चर्चा में क्यों?
हाल ही में, दिल्ली विधानसभा ने दमदमा साहिब को तख़्त के रूप में मान्यता देने के लिये एक संशोधन विधेयक पारित किया है।
नवीनतम संशोधन
- दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1971’ में संशोधन करके तख़्त दमदमा साहिब को सिखों के पाँचवें तख़्त के रूप में मान्यता दी है।
- इस संशोधन के माध्यम से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति में अन्य 4 तख़्त के प्रमुखों के समान ही तख़्त दमदमा साहिब के प्रमुख को 5वें पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
- इससे पूर्व वर्ष 1999 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दमदमा साहिब को 5वें तख़्त के रूप में मान्यता दी थी।
क्या होते हैं तख़्त?
- तख़्त का शाब्दिक अर्थ होता है ‘सिंहासन’, यह सिख धर्म का आध्यात्मिक और लौकिक केंद्र होता है। अकाल तख़्त को ‘सिख राष्ट्रवाद’ का पहला प्रतीक माना जाता है।
- वर्तमान में 5 सिख तख़्त हैं, जिसमें से तीन- अकाल तख़्त, केशगढ़ साहिब तख़्त तथा दमदमा साहिब तख़्त पंजाब में, जबकि हुज़ूर साहिब तख़्त महाराष्ट्र में एवं पटना साहिब तख़्त बिहार में स्थित है।
- अकाल तख़्त (अमृतसर) को सबसे प्राचीन व सर्वोच्च तख़्त माना जाता है। इसकी स्थापना 6वें सिख गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने की थी, जबकि अन्य 4 सिख तख़्त का संबंध गुरुगोबिंद सिंह जी से है।