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राजीव गाँधी हत्याकांड 

(प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-1 : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान)
(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।)

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी छह दोषियों को समय सीमा से पहले ही रिहा करने का आदेश दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • इन दोषियों में नलिनी श्रीहरन, आर.पी. रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार शामिल है।
  • शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग करते हुए 30 वर्ष से अधिक जेल में रहने के पश्चात् इन दोषियों की रिहाई का आदेश दिया है। 
  • ज्ञातव्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या मई, 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा की गई थी।  

अनुच्छेद 142 की विशेषताएँ

  • भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय के संवैधानिक शक्तियों के प्रतिबंध और सीमाओं के रूप में कार्य करता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय के वे विशेषाधिकार हैं जहाँ सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिये न्यायपालिका अपनी सीमाओं से आगे बढ़कर निर्णय देती है।
  • यह अपने समक्ष लंबित मामलों में पूर्ण न्याय प्रदान करने हेतु आवश्यकता होने पर तदर्थ डिक्री (राजाज्ञा) पारित कर सकती है।
  • संविधान में शामिल करते समय अनुच्छेद 142 को इसलिए वरीयता दी गई थी क्योंकि सभी का यह मानना था कि इससे देश के वंचित वर्गों और पर्यावरण का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी। अतः जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही सर्वोपरि होगा।
  • व्यवहारिक रूप में देखा जाए तो कभी-कभी अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को प्राप्त शक्तियाँ इसे कार्यपालिका एवं विधायिका से सर्वोच्चता प्रदान करती हैं। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसका स्पष्टीकरण दिया कि इस अनुच्छेद का उपयोग मौजूदा कानून को प्रतिस्थापित करने के लिये नहीं, बल्कि एक विकल्प के तौर पर किया जा सकता है।

अनुच्छेद 142 के प्रावधान 

  • अनुच्छेद 142 में उच्चतम न्यायालय के डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश का उल्लेख है।
  • अनुच्छेद 142(1) में प्रावधान है कि उच्चतम न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार के प्रयोग करते हुए ऐसे निर्णय पारित कर सकता है या ऐसे आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ के लिये आवश्यक हो।  
  • ऐसा कोई निर्णय या आदेश संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के समान ही संपूर्ण भारत में प्रवर्तनीय होगा। 
  • अनुच्छेद 142(2) के अनुसार संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय को भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र के बारे में किसी व्यक्ति को हाज़िर कराने के, किन्हीं दस्तावेजों के प्रकटीकरण या पेश कराने के अथवा अपने किसी अवमान का अन्वेषण करने या दंड देने के प्रयोजन के लिये कोई आदेश जारी करने की शक्ति होंगी।

अनुच्छेद 142 के कुछ अन्य उपयोग

  • यूनियन कार्बाइड मामला (भोपाल गैस त्रासदी)।
  • बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ मामला।
  • बाबरी मस्जिद मामला।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों से लगे हुए शराब के ठेकों को प्रतिबंधित करने का मामला।
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