(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
पृष्ठभूमि
हाल के दिनों में, नाटो संगठन के दो सहयोगी देशों तुर्की और ग्रीस (यूनान) के मध्य तनाव अधिक गहरा होता जा रहा है। वर्तमान में विवाद का प्रमुख कारण तुर्की द्वारा प्रसिद्ध हागिया सोफिया इमारत को मस्जिद में बदले जाने के साथ-साथ पूर्वी भू-मध्य सागरीय क्षेत्र में दोनों देशों द्वारा हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण में तेज़ी लाना है। इसके अतिरिक्त, फरवरी माह में तुर्की द्वारा ग्रीस व यूरोपीय संघ के देशों में हजारों सीरियाई प्रवासियों को प्रवेश करने में सहायता प्रदान करना भी एक मुद्दा रहा है।
भू-मध्य सागरीय क्षेत्र में दोनों पड़ोसी देश
- सदियों से, तुर्की और ग्रीस ने विविध प्रकार से इतिहास को साझा किया है। वर्ष 1830 के आस-पास ग्रीस ने आधुनिक तुर्की के पूर्ववर्ती ऑटोमन साम्राज्य से स्वतंत्रता हासिल की थी।
- वर्ष 1923 में दोनों देशों ने अपनी मुस्लिम और ईसाई आबादी का आदान-प्रदान किया था। इतिहास में यह, इन दोनों देशों के मध्य भारत विभाजन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रवसन माना जाता है।
- साइप्रस संघर्ष के दशकों पुराने मुद्दे पर भी दोनों राष्ट्र एक-दूसरे का विरोध करते रहे हैं। दो ऐसे अवसर आ चुके है जब दोनों देश एजियन सागर में अन्वेषण अधिकारों को लेकर लगभग युद्ध की स्थिति में पहुँच गए थे।
- हालाँकि, दोनों देश 30 सदस्यीय नाटो गठबंधन के सदस्य हैं। साथ ही, तुर्की आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ की पूर्ण सदस्यता के लिये भी एक उम्मीदवार है। ध्यातव्य है कि ग्रीस यूरोपीय संघ का पहले से ही एक सदस्य है।
हागिया सोफिया विवाद (The Hagia Sophia Row)
- सदियों पुरानी हागिया सोफिया इमारत का निर्माण मूल रूप से एक कैथेड्रल चर्च के रूप में (530-537 ईस्वी के दौरान) बाइज़ेन्टाइन साम्राज्य (Byzantine Empire) के शासक जस्टीनियन प्रथम के कार्यकाल में शुरू हुआ था।
- 1453 ईस्वी में इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य (सुल्तान मेहमत द्वितीय) द्वारा इस्तांबुल (कांस्टेंटिनोपल) पर कब्ज़े के बाद इस चर्च को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध यह स्थल उस्मान वास्तुशिल्प का विशिष्ट उदाहरण है।
- 1935 ईस्वी में मुस्तफा कमाल अतातुर्क (पाशा) द्वारा धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि के रूप में इसे एक संग्रहालय बना दिया गया। वस्तुतः हागिया सोफिया, आया सोफिया (तुर्की) और सेंट सोफिया (अंग्रेज़ी) नाम से भी प्रसिद्ध है।
- बहुत से यूनानी अभी भी हागिया सोफिया को सम्मान की नज़र से देखते है। यह इमारत परम्परावादी (Orthodox) ईसाईयत के प्रमुख स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। अत: पिछले माह तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा इस ढाँचे को मुस्लिम पूजा स्थल के रूप में खोलने के आदेश के बाद तनाव बढ़ गया।
- तुर्की के इस कदम को ‘कमज़ोरी का प्रमाण’ बताते हुए ग्रीक ने ढाँचे के रूपांतरण को ‘21वीं सदी की सभ्यता का तिरस्कार’ कहा है। अंततः धार्मिक मसलों के कारण दोनों देशों के मध्य एक-दूसरे को इस्लाम और धर्मनिरपेक्षता का विरोधी मानते हुए तनाव बढ़ गया है।
पूर्वी भू-मध्य सागरीय विवाद
- पिछले 40 वर्षों से, तुर्की और ग्रीस पूर्वी भू-मध्य और एजियन सागर के क्षेत्रों पर अधिकार और दावे को लेकर असहमत हैं। ये क्षेत्र तेल और गैस के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं।
- जुलाई के तीसरे सप्ताह में तुर्की ने समुद्र के एक विवादित हिस्से में तेल और गैस की खोज के लिये ड्रिलिंग जहाज (ओरुक रीस- Oruc Reis) भेजने की घोषणा की, जिसके जबाव में ग्रीस द्वारा सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखने के बाद तनाव और बढ़ गया।
- यह ड्रिलिंग सर्वेक्षण तुर्की के दक्षिणी तट के पास ग्रीस के एक द्वीप के निकट जलीय विवादित क्षेत्र में किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण चेतावनी (Navtex) साइप्रस और क्रीट के बीच के क्षेत्र को लेकर है।
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने ग्रीस का समर्थन करते हुए तुर्की को एजियन सागर में उल्लंघन के दंडस्वरूप ‘प्रतिबंधित’ किये जाने की बात कही है।
- हालाँकि, जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल द्वार हस्तक्षेप करने के बाद तुर्की ने कुछ समय पूर्व इस क्षेत्र में ड्रिलिंग ऑपरेशन को रोक दिया है।
ऊर्जा संसाधन
- हाल के वर्षों में, साइप्रस के जलीय क्षेत्र में गैस का विशाल भंडार पाया गया है। इसने साइप्रस सरकार, ग्रीस, इज़रायल और मिस्र को संसाधनों के अधिकतम दोहन हेतु मिलकर काम करने के लिये प्रेरित किया है।
- इस समझौते के तहत, भू-मध्य सागर में लगभग 2,000 किमी. पाइपलाइन के माध्यम से ऊर्जा की आपूर्ति यूरोप को की जाएगी। पूर्वी भू-मध्य सागर में ऊर्जा संसाधन विकसित करने की दौड़ में तुर्की और ग्रीस आमने-सामने हैं।
- तुर्की के नियंत्रिण वाले उत्तरी साइप्रस को केवल तुर्की द्वारा ही एक गणतंत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। पिछले वर्ष, इसी क्षेत्र में तुर्की ने साइप्रस के पश्चिम में ड्रिलिंग के कार्य को आगे बढ़ाया। तुर्की ने तर्क दिया है कि इस द्वीप के प्राकृतिक संसाधनों को साझा किया जाना चाहिये।
- नवम्बर 2019 में, तुर्की और लीबिया के मध्य तुर्की के दक्षिणी तट से लीबिया के उत्तर-पूर्वी तट तक एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (ई.ई.ज़ेड.) के लिये समझौता हुआ है। मिस्र ने इसे अवैध कहा है। साथ ही, ग्रीस ने भी क्रीट द्वीप के सम्बंध में इसका विरोध किया है।
- पूर्वी भू-मध्य सागर में ड्रिल करने के लिये तुर्की पेट्रोलियम को कई लाइसेंस जारी किये गए हैं। इनमें यूनानी द्वीप रोड्स और क्रीट भी शामिल हैं।
कानूनी और जलीय क्षेत्र के मुद्दे
- एजियन और पूर्वी भू-मध्य सागर में ग्रीस के कई द्वीप तुर्की तट के भीतर हैं, इसलिये क्षेत्रीय जल के मुद्दे काफी जटिल हैं और दोनों देश अतीत में युद्ध के कगार पर पहुँच चुके हैं।
- यदि ग्रीस अपने क्षेत्रीय जल की सीमा का विस्तार 6 मील से बढ़ाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अधिकतम 12 मील तक करना चाहता है, तो तुर्की का तर्क है कि उसके समुद्री मार्ग गम्भीर रूप से प्रभावित होंगे।
- क्षेत्रीय जल के अलावा विशेष आर्थिक क्षेत्र (ई.ई.ज़ेड.) से सम्बंधित मुद्दे भी विवाद का विषय रहे हैं।
प्रवासियों के मुद्दे
- इसी वर्ष फ़रवरी-मार्च के महीने में तुर्की ने सीरिया से आने वाले प्रवासियों को यूरोप और ग्रीस में प्रवेश करने के लिये ग्रीस से सटे अपने प्रवेश द्वार खोल दिए थे।
- यह सीरियाई गृह युद्ध में तुर्की द्वारा अधिक समर्थन प्राप्त करने और यूरोपीय संघ को भयादोहन (Blackmail) करने की कोशिश में यूरोप पर दबाव बनाने का एक स्पष्ट प्रयास था। सीरिया, तुर्की के दक्षिण में स्थित है।
तुर्की द्वारा गुप्त योजना
- जून 2020 में, नॉर्डिक रिसर्च मॉनिटरिंग नेटवर्क ने कुछ गुप्त तुर्की दस्तावेज़ों का खुलासा किया है। उसमें से जून 2014 के दिनांक वाले एक दस्तावेज़ में ग्रीस के खिलाफ़ एक ऑपरेशन का उल्लेख किया गया है।
- इस ऑपरेशन का नाम ‘टी.एस.के. (तुर्की सशस्त्र बल) काकाबेय संचालन योजना निर्देश (TSK [Turkey Armed Forces] Cakabey Operation Planning Directive) था।
- इस ऑपरेशन का नामकरण काकाबेय के नाम पर किया गया था। यह वह व्यक्ति है, जिसने एजियन सागर में स्थित द्वीपों के खिलाफ पहली बार तुर्की अभियान का नेतृत्व किया था।
आगे की राह
दोनों देशों के मध्य विभिन्न क्षेत्रीय, जलीय व संसाधनों के दोहन के मुद्दों के साथ-साथ धार्मिक और भू-रणनीतिक मसले विवाद का विषय हैं। बाइज़ेन्टाइन साम्राज्य से लेकर ऑटोमन साम्राज्य तक तथा प्रथम विश्व युद्ध में ग्रीस के भाग लेने जैसे मुद्दे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से वैचारिक मतभेद के विषय रहे हैं। हालाँकि, दोनों देशों के मध्य सहयोग के बिंदु भी है। ग्रीक द्वारा यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिये तुर्की के समर्थन के कारण ग्रीस और तुर्की के बीच आधिकारिक सम्बंधों में सुधार देखा गया था। वर्ष 2016 में, ग्रीस ने इज़राइल, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ तुर्की को भी एक ‘सम्मानीय देश’ का दर्ज़ा प्रदान किया था। प्रत्येक वर्ष चार देशों को ग्रीस द्वारा ‘सम्मानीय देश’ के रूप में चुना जाता है और उस देश के नागरिक ग्रीस में अतिरिक्त लाभ व छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह से सहयोग को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, दोनों देशों के मध्य सहमति के अन्य बिंदुओं को भी खोजने की ज़रूरत है।