(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3 : विषय - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, कम्प्यूटर, रोबोटिक्स)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, चीन ने गूगल के सुपर कम्प्यूटर के प्रोटोटाइप से 10 बिलियन गुना तेज़ कम्प्यूटर का निर्माण करने और इस क्षेत्र में अपनी क्वांटम सुप्रीमेसी (Quantum Supremacy) का दावा किया है।
- ध्यातव्य है कि विगत वर्ष गूगल ने विश्व के सबसे उन्नत सुपर कम्प्यूटर बनाने की घोषणा की थी, जो साइकामोर नामक एक क्वांटम प्रोसेसर (Cycamore Quantum Processor) की सहायता से किसी गणना को 200 सेकंड में हल कर सकता है, जिसे विश्व के अन्य सबसे तेज़ सुपर कम्प्यूटर 10,000 वर्ष में हल कर पाएंगे।
क्या है ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’?
- कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जॉन प्रेस्किल द्वारा वर्ष 2012 में सर्वप्रथम ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’ शब्द का प्रयोग किया गया था।
- क्वांटम सुप्रीमेसी एक ऐसी तकनीक है, जो कम्प्यूटिंग की स्पीड को बहुत अधिक बढ़ाती है, इसके द्वारा कैलकुलेशन प्रोसेसिंग की स्पीड बढ़ाकर समय की बचत की जा सकती है।
- क्वांटम कम्प्यूटर्स डेस्कटॉप या लैपटॉप के डिज़ाइन में असेम्बल नही होते हैं, बल्कि ये अलग-अलग पार्ट्स में होते हैं, जिन्हें सर्वर रूम में रखा जाता है।
- ऐसा माना जा रहा है कि क्वांटम प्रोसेसरों के कारण न सिर्फ बड़े डेटा और इंफॉर्मेशन को बहुत कम समय में प्रोसेस किया जा सकेगा बल्कि नई दवाओं की खोज से लेकर शहरों का मैनेजमेंट और ट्रांसपोर्ट जैसे काम भी आसान हो जाएंगे।
क्रांतिकारी तकनीक
- क्वांटम कम्प्यूटिंग विश्व की वर्तमान दशा-दिशा बदलने की क्षमता रखती है। यह दवाओं और चिकित्सा के क्षेत्र से लेकर, संचार के तौर-तरीकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को पूरी तरह से बदलकर रख देगी।
- वर्तमान में आई.बी.एम. (IBM), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल (Google Inc.) जैसी बड़ी आई.टी.कम्पनियाँ इसे बनाने का प्रयास कर रही हैं। अमेरिका (America) और चीन (China) ने इस तकनीक को सबसे पहले हासिल करने के लिये अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है।
- विगत वर्ष गूगल के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उन्होंने क्वांटम सुप्रीमेसी तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है।
- करीब 35 सालों से इस तकनीक पर काम कर रहे गूगल ने तो यहाँ तक घोषणा कर दी थी कि उसने इस क्वांटम चिप की मदद से सामान्य कम्प्यूटर से होने वाले 10 हज़ार साल की गणना को 200 सेकंड्स में ही पूरा कर लिया था। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट और आई.बी.एम. ने गूगल के इस दावे को झूठा करार दिया था।
क्वांटम कम्प्यूटर और उनकी तकनीक
- एक साधारण कम्प्यूटर चिप बिट्स (Bits) का उपयोग करता है। ये छोटे स्विच की तरह होते हैं जिन्हें शून्य से दर्शाया जाता है। प्रत्येक ऐप जिनका हम उपयोग करते हैं, हर वो वेबसाइट जिसे हम खोलते हैं और हर फोटो जो हम कैमरे या मोबाइल से खींचते हैं, वे सभी ऐसे ही लाखों-करोड़ों बिट्स और 1 व 0 के संयोजन से बनती हैं।
- लेकिन यह तकनीक हमें आज तक यह नहीं बता पाई कि वास्तव में ब्रह्मांड किस तरह काम करता है। यहाँ तक कि मानव द्वारा बनाए गए सबसे बेहतरीन सुपर कम्प्यूटर भी आज तक इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए।
- पिछली शताब्दी में भौतिक विज्ञानियों ने पता लगाया था कि अगर हम इतने छोटे हो जाएँ कि माइक्रोस्कोप से भी नज़र न आएँ तब हमारे शरीर पर गुरुत्वाकर्षण और ब्रह्मांड बिल्कुल अलग तरह का प्रभाव डालेगा। इन्हीं प्रभावों के बारे में क्वांटम तकनीक इस्तेमाल की जाती है।
- बिट्स की बजाय क्वांटम कम्प्यूटर क्यूबिट्स (Qbits) का उपयोग करते हैं। यानी बिट्स की तरह ऑन या ऑफ होने की बजाय ये क्यूबिट्स उस स्थिति में भी हो सकते हैं जिसे 'सुपरपोजिशन' (Super Position) कहा जाता है, जहाँ वे एक ही समय में ऑन या ऑफ अथवा दोनों के बीच की स्थिति (Spectrum) में भी हो सकते हैं।
- क्यूबिट्स की सुपर पोजिशन ही क्वांटम तकनीक को इतना शक्तिशाली बनाती है। इसे ऐसे समझें कि अगर हम एक साधारण कम्प्यूटर को भूलभुलैया से बाहर निकलने का रास्ता बताने के लिये कहें तो वह हर सम्भव रास्ते को बारी-बारी से आजमाएगा जब तक कि सही रास्ता न मिल जाए जबकि एक क्वांटम कम्प्यूटर एक ही बार में भूलभुलैया से बाहर निकलने वाले हर रास्ते को दिखा सकता है।
- यह दो सम्भावित सिरों के बीच मौजूद अनिश्चितता को पकड़ लेता है, जो साधारण कम्प्यूटर के बस की बात नहीं है। भौतिक विज्ञानी अभी भी पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि यह कैसे या क्यों काम करता है। लेकिन क्वांटम कम्प्यूटिंग की मदद से हम उन जटिल सवालों के जवाब भी पा सकते हैं जिन्हें हल करने में हमारे सुपर कम्प्यूटर्स को लाखों साल लगेंगे।
क्वांटम कम्प्यूटर की क्षमताएँ
- क्वांटम कम्प्यूटर तेज़ी से या अधिक कुशलता (Lightning Speed and Accurecy) से काम करने तक सीमित नहीं है। इससे हम ऐसे काम भी कर सकेंगे जिनके बारे में हमने कभी कल्पना तक नहीं की है।
- इनकी मदद से हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी को तेज़ी से विकसित कर सकेंगे। गूगल पहले से ही सेल्फ ड्राइविंग कारों (self-Driving Cars) के सॉफ्टवेयर में सुधार करने के लिये उनका उपयोग कर रहा है।
- हमारे सुपर कम्प्यूटर केवल बुनियादी अणुओं (Molecules) का ही विश्लेषण कर सकते हैं लेकिन क्वांटम कम्प्यूटर उन्हीं बुनियादी अणुओं का उपयोग उन्हें समझने की कोशिश के दौरान ही कर सकता है। इसका मतलब है ज़्यादा कुशल और आधुनिक उत्पाद, बेहतर चिकित्सा तकनीक, सस्ती दवाएँ और बड़े पैमाने पर बेहतर सौर पैनलों का निर्माण, जो इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी का नया विकल्प बन सकती हैं।
- वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि क्वांटम तकनीक अल्ज़ाइमर का कारगर इलाज खोजने में मदद कर सकती है।
- इसके अलावा शेयर बाज़ार और मौसम का सटीक पूर्वानुमान, क्रिप्टोग्राफी में सुधार कर एन्क्रिप्शन सिस्टम को सपुरफास्ट और सरल बनाना जैसे काम क्वांटम कम्प्यूटर चुटकियों में कर सकता है।
- दुनिया भर में खुफिया एजेंसियों के पास बड़ी मात्रा में एन्क्रिप्टेड डेटा को ट्रैक करने में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। क्वांटम एन्क्रिप्शन को कॉपी या हैक नहीं किया जा सकता है। ये पूरी तरह से किसी भी प्रकार की सेंधमारी से मुक्त होंगे।