कुदसिया बाग के बारे में
- वर्तमान में कुदसिया बाग परिसर में एक खंडहर प्रवेश द्वार, एक मस्जिद और एक स्तंभित मंडप है जो इस उद्यान की ऐतिहासिकता को बयां करता है।
- अवस्थिति:
- दिल्ली के उत्तरी दिल्ली जिले में स्थित, कुदसिया बाग 18वीं सदी का 20 एकड़ भूमि में फैला हुआ एक उद्यान परिसर है।
- निर्माण:
- इस परिसर का निर्माण वर्ष 1748 में मुगल सम्राट मोहम्मद शाह रंगीला की पत्नी कुदसिया बेगम ने करवाया था।
- इस उद्यान को शाहजहानाबाद की शहर की दीवारों के बाहर फारसी चारबाग शैली में बनाया गया था।
- इस परिसर में मंडपों (बारादरी), पानी के चैनलों और एक मस्जिद के साथ एक शानदार आनंद उद्यान भी है।
- पड़ोस में बहती यमुना इसको एक आदर्श उद्यान के रूप में स्थापित करती है।
- बारादरी, जिसे बारा दारी भी कहा जाता है, एक इमारत या मंडप है जिसमें बारह दरवाजे हैं जो हवा के प्रवाह बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
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राष्ट्रीय आंदोलनों में भूमिका:
- यह उद्यान उन स्थानों में से एक था जिसने वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और घटनाओं के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था।
- ऐसा कहा जाता है कि उद्यान परिसर में स्थित मस्जिद का उपयोग क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश सैनिकों पर गोलीबारी करने के लिए किया गया था।
- ऐसा भी कहा जाता है कि “अंग्रेजों ने इसमें खट्टे पेड़ों को काट दिया और बैटरियां बनाईं, जिन पर उन्होंने शहर पर बमबारी करने के लिए तोपें रखीं।"
- कुदसिया बाग में ही केंद्रीय विधान सभा में बम फेंकने के मिशन से पहले भगत सिंह और उनके साथियों ने आखिरी मुलाकात की थी।
- ऐसा कहा जाता है कि सभा में उपस्थित महिला क्रांतिकारियों ने प्रस्थान से पहले अपने माथे पर खून का तिलक लगाया था।
- ऐतिहासिक रूप से "बैटरी" शब्द का तात्पर्य तोपों के एक समूह से है, जो या तो युद्ध के दौरान अस्थायी क्षेत्र में या किसी किले या शहर की घेराबंदी करने में प्रयोग किया जाता था।
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कुदसिया बेगम के बारे में:
- कुदसिया बेगम का मूल नाम उधम बाई था, जो एक नर्तकी थीं; जिन्होंने रंगीला से शादी की।
- विवाह पश्चात बेगम की पूर्व स्थिति और प्रभाव लगभग समाप्त हो गया, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपने ही बेटे अहमद शाह से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी।
- हालाँकि, रंगीला की मृत्यु के पश्चात वह एक शक्तिशाली महिला के रूप में उभरी।
- जिसके बारे में कहा जाता है कि साम्राज्य की वास्तविक बागडोर उसके हाथों में थी और “वह खुद को अपने समय की नूरजहाँ (सम्राट जहाँगीर की पत्नी) मानती थी तथा उसने खुद को राजमाता के रूप में स्थापित भी किया था”।
- गौरतलब है कि अहमद शाह को एक कमजोर राजा माना जाता था, इसलिए बेगम साम्राज्य को अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करती थी।
- कुदसिया बेगम भी नूरजहाँ की तरह, ऐसे स्मारक बनाना चाहती थी जिससे लोगों को उसे याद रखने के लिए कुछ मिले।
- इस प्रकार कुदसिया बाग (एक आनंद उद्यान) और सुनहरी मस्जिद, जो लाल किले के पास स्थित थी, का निर्माण करवाया।