करेगा कि अभियुक्त जमानत पर रिहा होने योग्य है या नहीं। 
  • एक गैर-शमनयोग्य अपराध वह है, जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा मामला वापस नहीं लिया जा सकता है,
    • भले ही शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया हो।
  • अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने वाले किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के लिए सजा तीन से पांच साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। 
  • दोषी व्यक्ति जुर्माना देने में विफल रहता है, तो धारा 10(1) के अनुसार,भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।”
    • धारा 10(2) एक सेवा प्रदाता को दंड देने से संबंधित है
    • सेवा प्रदाता द्वारा किए गए अपराध पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। 
    • ऐसे सेवा प्रदाता से जांच की आनुपातिक लागत भी वसूल की जाएगी। 
    • उन्हें 4 साल तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से भी रोक दिया जाएगा।
    • यह सत्यापित  हो जाता है कि सेवा प्रदाताओं से जुड़े अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन, या सेवा प्रदाताओं के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किए गए थे,
      • ऐसे व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा। 
      • इन्हें 3 साल से लेकर 10 साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा होगी।
  • “संगठित अपराध" के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान है।
    • “संगठित अपराध" को सार्वजनिक परीक्षा में गलत लाभ के लिए साजिश में शामिल व्यक्तियों के समूह द्वारा गैरकानूनी गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • धारा 11(1) के अनुसार, संगठित अपराध के लिए सजा कम से कम 5 साल की कैद होगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
    • जुर्माने की राशि 1 करोड़ रुपये से कम नहीं होगी।
    • यदि किसी संस्था को संगठित अपराध करने का दोषी ठहराया जाता है,
      • उसकी संपत्ति कुर्क और ज़ब्त कर ली जाएगी। 
      • परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूल की जाएगी।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024 में निम्नलिखित में से किस/किन संस्थान/संस्थानों को सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण के रूप में अधिसूचित किया गया है?

  1. लोक सेवा आयोग
  2. कर्मचारी चयन आयोग
  3. रेलवे भर्ती बोर्ड
  4. बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान
  5. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(c) केवल 1, 2 और 3

(d) केवल 1, 3 और 5

(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न-  हाल के वर्षों में देश भर में भर्ती परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होने के मामले बहुत बढ़ गए हैं। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024 इसे रोकने में किस प्रकार सहयोगी होगा। विवेचना कीजिए।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X