(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन: प्रश्न पत्र -2 द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ
- सितंबर 2021 में होने वाले क्वाड देशों के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मलेन की मेज़बानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा की जाएगी। इस बैठक में कोविड-19 संकट, जलवायु परिवर्तन, साइबर स्पेस एवं सुरक्षा से संबंधित मुद्दों के केंद्र में रहने की संभावना है।
- गौरतलब है कि मार्च 2021 में आभासी रूप से हुए क्वाड राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मलेन की मेज़बानी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ही की थी।
क्वाड का गठन
- हिंद महासागर में सुनामी आपदा के बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के उद्देश्य से एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया था। वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस गठबंधन को चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) के रूप में औपचारिक स्वरूप प्रदान किया। परंतु इस समूह के सदस्यों के मध्य सामंजस्य के अभाव तथा इस पर लगे ‘चीन विरोधी गुट’ के आरोप के कारण यह संगठन लगभग 10 वर्षों (वर्ष 2017) तक निष्क्रिय स्वरूप में रहा।
- वर्ष 2017 में, चीन की आक्रामक नीतियों एवं बढ़ते हस्तक्षेप के मद्देनज़र इस संगठन के उद्देश्यों का विस्तार करते हुए इसे पुनः सक्रिय स्वरूप प्रदान किया गया। अब इस संगठन का उद्देश्य एक नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना है।
- एक उच्च महत्त्वाकांक्षी संगठन होने के बावजूद अभी भी यह विशिष्ट बहुपक्षीय संगठन की भाँति संरचित नहीं है। अभी भी इसके सचिवालय एवं निर्णय लेने वाली संस्था का अभाव है। इसमें अन्य वैश्विक संगठनों (यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र संघ आदि) की तरह नीति निर्माण के स्थान पर सदस्य देशों के मध्य समझौतों के विस्तार एवं उनके साझा मूल्यों को महत्त्व देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- नाटो के विपरीत इस संगठन में सामूहिक रक्षा के प्रावधान सम्मिलित नहीं हैं। इसके स्थान पर इसमें एकता एवं कूटनीतिक सामंजस्य के प्रदर्शन के लिये संयुक्त सैन्य अभ्यास का विकल्प चुना गया है। इसी उद्देश्य से वर्ष 2020 में मालाबार नौसैनिक अभ्यास, जिसमें भारत, अमेरिका एवं जापान भागीदारी करते थे, में ऑस्ट्रेलिया को भी सम्मिलित किया गया। यह क्वाड सदस्य देशों का पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास था।
क्वाड के उद्देश्य
- संगठन के प्रमुख उद्देश्यों में समुद्री सुरक्षा, कोविड संकट का सामना करना (विशेष रूप से वैक्सीन कूटनीति के संदर्भ में), जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम करना, निवेश में वृद्धि के लिये अनुकूल परिवेश बनाना तथा तकनीक एवं नवाचार को बढ़ावा देना शामिल हैं।
- क्वाड के सदस्य देशों ने ‘क्वाड प्लस’ के माध्यम से साझेदारी के विस्तार का संकेत दिया है। इस विस्तार में दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम के सम्मिलित होने की संभावना है।
- क्वाड के विभिन्न सकारात्मक उद्देश्यों के बावजूद भी इसे चीन के लिये खतरे के रूप में देखा जाता है। हालाँकि, संगठन के प्रत्येक सदस्य के पास चीन के अनावश्यक हस्तक्षेप एवं आक्रामक गतिविधियों को रोकने के अपने-अपने कारण हैं।
सदस्य देशों का चीन के प्रति दृष्टिकोण
- क्वाड के सदस्य देश दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों एवं ‘वन बेल्ट वन रोड’ जैसी परियोजनाओं के माध्यम से उसके प्रभाव क्षेत्र के विस्तार को लेकर चिंतित हैं। अमेरिका, चीन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित है। अमेरिका ने कई अवसरों पर यह सुनिश्चित किया है कि चीन का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को समाप्त करना है।
- जापान और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही दक्षिण एवं पूर्वी चीन सागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति एवं हस्तक्षेप को लेकर चिंतित हैं। ऑस्ट्रेलिया द्वारा वर्ष 2018 में विदेशी हस्तक्षेप कानून पारित करने के बाद चीन के साथ संबंध प्रभावित हुए हैं।
- चीन के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले सदस्य देश के रूप में भारत भी चीन की गतिविधियों के प्रति सतर्क है तथा किसी भी प्रकार के तनाव से बचना चाहता है।
क्वाड के प्रति चीन का दृष्टिकोण
- चीन क्वाड के गठन का विरोध करता है। वह इसे चीन को घेरने का रणनीतिक प्रयास मानता है।
- चीन का मानना है कि यह गठबंधन क्षेत्र की स्थिरता के लिये चुनौती प्रस्तुत कर सकता है। साथ ही, यह बांग्लादेश जैसे देशों पर इस संगठन से दूरी बनाए रखने का दबाव भी डालता है।
निष्कर्ष
हालाँकि, क्वाड को चीन विरोधी गठबंधन माना जाता है, परंतु इसके सदस्य देशों ने विभिन्न अवसरों पर यह स्पष्ट किया है कि यह न तो चीन विरोधी गठबंधन है और न ही सैन्य गुट। संगठन के सदस्य देशों का मानना है कि यह समान विचारधारा वाले भागीदारों का समूह है, जो शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये समर्पित है।