प्रारम्भिक परीक्षा - ऑनर ऑफ डेड बॉडी बिल मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2 |
चर्चा में क्यों
राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान मृत शरीर सम्मान विधेयक (The Rajasthan Honour of Dead Body Bill) 2023 पारित कर दिया, जो शव के साथ विरोध प्रदर्शन को दंडित करता है।
प्रमुख बिंदु
- विधेयक मृत व्यक्ति के परिवार को जल्द से जल्द शव को स्वीकार करने के लिए बाध्य करता है। साथ ही, जिला प्रशासन को शव को जब्त करने और अंतिम संस्कार करने का अधिकार देता है।
- इसके अलावा अगर शव के साथ विरोध प्रदर्शन किया जाता है, तो पांच साल तक की सजा हो सकती है।
- संसदीय कार्य मंत्री के अनुसार, ऐसे मामले बढ़ रहे हैं, जहां परिवार शव लेकर बैठ जाता है और मुआवजे की मांग करता है।
- किसी शव को 7-8 दिनों तक रखना और नौकरी या पैसे की मांग करना लोगों की आदत बनती जा रही है।
- वर्ष 2014 से 2018 के बीच ऐसे 82 मामले आए थे, जहां परिवार शव लेकर बैठ गया और मुआवजे की मांग शुरू कर दिया । शव के साथ विरोध प्रदर्शन पर 30 पुलिस मामले दर्ज किये गये।
- वर्ष 2019 और 2023 के बीच ऐसे 306 मामले हुए हैं, जिसमें 91 पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं।
- कुछ अन्यायपूर्ण मौतों के मामलों में मुआवजे के प्रावधान पहले से ही पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मौजूदा कानूनों द्वारा कवर किया गया है।
- विधेयक के अनुसार, यदि परिवार का कोई सदस्य किसी शव को नहीं लेता है, तो उसे एक साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
- किसी शव के साथ विरोध/प्रदर्शन करने या इसके लिए सहमति देने पर दो साल तक की कैद और जुर्माना होगा । साथ ही अगर परिवार के सदस्य के अलावा कोई अन्य व्यक्ति विरोध प्रदर्शन के लिए शव का उपयोग करता है, तो उन्हें छः महीने से पांच साल तक की कैद और जुर्माना लगाया जाएगा।
- विधेयक की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह मृत व्यक्ति को अंतिम संस्कार का अधिकार देता है
- इस विधेयक में डेटासेट के रखरखाव और लावारिस शवों के निपटान का प्रावधान है।
विधेयक का विरोध
- इस कानून की तुलना आपातकाल के दौरान भारत रक्षा अधिनियम (डीआईआर) और आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (एमआईएसए) से करते हुए कहा गया कि हमारी संस्कृति ऐसी है कि कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों के शव के साथ तब तक विरोध नहीं करता जब तक कि कोई ठोस कारण न हो।
- आदिवासी समुदाय के अनुसार , यह विधेयक आदिवासी समुदाय के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि ऐसी मौतों पर बड़ों द्वारा मौताणा प्रथा के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने की परंपरा है, इसलिए आदिवासी समुदाय को इस विधेयक से छूट दी जाए।
ध्यातव्यहै कि मौताणा का उद्देश्य आरोपी को आर्थिक दंड और पीड़ित को सहायता देना है ।
- यह विधेयक आदिवासी विरोधी है और इससे और अधिक समस्याएं पैदा होंगी।
प्रश्न : राजस्थान मृत शरीर सम्मान विधेयक, 2023 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह विधेयक जिला प्रशासन को शव को जब्त करने और अंतिम संस्कार करने से रोकता है। 2. यह मृत व्यक्ति को अंतिम संस्कार का अधिकार देता है 3. यदि परिवार शव को नहीं लेता है, तो उसे पांच साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक (b) केवल दो (c) सभी तीनों (d) कोई भी नहीं
उत्तर: (b)
- मुख्य परीक्षा प्रश्न: राजस्थान मृत शरीर सम्मान विधेयक, 2023 के प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा कीजिए।
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