(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)
संदर्भ
हाल ही में, केंद्र सरकार ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्री सामान टैग को रेडियो आवृत्ति पहचान (Radio-Frequency Identification : RFID) से संबद्ध करने की योजना बनाई है। वर्तमान में यात्री सामान टैग को बारकोड से संबद्ध किया जाता है। हवाई अड्डे पर प्रयोग की जाने वाली आर.एफ.आई.डी. तकनीक व्यक्तिगत होगी और यात्रियों को उनके चेक-इन सामान पर नज़र रखने में मदद करेगी।
क्या है रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक
आर.एफ.आई.डी. एक ऐसी तकनीक है जो विभिन्न टैग की गई वस्तुओं को स्वचालित रूप से पहचानने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। यह एक वायरलेस ट्रैकिंग विधि है जो वस्तुओं को ट्रैक करने के लिये टैग और रीडर का उपयोग करती है।
कार्यप्रणाली
इस प्रणाली के अंतर्गत ट्रांसपोंडर, रिसीवर और ट्रांसमीटर तीन घटक होते हैं। आर.एफ.आई.डी. रीडर निरंतर संबद्ध प्रणाली को एक विशिष्ट आवृत्ति की रेडियो तरंगें भेजता है। जिस वस्तु से आर.एफ.आई.डी. टैग जुड़ा हुआ है और यदि वह रेडियो तरंगों की सीमा के भीतर है, तो यह आर.एफ.आई.डी. रीडर को प्रतिक्रिया प्रदान करता है, जिसके आधार पर वस्तु की पहचान की जाती है।
आर.एफ.आई.डी. के विभिन्न प्रकार
- आर.एफ.आई.डी. टैग मुख्यतः 3 प्रकार के होते है सक्रिय टैग, अर्ध-निष्क्रिय टैग और निष्क्रिय टैग।
- सक्रिय टैग का आंतरिक सर्किट एक शक्ति स्रोत द्वारा संचालित होता है। इस टैग को सक्रिय करने के लिये बैटरियों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह बिजली आपूर्ति का भी उपयोग करता है।
- अर्ध-निष्क्रिय टैग में एक शक्ति स्रोत के साथ एक आंतरिक सर्किट उपलब्ध होता है, लेकिन प्रतिक्रिया प्रसारित करने के लिये रीडर (आर.एफ.आई.डी. रीडर) से प्राप्त रेडियो तरंगों पर निर्भर होता है।
- निष्क्रिय टैग के लिये बिजली की आपूर्ति नहीं होती है। ये आर.एफ.आई.डी. रीडर से आने वाली रेडियो तरंगों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- विदित है कि आर.एफ.आई.डी. सिस्टम द्वारा कम आवृत्ति, उच्च आवृत्ति और अल्ट्रा-उच्च आवृत्ति बैंड का उपयोग किया जाता है।
क्या है बारकोड
बारकोड कंप्यूटर सिस्टम में डाटा दर्ज करने के लिये उपयोग की जाने वाली समानांतर पंक्तियों या अलग-अलग चौड़ाई की पंक्तियों की एक मुद्रित शृंखला है। यह एक सफेद पृष्ठभूमि पर काले रंग की पंक्तिया होती हैं जो कि चौड़ाई और मात्रा में भिन्न होते हैं। 1970 के दशक में अपनी शुरुआत के बाद से, बारकोड दैनिक जीवन में व्यावसायिक गतिविधि का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। इसका प्रयोग किराने की दुकानों से लेकर हवाई अड्डों तक किया जाता है।
कार्यप्रणाली
- बार बाइनरी अंक शून्य और एक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो डिजिटल कंप्यूटर द्वारा संसाधित शून्य से नौ तक के अंकों का प्रतिनिधित्व करते है।
- इन बारकोड को विशेष ऑप्टिकल स्कैनर का उपयोग करके स्कैन किया जाता है जिन्हें बारकोड रीडर कहा जाता है। बारकोड के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक क्यू.आर. (QR) कोड है।
- इनमें से अधिकांश बार कोड में केवल दो अलग-अलग चौड़ाई वाली कई लाइनों का उपयोग होता है, जबकि कुछ चार अलग-अलग चौड़ाई वाली लाइनों का भी उपयोग करते हैं। बारकोड के नीचे उनके नंबर भी प्रिंट होते हैं।
दोनों प्रणालियों में अंतर
- कागज या लेबल पर मुद्रित होने के कारण, बारकोड अति संवेदनशील होते हैं, जो उनकी पठनीयता को प्रभावित कर सकते हैं। दूसरी ओर, आर.एफ.आई.डी. टैग को प्लास्टिक के लेबल में या वस्तु में रखा जाता है, जिससे वे बारकोड की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं।
- बारकोड स्कैनर के विपरीत, आर.एफ.आई.डी. स्कैनर एक सेकंड में दर्जनों टैग को प्रोसेस कर सकता है।
- बारकोड सरल और नकल करने में आसान होते हैं, जबकि आर.एफ.आई.डी. अधिक जटिल होते हैं, जिनका नकल करना कठिन होता है। इसके अलावा, बारकोड की तुलना में आर.एफ.आई.डी. टैग महंगे होते हैं।
- बारकोड मानवीय त्रुटि के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जिससे इनकी सटीकता का मूल्यांकन करना अधिक कठिन हो जाता है।
- आर.एफ.आई.डी. आवृत्तियों को बारकोड आवृत्तियों की तुलना में अधिक दूरी तक प्रेषित किया जा सकता है। यहीं कारण है कि आर.एफ.आई.डी. प्रौद्योगिकी में डाटा सुरक्षा के मुद्दों भी शामिल हैं, क्योंकि इसमें बिना सहमति के व्यक्तिगत जानकारी के सार्वजानिक होने का खतरा बना होता है।