मध्य प्रदेश सरकार ने ‘रातापानी वन्यजीव अभयारण्य’ को राज्य का आठवाँ बाघ अभयारण्य घोषित कर दिया गया है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह घोषणा की है।
यह अधिसूचना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 के तहत जारी की गई, जिसमें कोर क्षेत्र को बाघों के लिए महत्वपूर्ण आवास माना गया।
रातापानी बाघ अभयारण्य के बारे में
रातापानी वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश के रायसेन एवं सीहोर जिले में स्थित है। इसका विस्तार विंध्य पहाड़ियों के मध्य 825.90 वर्ग किलोमीटर में है।
रातापानी को वर्ष 1976 में वन्यजीव अभयारण्य अधिसूचित किया गया था और पुनः वर्ष 1983 में इसका विस्तार किया गया।
नर्मदा नदी अभयारण्य के उत्तरी किनारे पर समानांतर प्रवाहित होती है एवं कोलार नदी इसकी पश्चिमी सीमा बनाती है।
इस अभयारण्य में भीम बैठक चट्टानों एवं शैलचित्रों का एक समूह है जो यूनेस्को द्वारा घोषित ‘विश्व धरोहर स्थल’ में से एक है।
इस अभयारण्य के अंतर्गत प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल, जैसे- गिन्नौरगढ़ किला, केरी महादेव, रातापानी बांध, झोलियापुर बांध आदि शामिल हैं।
यहाँ शुष्क पर्णपाती एवं आर्द्र पर्णपाती प्रकार के वन पाए जाते हैं, जिनमें सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस) मुख्य वृक्ष प्रजाति है। यहाँ का लगभग 55% क्षेत्र सागौन के वृक्षों से ढका हुआ है।