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क्वाड और ब्रिक्स : भारत की रणनीतिक भागीदारी

(प्रारंभिक परीक्षा : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान) 
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : अंतर्राष्ट्रीय संबंध द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान)

संदर्भ

  • भारत भू-रणनीतिक ‘विभाजन’ के दोनों ओर कई बहुपक्षीय समूहों का सदस्य है, क्वाड (Quad) और ब्रिक्स (BRICS) में इसकी भागीदारी देश के लिए आकर्षक और कभी-कभी विरोधाभासी दुविधाएं पेश करती है।
  • हालाँकि, ये मंच भारत के लिए अपने रणनीतिक हितों पर जोर देने, अपने आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में काम करते हैं।

क्वाड में भारत की भूमिका

  • सुरक्षा और रक्षा सहयोग : इसके सदस्य देश क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैन्य और सुरक्षा सहयोग बढ़ाते हैं। भारत इसमें एक महत्वपूर्ण भागीदार है और इस गठबंधन के माध्यम से अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है।
  • स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक : इसका उद्देश्य एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करना है। भारत इस दृष्टिकोण का समर्थन करता है और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में कार्य करता है।
    • 2018 में, भारत ने  SAGAR और IPOI के साथ क्वाड के उद्देश्यों को संरेखित करने का प्रयास किया। इन पहलों का उद्देश्य महासागरों में चीनी आक्रामकता को रोकना है।
  • आर्थिक और तकनीकी सहयोग : Quad देश विभिन्न आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देते हैं, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा, 5G नेटवर्क, और उभरती प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। भारत इस सहयोग का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक और तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाता है।
  • मानवीय और आपदा राहत : इसके सदस्य देश प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकटों में सहयोग करते हैं। भारत इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर क्षेत्रीय आपदाओं में सहायता और राहत कार्यों में।
  • क्षेत्रीय स्थिरता : इसके माध्यम से भारत क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करता है। यह गठबंधन भारत को क्षेत्रीय मुद्दों पर एक मजबूत आवाज़ देता है।

AUKUS का गठन 

  • भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ AUKUS का गठन किया गया। 
  • विशेष रूप से इसका गठन ऑस्ट्रेलिया की परमाणु पनडुब्बियों के साथ, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और चीन को रोकने के लिए केंद्र में रखकर किया गया। 

क्वाड (Quad)

  • क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quadrilateral Security Dialogue : QSD) के नाम से जाना जाने वाला क्वाड एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है।
  • 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने क्वाड के गठन का विचार रखा था।
  • शामिल देश : संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान।
  • उद्देश्य : 
    • एक स्वतंत्र, खुले, समृद्ध और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए काम करना 
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक समुद्री मार्गों को किसी भी सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना 
      • इसे मूल रूप से चीनी वर्चस्व को कम करने के लिए एक रणनीतिक समूह के रूप में देखा जाता है। 
    • एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था, नेविगेशन की स्वतंत्रता और एक उदार व्यापार प्रणाली को सुरक्षित करना 
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण वित्तपोषण की पेशकश करना 
  • मालाबार सैन्य अभ्यास क्वाड समूह का एक प्रमुख नौसैनिक सैन्य अभ्यास है। 

ब्रिक्स की क्षमताएँ

  • आर्थिक क्षमता : संयुक्त रूप से, ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्था का मूल्य 28.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है - जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28% है। ये देश वैश्विक आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं और इनके पास विशाल बाजार, संसाधन और उत्पादकता क्षमता है।
  • जनसंख्या : ब्रिक्स देशों की संयुक्त जनसंख्या लगभग 3.5 बिलियन है , जो विश्व की कुल जनसंख्या का 45% है। इससे उन्हें एक विशाल उपभोक्ता आधार मिलता है, जो आर्थिक विकास को और बढ़ावा देता है।
  • प्राकृतिक संसाधन : ब्रिक्स देश प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध हैं, जिसमें ऊर्जा संसाधन (जैसे- तेल, गैस और कोयला), खनिज और कृषि उत्पाद शामिल हैं। इन संसाधनों का उत्पादन और निर्यात इनकी आर्थिक क्षमता को मजबूत करता है।
  • तकनीकी और वैज्ञानिक विकास : ब्रिक्स देशों में तकनीकी और वैज्ञानिक शोध और विकास में काफी प्रगति हुई है। भारत और चीन विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और नवाचार में अग्रणी हैं।
  • वैश्विक राजनीति में भूमिका : ब्रिक्स संगठन वैश्विक मंचों पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये देश विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और वैश्विक शासन में सुधार के लिए जोर देते हैं।
  • सहयोग और व्यापार : ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ रहा है। आपसी सहयोग से ये देश अपनी आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।

भारत के लिए ब्रिक्स का महत्त्व 

  • आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) जैसी पहलों के माध्यम से आर्थिक सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना है।
    • भारत न्यू डेवलपमेंट बैंक का संस्थापक सदस्य है। 
  • वैश्विक शासन सुधार: भारत आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार की वकालत करने के लिए ब्रिक्स को एक मंच के रूप में उपयोग करता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक शासन में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आवाज और प्रतिनिधित्व को बढ़ाना है।
  • सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान: ब्रिक्स सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देता है और सदस्य देशों के बीच आपसी समझ को बढ़ाता है।

ब्रिक्स

  • यह विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह का संक्षिप्त नाम है।
  • सर्वप्रथम  वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत और चीन के BRIC शब्द का उपयोग किया था।
  • शुरुआत : 
    • वर्ष 2006 में ब्राजील, रूस, भारत तथा चीन (BRIC) के विदेश मंत्रियों संयुक्त बैठक से 
    • वर्ष 2009 से नियमित शिखर सम्मेलनों का आयोजन
  • वर्ष 2010 के शिखर सम्मेलन में ‘दक्षिण अफ्रीका’ को संगठन में शामिल होने के पश्चात् ब्रिक, ब्रिक्स में परिवर्तित हो गया।  
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक : वर्ष 2014 में, ब्रिक्स देशों ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए
  • ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात को 1 जनवरी 2024 से ब्रिक्स में शामिल किया गया है।

भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमजोर स्थिति : यूक्रेन युद्ध और इजरायल-गाजा संघर्ष में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन तथा रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान की मजबूत होती धुरी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार की संभावनाओं को कमजोर करती है।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव : चीनी प्रभाव सिर्फ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अन्यत्र भी बढ़ रहा है। आसियान देश तेजी से कमजोर होते जा रहे हैं, जिसमें दक्षिण चीन सागर एक फ्लैशपॉइंट बना हुआ है।
    • चीन द्वारा क्वाड को एक एशियाई नाटो का दर्जा देना 
    • क्वाड के कुछ सदस्य और यूरोपीय देशों की चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि होना
  • रूस के साथ भारत की नजदीकी : भारत की रूस के साथ घनिष्ठ संबंध की स्वतंत्र नीति और यूक्रेन युद्ध के लिए कूटनीतिक समाधान की मांग, पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। 
  • ब्रिक्स का विस्तार : भारत ब्रिक्स का विस्तार करने के पक्ष में नहीं हैं। 
    • 2018 में, रुसी राष्ट्रपति ने भी दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को उद्धृत करते हुए ब्रिक्स का विस्तार करने के प्रति अपनी अनिच्छा को रेखांकित किया।
    • लेकिन क्वाड और यूक्रेन की स्थिति के बाद, रूस ने भी ब्रिक्स की क्षमता को महसूस करते हुए पश्चिम को पीछे धकेलने के लिए चीन के समर्थन को आगे बढ़ाया।  

निष्कर्ष

ब्रिक्स संगठन अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए भारत को अधिक संलग्न होने की आवश्यकता है। चूंकि भारत क्वाड और ब्रिक्स दोनों में शामिल एकमात्र देश है, इसलिए वह एक के लिए दूसरे को कमतर आंकने का जोखिम नहीं उठा सकता है।

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