(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 2 व 3 : स्वास्थ्य, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश, आपदा प्रबंधन)
संदर्भ
पिछले कुछ माह में भारत में कोविड-2.0 के संक्रमण के मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है। एक समय इन मामलों की संख्या चार लाख प्रतिदिन के आँकड़ों को पार कर गई थी।
कोविड-2.0 आने के कारण
- लोगों में 'कोविड-उपयुक्त व्यवहार' यथा– मास्क व सैनेटाइज़र का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखना आदि में कमी आना।
- राजनीतिक समारोहों का आयोजन किया जाना।
- कोरोना विषाणु में उत्परिवर्तन से नए वैरिएंट का उत्पन्न होना।
कोरोना विषाणु के नए वैरिएंट
- वैज्ञानिक समुदाय विषाणु में हुए उत्परिवर्तन का कोविड मामलों में हुई वृद्धि से संबंध स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। विषाणु में होने वाला उत्परिवर्तन उसे लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करता है।
- उत्परिवर्तन से निर्मित कोरोना विषाणु के एक वैरिएंट को B.617 नाम दिया गया है। इसकी संक्रमण दर अपेक्षाकृत अधिक है। पहली बार यह वैरिएंट महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में देखा गया था। इसके अलावा, तेज़ी से फैलने वाला B.1.1.7 नामक एक अन्य वैरिएंट यूनाइटेड किंगडम सामने आया था, इसकी बड़ी संख्या उत्तर भारत में भी देखी गई है।
- वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना विषाणु के नए वैरिएंट्स को कोविड-19 के मामलों में हुई वृद्धि का एक कारण तो माना जा सकता है, लेकिन एकमात्र कारण नहीं।
वायरस की स्थानिक भिन्नता
- दिल्ली स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी’ (IGIB) के अनुसार, नए वैरिएंट्स देश के कई हिस्सों में पाए गए हैं, लेकिन इन्हें कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। दरअसल, ''जिन स्थानों पर सबसे ज्यादा मामले सामने आए, वहाँ वैरिएंट अपेक्षाकृत कम अथवा नगण्य मात्र में मिले।”
- उदाहरणार्थ, महाराष्ट्र के विदर्भ में तो कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के लिये B.1.617 वैरिएंट को ज़िम्मेदार माना जा सकता है, मुंबई में मामलों की वृद्धि के लिये नहीं क्योंकि मुंबई में इस वैरिएंट से ग्रसित रोगियों की संख्या नगण्य पाई गई। अतः मुंबई में किन्हीं अन्य कारकों के चलते मामलों में वृद्धि हुई।
- केरल में N440K नामक वैरिएंट पाया गया, लेकिन केरल में हुई कोविड-19 मामलों की वृद्धि में इसकी भूमिका नहीं पाई गई।
- पंजाब और हरियाणा में यू.के. के वैरिएंट पाए गए और इन वैरिएंट्स के वजह से दोनों राज्यों में कोविड-19 के मामले भी बढ़े। एक अध्ययन के अनुसार, पंजाब में संक्रमित लोगों में से 80% से अधिक लोगों में यू.के. वाला वैरिएंट पाया गया। जबकि दिल्ली में यू.के. के वैरिएंट के अलावा, देश के विभिन्न राज्यों में पाए गए लगभग सभी वैरिएंट मिले।
- इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील आदि देशों में भी कोरोना वायरस के वैरिएंट्स पाए गए हैं। इनमें से ब्राज़ील में प्राप्त हुए वैरिएंट को 1.618 नाम दिया गया है।
वैरिएंट्स में परिवर्तन
कोरोना वायरस के भारत में पाए गए B.1.617 नामक वैरिएंट को पहले भारत ने चिंताजनक करार दिया, तत्पश्चात् डब्ल्यू.एच.ओ. ने भी इसे ‘वैश्विक रूप से चिंताजनक वैरिएंट’ घोषित कर दिया। इस वैरिएंट हुए अन्य परिवर्तनों के कारण B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 नामक नए उप-वैरिएंट भी सामने आए हैं। इनकी संक्रमण दर मौलिक वैरिएंट से भी अधिक है।
निष्कर्ष
- आई.जी.आई.बी. के अनुसार, ये तीनों नए उप-वैरिएंट चिंता का सबब बन सकते हैं। ऐसे में, न सिर्फ भारत को प्रौद्योगिकीय विकास व अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिये, बल्कि समूचे वैश्विक समुदाय को इस महामारी से निपटने के लिये कदमताल करनी चाहिये।