प्रारंभिक परीक्षा: दुर्लभ पृथ्वी तत्व। मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 - ऊर्जा। |
संदर्भ
- हाल ही में, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) के वैज्ञानिकों ने आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों (rare-earth elements (REEs)) की उपस्थिति की खोज की है।
दुर्लभ-पृथ्वी तत्व (rare-earth elements (REEs))
- दुर्लभ-पृथ्वी तत्व (REE) 17 तत्वों का एक समूह है, जिसमें लैंथेनम, सेरियम, प्रेजोडायमियम, नियोडिमियम, येट्रियम, हेफ़नियम, टैंटलम, निओबियम, ज़िरकोनियम और स्कैंडियम आदि शामिल हैं।
- इन तत्वों के अद्वितीय चुंबकीय, ऑप्टिकल और उत्प्रेरक गुणों के कारण इनका व्यापक रूप से विभिन्न आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किया जाता है, जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, जेट विमान आदि में।
- इसका उपयोग इमेजिंग, एयरोस्पेस और रक्षा औद्योगिक जैसे क्षेत्रों में भी संभव है।
SHORE प्रोजेक्ट और REEs की खोज
- यह खोज काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा 'शैलो सबसर्फेस इमेजिंग ऑफ इंडिया फॉर रिसोर्स एक्सप्लोरेशन' (SHORE) नामक एक परियोजना के तहत वित्त पोषित एक अध्ययन का हिस्सा थी।
- NGRI के वैज्ञानिकों ने "संपूर्ण रॉक विश्लेषण" में REE की समृद्ध मात्रा पाई।
- कम से कम एक किलोमीटर गहराई तक ड्रिलिंग करने से तत्वों की भूमिगत उपस्थिति की स्थिरता का पता लगाने में मदद मिलेगी।
खोज का महत्व
- आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में REE की खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में इन तत्त्वों की उच्च मांग है, परंतु इनकी आपूर्ति सीमित है।
- REE अपनी बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण भू-राजनीतिक चिंता का विषय बन गए हैं।
- चीन वर्तमान में दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों (REE) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, जो वैश्विक उत्पादन के 80% से अधिक के लिए जिम्मेदार है।
- देश में REE के महत्वपूर्ण भंडार हैं और इसके खनन के लिए भारी निवेश किए जा रहे हैं।