प्रारम्भिक परीक्षा – रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (पर्यावरण एवं जैव-विविधता) |
संदर्भ
हाल ही में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में किये गए एक अध्ययन में बाघों में अन्तः प्रजनन (Inbreeding) अवसाद की संभावना व्यक्त की गई है।
प्रमुख बिंदु :-
- यह अध्ययन वर्ष वर्ष 1970 से वर्ष 2022 के डाटा पर आधारित है।
- इस अध्ययन में पाया गया है कि वर्ष 1970 के दशक में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में केवल 14 बाघ थे।
- वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के लागू होने से इनकी संख्या वर्ष 1980 के दशक में 40 तक पहुंच गई।
- वर्ष 2006 में यह संख्या कम होकर 16 हो गई।
- इसके बाद इस संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई जैसे; – वर्ष 2016 में यह संख्या बढ़कर लगभग 40 तक पहुंच गई, इसके पश्चात् यह संख्या वर्ष 2022 में 69 हो गई ।
- इस अध्ययन में पाया गया है कि अन्तः प्रजनन (Inbreeding) अवसाद के कारण बाघों में आनुवंशिक लक्षण में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है
- जैसे :- बाघों के शरीर में पायी जाने वाली धारियों में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है।
- इस आनुवंशिक अध्ययन से पता चला है कि रणथंभौर में अधिकांश बाघ T16 नामक एक ही बाघिन के वंशज हैं।
- इस बाघिन को 'मछली' के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका कारण यह भी है कि 15वीं शताब्दी तक, रणथंभौर के बाघ आनुवंशिक रूप से तराई क्षेत्र के बाघों से जुड़े हुए थे।
- वर्ष 2012 के एक आनुवंशिक अध्ययन ने कुनो और माधव संरक्षित क्षेत्रों में रणथंभौर से पहली पीढ़ी के प्रवासियों की पहचान की, लेकिन चिंता का विषय यह है कि रणथंभौर तेजी से मध्य भारतीय बाघ परिदृश्य के साथ अपनी भौगोलिक कनेक्टिविटी खो रहा है।
- इससे रणथंभौर के बाघों में अन्तः प्रजनन के आनुवांशिक लक्षण पाए गए हैं
अन्तः प्रजनन (Inbreeding) :-
- एक ही नस्ल के निकट संबंधी पशुओं/जीवों के बीच 4-6 पीढ़ियों तक होने वाले प्रजनन को अंतःप्रजनन कहा जाता है।
- इनब्रीडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग चयनात्मक प्रजनन में किया जाता है ।
- उदाहरण :- पशुधन प्रजनन में , प्रजनक स्टॉक में एक नई और वांछनीय विशेषता स्थापित करने और एक नस्ल के भीतर अलग-अलग परिवारों का उत्पादन करने में आदि।
- इससे किसी गुण को प्रभावित करने वाली जीन क्रिया के प्रकार का पता लगाने में भी सहायता मिलती है।
- इसका उपयोग हानिकारक अप्रभावी एलील्स को प्रकट करने के लिए भी किया जाता है
- यह घटना सभी जंगली जानवरों, पौधों और मनुष्यों में होती है।
- इससे जीवों में हानिकारक गुण विरासत में मिलते हैं, जिसे जन्मजात कहा जाता है ।
अंतःप्रजनन अवसाद का प्रभाव :-
- अंतःप्रजनन अवसाद के कारण जीव कुछ समय पश्चात् प्रजनन करने में सक्षम नहीं होते हैं।
- शारीरिक क्षमता में कमी, शारीरिक विकृति और बांझपन आदि के लक्षण पाए जाते हैं जिससे इनकी मृत्यु भी हो सकती है।
- इस प्रक्रिया को 'आनुवंशिक शुद्धिकरण' - जीन पूल कहा जाता है।
इसके बचाव के उपाय:-
- अंतःप्रजनन अवसाद से बचने के लिए जीवों के बीच क्रॉसब्रीडिंग या आउटक्रॉसिंग प्रजनन कराया जाता है।
- इसका प्रजनन का प्रभाव कभी-कभी सकारात्मक होता है, तो कभी-कभी नकारात्मक भी होता है।
- इसे आउटब्रीडिंग डिप्रेशन के रूप में जाना जाता है।
- जैसे:- एक स्वस्थ नर और स्वस्थ मादा के बीच कराये गए क्रॉसब्रीडिंग या आउटक्रॉसिंग का परिणाम सकारात्मक आता है, वहीं किसी अस्वस्थ नर और मादा के मध्य कराये गए क्रॉसब्रीडिंग या आउटक्रॉसिंग का परिणाम नकारात्मक आता है।
निष्कर्ष
- अंतःप्रजनन अवसाद मुख्य रूप से बड़ी आबादी के बजाय छोटी आबादी में ही देखा जाता है। जैसा :- रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के बाघों में देखा गया है।
- यह लक्षण विशेष रूप निकट संबंधी में पाया जाता है।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
- इसका नाम ऐतिहासिक रणथंभौर किले के नाम पर रखा गया है, जो इस राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है।
- इसकी स्थापना शुरुआत में भारत सरकार द्वारा वर्ष 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में की गई थी।
- वर्ष 1973 में, इसे प्रोजेक्ट टाइगर तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
- 1 नवंबर, 1980 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया ।
- यह राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर से लगभग 13.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यह अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के मिलन बिंदु पर स्थित है।
- इसका क्षेत्रफल लगभग 1,334 किमी 2 (515 वर्ग मील) है।
- यह उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी से घिरा है।
- वन्यजीव:- इस राष्ट्रीय उद्यान में बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, नीलगाय, जंगली सूअर, सांभर, धारीदार लकड़बग्घा, सुस्त भालू आदि पाए जाते हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 270 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले पक्षी : क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल , पेंटेड फ्रैंकोलिन और इंडियन पैराडाइज़ फ्लाईकैचर आदि हैं।
- इस उद्यान में लगभग 300 से अधिक उष्णकटिबंधीय शुष्क वृक्षों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- हाल ही में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में किये गए एक अध्ययन में बाघों में अन्तः प्रजनन (Inbreeding) अवसाद के आनुवंशिक लक्षण देखे गए हैं।
- अंतःप्रजनन अवसाद के कारण जीवों के प्रजनन करने में सक्षमता में कमी आ जाती है।
- अंतःप्रजनन अवसाद के कारण जीवों में शारीरिक विकृति और बांझपन आदि लक्षण पाए जाते हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : अंतःप्रजनन अवसाद क्या है? इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
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स्रोत : DOWN TO EARTH