(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 2 : विषय - संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से सम्बंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।)
हाल ही में, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ को स्वतंत्र केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिये और दोनों प्रदेशों (पंजाब तथा हरियाणा) को अपनी-अपनी स्वतंत्र राजधानियाँ बनानी चाहिये और उच्च न्यायालय की अलग-अलग खंडपीठों का निर्माण करना चाहिये।
पृष्ठभूमि
- आज़ादी से पहले, तत्कालीन पंजाब की राजधानी लाहौर की जगह चंडीगढ़ को बनाए जाने की योजना थी, लेकिन विभाजन के बाद वह पंजाब पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
- मार्च 1948 में, केंद्र के परामर्श पर, पंजाब (भारतीय) की सरकार ने, नई राजधानी के लिये शिवालिक की तलहटी के क्षेत्र को मंज़ूरी दी।
- वर्ष 1952 से 1966 तक (जब तक हरियाणा नहीं बना था), चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बना रहा।
- वर्ष 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद , चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी होने का अनूठा गौरव प्राप्त हुआ।
- इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था और केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया था।
- चंडीगढ़ में अवस्थित परिसम्पत्तियों को पंजाब, हरियाणा के बीच 60:40 के अनुपात में विभाजित किया जाना निर्धारित हुआ था।
पंजाब का दावा
- 70 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह घोषणा की, कि हर हाल में हरियाणा की अपनी अलग राजधानी होगी और चंडीगढ़ पूर्णतः पंजाब का भाग होगा। हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद इस बाबत सरकार द्वारा कुछ निर्देश भी जारी किये गए थे।
- वर्ष 1985 में हुए राजीव-लौंगोवाल समझौते के तहत, 26 जनवरी, 1986 को चंडीगढ़ को पंजाब को पूर्णतः सौंप दिया जाना था, लेकिन राजीव गांधी सरकार ने अंतिम समय पर इस फैसले को रोक दिया।
हरियाणा का जवाबी दावा
- 1970 के दस्तावेज़ों के अनुसार, केंद्र ने मामले को सुलझाने के लिये शहर को विभाजित करने के अलावा कुछ अन्य विकल्पों पर भी विचार किया था। चंडीगढ़ को विभाजित करना मुश्किल था क्योंकि इसे राज्य की राजधानी के रूप में एक नियोजित शहर की तरह बसाया गया था
- हरियाणा को चंडीगढ़ में केवल पाँच वर्ष के लिये कार्यालय और आवासीय क्षेत्र का उपयोग करने के लिये कहा गया था, जब तक कि वह अपनी नई राजधानी में स्थानांतरित न हो जाए।
- केंद्र ने हरियाणा को नई राजधानी स्थापित करने के लिये बड़ी राशि की पेशकश की थी। यद्यपि यह कभी मूर्त रूप में साकार ना हो सका।
- वर्ष 2018 में, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ के विकास के लिये एक विशेष निकाय गठित करने का सुझाव दिया था, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा था कि, “यह शहर निर्विवाद रूप से पंजाब का है"।