महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने भारतीय बैंक संघ को बैंकिंग सेवाओं में मराठी को शामिल करने के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश का तत्काल अनुपालन करने का आग्रह किया है।
RBI त्रिभाषी फॉर्मूला के बारे में
- क्या है : आर.बी.आई. ने वर्ष 2015 से बैंकों के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूला अनिवार्य किया है जिसके तहत उन्हें अपनी सेवाओं में अंग्रेजी, हिंदी एवं राज्य की क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करने का निर्देश है।
- बोर्ड : बैंक शाखाओं में बोर्ड तीनों भाषाओं में प्रदर्शित किए जाने चाहिए।
- मुद्रित सामग्री : खुदरा ग्राहकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले खाता खोलने के फॉर्म, भुगतान पर्चियाँ, पासबुक एवं अन्य मुद्रित सामग्री त्रिभाषी रूप में उपलब्ध होनी चाहिए।
- चेक : चेक हिंदी एवं अंग्रेजी में मुद्रित होने चाहिए और ग्राहक तीनों में से किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।
- उद्देश्य : क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना कि बैंकिंग सेवाएँ ग्राहकों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुँच सकें।
- अनुपालन : बैंकों को बोर्ड प्रदर्शित करके, खाता खोलने के फॉर्म और पासबुक जैसी मुद्रित सामग्री उपलब्ध कराकर तथा तीनों भाषाओं में लेनदेन करके आर.बी.आई. के निर्देशों का अनुपालन करना आवश्यक है।
- प्रवर्तन : अगर ग्राहकों को लगता है कि किसी बैंक ने आर.बी.आई. के निर्देशों का पालन नहीं किया है तो वे बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
इसे भी जानिए!
कोठारी आयोग (1968)
- भारतीय शिक्षा प्रणाली की समीक्षा के लिए गठित कोठारी आयोग ने शिक्षा के लिए त्रि-भाषा सूत्र की सिफारिश की थी।
- इस सूत्र में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा, हिंदी या अंग्रेजी (यह इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य हिंदी भाषी है या नहीं) और एक तीसरी भाषा का अध्ययन करने का सुझाव दिया गया था।
- यह सूत्र बैंकिंग से संबंधित नहीं है और केवल शिक्षा पर केंद्रित था।
नई शिक्षा नीति (NEP) 2020
- इस नीति में त्रि-भाषा फार्मूला अनिवार्य किया गया है, जिसके अनुसार छात्रों को तीन भाषाएँ सीखने की आवश्यकता है।
- इनमें से दो भाषाएँ मूल भारतीय भाषाएँ होनी चाहिए, जिनमें से एक क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए और तीसरी अंग्रेज़ी होनी चाहिए।
- यह फ़ॉर्मूला राज्यों को विशिष्ट भाषाएँ चुनने में लचीलापन देता है, लेकिन इसके लिए कम से कम दो भाषाओं का मूल भारतीय होना ज़रूरी है।
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