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म्यांमार सीमा पर मुक्त आवागमन व्यवस्था पर पुनर्विचार 

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, FMR, यांडाबू की संधि, भारत- म्यांमार सीमा
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 3, सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन

संदर्भ-

20 जनवरी, 2024 को गुवाहाटी में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर जल्द ही बाड़ लगाई जाएगी।

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मुख्य बिंदु-

  • दोनों देशों के बीच 1,643 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा है, जो मणिपुर, मिजोरम, असम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश राज्यों से होकर गुजरती है।
  • 1 फरवरी, 2021 को म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से सत्तारूढ़ जुंटा ने कुकी-चिन लोगों के विरुद्ध अभियान शुरू कर दिया है। 
  • केंद्र सरकार के अनुसार, सीमावर्ती निवासियों को बिना किसी कागजी कार्रवाई के एक-दूसरे के देश में जाने से रोका जाएगा 
  • इसके लिए म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) समझौते पर पुनर्विचार किया जाएगा।

पृष्ठभूमि-

  • उत्तर-पूर्वी राज्यों का अधिकांश भाग अस्थायी रूप से बर्मा के कब्जे में था।
  • 1800 के दशक में अंग्रेजों ने इन्हें बर्मा के नियंत्रण से मुक्त करवाया। 
  • वर्ष, 1826 बर्मा और अंग्रेंजों के बीच यांडाबू की संधि हुई. इस संधि के तहत,
    • भारत और बर्मा के बीच वर्तमान सीमा का निर्धारण हुआ।
    • संधि ने समान जातीयता और संस्कृति के लोगों को उनकी सहमति के बिना विभाजित कर दिया।
    • कुछ स्थानों पर तो सीमा एक गाँव या घर को दोनों देशों के बीच विभाजित करती है।
    • इस संधि से मुख्यतः नागालैंड और मणिपुर के नागाओं तथा मणिपुर एवं मिजोरम के कुकी-चिन-मिज़ो समुदाय प्रभावित हुए। 
  • बाद में बर्मा ने अपना नाम बदलकर में म्यांमार कर लिया। 
  • म्यांमार में बढ़ते चीनी प्रभाव को देखते हुए भारत ने एक दशक पहले से ही म्यांमार सरकार के साथ राजनयिक संबंधों को बेहतर बनाने पर काम करना शुरू किया था।
  • अगस्त, 2017 में रोहिंग्या शरणार्थी संकट सामने आया।

 मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) समझौता-

  • भारत सरकार की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत वर्ष, 2018 में FMR सामने आया।
    • यह सीमावर्ती लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के देश के अंदर 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति देता है। 
    • एक सीमावर्ती निवासी को प्रति यात्रा लगभग दो सप्ताह तक दूसरे देश में रहने के लिए एक सीमा पास की आवश्यकता होती है, जो एक वर्ष के लिए वैध होता है। 
    • FMR ने म्यांमार के लोगों को सीमा से लगे भारतीय क्षेत्र में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच देता है। 
    • यह सीमा शुल्क स्टेशनों और निर्दिष्ट बाजारों के माध्यम से स्थानीय सीमा व्यापार को बढ़ावा भी देता है।

प्रवासन –

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  • म्यांमार में गृहयुद्ध के कारण भारत में शरण लेने वाले लोगों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। 
  • सितंबर, 2022 में मणिपुर से अधिकारियों ने लगभग 5,500 म्यांमार नागरिकों में से 4,300 को उनके बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड के आधार पर वापस भेज दिया। 
  • राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति ने वर्ष, 2023 में ऐसे प्रवासियों की संख्या 2,187 बताई है। 
  • गृह युद्ध के कारण लगभग 40,000 म्यामांर के लोगों ने मिज़ोरम में शरण लिया।
  • इन्होंने मणिपुर के विपरीत मिजोरम को अपनी जातीय संबद्धता के कारण अपने निकट पाया। 
  • मिजोरम सरकार इनकी देखभाल के लिए केंद्र से धन की मांग कर रही है, जिन्हें वह अपने देश में स्थिति सामान्य होने के बाद ही वापस भेजना चाहती है।

FMR पर पुनर्विचार की आश्यकता-

  • मणिपुर में 10 किमी के विस्तार के अतिरिक्त पहाड़ियों और जंगलों में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ नहीं लगी है। 
  • सुरक्षा बल दशकों से म्यांमार के चिन और सागांग क्षेत्रों में अपने गुप्त ठिकानों से ‘हिट-एंड-रन ऑपरेशन’ चलाने वाले उग्रवादी समूहों के सदस्यों से लड़ रहे हैं। 
  • FMR लागू होने से पहले भी सीमा पार आवाजाही में आसानी से नशीली दवाओं की आंतरिक तस्करी और वन्यजीवों के शरीर के अंगों की बाहरी तस्करी की जाती थी। 
  • 3 मई, 2023 को मणिपुर में मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच प्रारंभ संघर्ष के कारण FMR पर पुनर्विचार की आवश्यकता पड़ी। 
  • पिछले एक दशक से मणिपुर सरकार म्यांमार के नागरिकों के ज्यादा आगमन के कारण चिंतित है। 
  • कुकी-चिन्स अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए असम जैसे ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ की मांग कर रहे हैं। 
  • इस मांग ने उस समय लोकप्रियता हासिल की, जब म्यांमार के कुछ नागरिकों ने गृह युद्ध से बचने के लिए मणिपुर में शरण ली। 
  • सितंबर 2023 में मणिपुर के मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह ने भारत में म्यांमार के नागरिकों की मुक्त आवाजाही को जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। 
  • मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय से FMR को समाप्त करने का आग्रह किया।
  • FMR को 1 अप्रैल, 2020 को COVID-19 के दौरान लॉकडाउन में निलंबित कर दिया गया था।
  • फरवरी, 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद निलंबन बढ़ा दिया गया था।
  • कूकी-ज़ो संगठनों ने मुख्यमंत्री पर अपने जातीय सफाए को सही ठहराने के लिए समुदाय को अवैध अप्रवासी और नार्को-आतंकवादी के रूप में प्रचारित करने का आरोप लगाया है।

मिज़ोरम और नागालैंड FMR समाप्त करने का विरोध क्यों-

  • मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा केंद्र सरकार के इस कदम के विरोध में हैं।
  • उनके अनुसार, मिजोरम सरकार के पास कथित सुरक्षा खतरे के लिए केंद्र को भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और FMR को खत्म करने से रोकने का अधिकार नहीं है।
  • वर्तमान सीमा को जातीय समूह विभाजित करने के लिए अंग्रेजों द्वारा निर्धारित की गई थी। 
  • मिज़ो लोग सीमा पार चिन लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।
  • नागालैंड सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन प्रभावशाली नागा छात्र संघ ने केंद्र के कदम की निंदा की है। 
  • सीमा पर बाड़ लगाने और FMR को समाप्त करने का निर्णय पश्चगामी है। ससे क्षेत्र में संघर्ष बढ़ जाएगा। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- म्यांमार सीमा पर मुक्त आवागमन व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 

  1. इसे भारत सरकार की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत वर्ष, 2018 में अपनाया गया। 
  2. यह सीमावर्ती लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के देश के अंदर 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति देता है। 

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- म्यांमार के साथ हुए मुक्त आवागमन व्यवस्था समझौते को स्पष्ट करते हुए मूल्यांकन करें कि इसके पुनर्विचार की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?

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