(प्रारंभिक परीक्षा – राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
संदर्भ
हिंदू पौराणिक ग्रंथ रामायण में राम सेतु का उल्लेख मिलता है, इसकी सत्यता की जाँच के लिये भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अंतर्गत कार्यरत केंद्रीय सलाहकारी बोर्ड ने राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) द्वारा इसकी उत्पत्ति एवं इस पर एकत्रित अवसादों के अध्ययन को मंजूरी दी है।
क्या है राम सेतु?
श्रीलंका में मन्नार की खाड़ी से लेकर भारत के रामेश्वरम तक समुद्र में दिखने वाली चट्टानों की संरचना को राम सेतु कहा जाता है। इसे एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) भी कहते है। इसकी लंबाई लगभग 48 किमी. है। गौरतलब है कि नासा ने इसका एक चित्र भी जारी किया था ।
राम सेतु पर विवाद
वर्ष 2005 में भारत सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना को मंजूरी प्रदान की थी, जिसके लिये सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक एफिडेविट प्रस्तुत किया था। इसमें इसके अस्तित्त्व को अस्वीकार कर दिया गया था, जिसे सुब्रमण्यम स्वामी ने चुनौती दी थी। फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय ने इस पुल के प्राकृतिक होने या मानव निर्मित होने की जाँच के निर्देश दिये थे।
राम सेतु प्रोजेक्ट
मुख्य परीक्षण
महत्त्व
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