(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय घटनाक्रम, भारतीय अर्थव्यवस्था) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
- खनन मंत्रालय ने बैराइट, फेल्सपर, अभ्रक एवं क्वार्ट्ज को लघु खनिजों (Minor Minerals) की सूची से निकालकर प्रमुख खनिजों (Major Minerals) की सूची में पुनर्वर्गीकरण कर दिया है। यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को मंजूरी दिए जाने के बाद लिया गया है।
- इस मिशन में देश के भीतर महत्वपूर्ण खनिजों की खोज एवं खनन की परिकल्पना की गई है, जिसमें अन्य खनिजों की खदानों से इन खनिजों की प्राप्ति, खनन के दौरान निकले अवशेष पदार्थों से इन खनिजों का निष्कर्षण भी शामिल है।
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पुनर्वर्गीकरण के कारण
- क्रिटिकल मिनरल के स्रोत : क्वार्ट्ज, फेल्सपर एवं अभ्रक पेग्माटाइट चट्टानों में पाए जाते हैं, जो बेरिल, लिथियम, नियोबियम, टैंटालम, मोलिब्डेनम, टिन, टाइटेनियम व टंगस्टन आदि जैसे कई महत्वपूर्ण खनिजों के स्रोत हैं।
- इन खनिजों की विभिन्न नई प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा संक्रमण, अंतरिक्ष यान उद्योगों, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र आदि में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- खनिजों की खोज और खनन में वृद्धि : मंत्रालय के अनुसार एक बार प्रमुख खनिजों के रूप में वर्गीकृत होने के बाद इन खनिजों की खोज एवं वैज्ञानिक खनन में वृद्धि होगी।
- औद्योगिक एवं सामरिक महत्व : बैराइट्स का उपयोग तेल ड्रिलिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, विकिरण परिरक्षण में किया जाता है जबकि क्वार्ट्ज, फेल्सपर एवं अभ्रक सिरेमिक, ग्लास व सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- बेहतर विनियमन सुनिश्चित करना : पुनर्वर्गीकरण के बाद इन खनिजों का अवैध निष्कर्षण कम होगा क्योंकि इन खनिजों का खनन ‘खान व खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957’ की धारा 8ए के तहत शासित होगा।
जब क्वार्ट्ज, फेलस्पर एवं अभ्रक को लघु खनिज के रूप में पट्टे पर दिया जाता है तो पट्टाधारक महत्वपूर्ण खनिजों की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्रदान नहीं करते हैं या इससे जुड़े महत्वपूर्ण खनिजों, जैसे- लिथियम, बेरिल आदि का निष्कर्षण नही करते है क्योंकि उनका प्राथमिक उद्देश्य इन खनिजों का निर्माण, कांच/सिरेमिक बनाने आदि के लिए लघु खनिजों के रूप में उपयोग करना होता है। परिणामस्वरूप, इन खनिजों से जुड़े महत्वपूर्ण खनिजों का न तो निष्कर्षण किया जा रहा है और न ही इनके बारे में जानकारी दी जा रही है।
पुनर्वर्गीकृत खनिजों के बारे में
बैराइट (Barytes)
- बेरियम सल्फेट (BaSO4) से बने इस रंगहीन खनिज का उपयोग तेल एवं गैस ड्रिलिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, टीवी स्क्रीन, रबर, कांच, सिरेमिक, पेंट, विकिरण परिरक्षण व चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।
- इसके अलावा इसका उपयोग अस्पतालों, बिजली संयंत्रों एवं प्रयोगशालाओं में एक्स-रे उत्सर्जन को रोकने के लिए उच्च घनत्व वाले कंक्रीट बनाने के लिए किया जाता है।
- बैराइट प्राय: चूना पत्थर एवं डोलोस्टोन में कंक्रीट व शिरा भराव (Vein Filling) के रूप में और एंटीमनी, कोबाल्ट, तांबा, सीसा, मैंगनीज और चांदी के अयस्कों के साथ पाया जाता है।
- लौह अयस्क के साथ बैराइट पॉकेट प्रकार के भंडार में पाया जाता है, जिसका खनन अलग से नहीं किया जा सकता है। इनमें से किसी भी खनिज का खनन करते समय, संबंधित खनिज का उत्पादन अपरिहार्य है।
फेल्सपर (Felspar)
यह चट्टान निर्माणकारी ‘एल्यूमीनियम टेक्टोसिलिकेट’ खनिजों का एक समूह है। इसका उपयोग कांच उद्योग, सिरेमिक उद्योग और पेंट, प्लास्टिक व रबर आदि उद्योगों में किया जाता है। इसका उपयोग पृथ्वी विज्ञान एवं पुरातत्व में पोटैशियम-आर्गन डेटिंग, आर्गन-आर्गन डेटिंग एवं ल्यूमिनेसेंस डेटिंग के लिए किया जाता है।
अभ्रक (Mica)
यह आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में पाया जाने वाला खनिज है। यह रंगरहित या हलके पीले, हरे या काले रंग का होता है। इसका उपयोग कॉस्मेटिक उत्पादों, विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों, ऑटोमोटिव उत्पादों के घटकों, पेंट व दवा उद्योग में किया जाता है। इसका उपयोग रंगहीन पारदर्शक कागज, विभिन्न प्रकार के खिलौने, रंगमंच के परदों आदि की सजावट में भी किया जाता है।
क्वार्ट्ज (Quartz)
- क्वार्ट्ज़ (Quartz) सिलिकॉन ऑक्साइड से बना एक खनिज है जो भू-पर्पटी में पाए जाने वाले सबसे आम खनिजों में से एक है। यह रेत एवं ग्रेनाइट का मुख्य घटक है।
- इसका उपयोग प्रकाश बल्ब, लेंस, अपघर्षक (Abrasive), कांच, कोटिंग्स एवं फ्लोरिंग (फर्श) उत्पादन के लिए तकनीकी क्षेत्र में किया जाता है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का कच्चा माल है और इसका उपयोग सभी प्रकार के डिजिटल उपकरणों, जैसे- बैटरी, प्रोसेसर आदि बनाने के लिए किया जाता है।
प्रमुख खनिज (Major Minerals)
- प्रमुख खनिज : प्रमुख खनिजों की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है। ये ऐसे खनिज होते हैं जिनका आर्थिक मूल्य अधिक होता है तथा जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोगों, ऊर्जा उत्पादन एवं धातु विज्ञान में किया जाता है।
- विनियमन : खान व खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित।
- प्रमुख खनिज :
- धात्विक खनिज : लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइट, सोना, मैंगनीज, जस्ता, सीसा
- ऊर्जा खनिज : कोयला, लिग्नाइट, यूरेनियम
- औद्योगिक खनिज : चूना पत्थर, दुर्लभ पृथ्वी तत्व, ग्रेफाइट, जिप्सम
लघु या गौण खनिज (Minor Minerals)
- गौण खनिज : गौण खनिजों का आर्थिक मूल्य कम होता है और इनका उपयोग मुख्यत: निर्माण, स्थानीय उद्योगों एवं सजावटी उद्देश्यों में किया जाता है।
- विनियमन : खान व खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित
- यह राज्य को पट्टे देने एवं खनन गतिविधियों के विनियमित की शक्ति देता है।
- गौण खनिज :
- निर्माण सामग्री : रेत, बजरी, पत्थर, संगमरमर
- गैर-धात्विक खनिज : डोलोमाइट, मिट्टी आदि
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