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रिकार्ड उत्पादन बनाम अनाज मुद्रास्फीति

प्रारंभिक परीक्षा - NFSA, PDS, मुद्रास्फीति
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ-

  • चावल और गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार,सितंबर 2022 से दोहरे अंक वाली अनाज मुद्रास्फीति बनी हुई है। निर्यात पर प्रतिबंध और भंडारण सीमा लागू करना भी अनाज की कमी की ओर इशारा करता है।

मुख्य बिंदु-

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित अनाज मुद्रास्फीति सितंबर 2022 से साल-दर-साल दोहरे अंक में बनी हुई है।
  • कुल 1,400 मिलियन से अधिक भारतीयों में से 813.5 मिलियन व्यक्ति ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’ (NFSA) के अंतर्गत आते हैं. उनके लिए हाल तक यह मुद्रास्फीति एक बिंदु से अधिक मायने नहीं रखता था।

कारण- 

  • जनवरी,2023 से पहले सभी NFSA लाभार्थियों को प्रति माह 10 किलो चावल या गेहूं व्यावहारिक रूप से मुफ्त मिलता था।
  •  चूँकि इससे कमोबेश उनकी सारी ज़रूरतें पूरी हो जाती थी,क्योंकि 2011-12 के अंतिम राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण से पता चलता है कि ग्रामीण भारत के लिए प्रति व्यक्ति अनाज की खपत 11.22 किलोग्राम और शहरी भारत के लिए 9.28 किलोग्राम थी। अतः उन्हें खुले बाज़ार से अनाज शायद ही खरीदना पड़ता रहा हो।
  • लेकिन नए कैलेंडर वर्ष से NFSA पात्र व्यक्ति के लिए अप्रैल 2020 से पहले प्रचलित मूल 5 किलोग्राम/व्यक्ति/माह स्तर पर बहाल कर दिया गया।
  • ये वही राशन कार्डधारक हैं, जिन्हें अब खुले बाजार से चावल और गेहूं खरीदना पड़ रहा है तथा उन्हें परेशानी महसूस हो रही है।
  • अतः अनाज मुद्रास्फीति जुलाई 2022 और जुलाई 2023 के बीच 6.9% से लगभग दोगुनी होकर 13% से अधिक हो गई है ।
  • उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, 3 सितंबर को चावल का अखिल भारतीय मॉडल (सबसे अधिक उद्धृत) खुदरा मूल्य 40 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो एक साल पहले 35 रुपये और दो साल पहले 30 रुपये था, अब ये 28 रुपये है। गेहूं के लिए 25 रुपये और 22 रुपये प्रति किलो।

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कोविड से सुरक्षा-

  • 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के तीन पोस्ट-कोविड वित्तीय वर्षों (अप्रैल-मार्च) के दौरान, सरकारी गोदामों से चावल और गेहूं क्रमशः 92.9 मिलियन टन (एमटी), 105.6 मिलियन टन और 92.7 मिलियन टन निकाला गया था। 
  • 2013-14 से NFSA के कार्यान्वयन के बाद पहले सात वर्षों के दौरान 62.5 मिलियन टन और कानून से पहले के सात वर्षों में 48.4 मिलियन टन की औसत निकासी से कहीं अधिक।
  • महामारी के दौरान ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) सबसे प्रभावी सामाजिक सुरक्षा जाल के रूप में उभरी।
  •  लॉकडाउन के बाद बड़े पैमाने पर नौकरी और आय के नुकसान के बावजूद भी गरीबों और कमजोर लोगों के लिए अनाज की कोई कमी नहीं थी।
  • विशेष बात यह है कि इस अवधि के दौरान भी भारत के चावल और गेहूं का निर्यात भी अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जो 2020-21 में 19.8 मिलियन टन, 2021-22 में 28.4 मिलियन टन और 2022-23 में 27 मिलियन टन था।
  •  यह 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 12.9 मिलियन टन, 12.1 मिलियन टन और 9.7 मिलियन टन के मुकाबले बहुत ज्यादा था।
  • दूसरे शब्दों में, यह प्रचुरता का समय था। न केवल मुफ्त देने के लिए पर्याप्त अनाज था, बल्कि देश रिकॉर्ड मात्रा में अनाज भी भेज सकता था।

वर्तमान स्थिति-

  • यदि इसकी तुलना वर्तमान से करें, तो दोहरे अंक वाली अनाज मुद्रास्फीति तार्किक रूप से अनाज की कमी का संकेत देती है।
  • सरकारी गोदामों में चावल और गेहूं का भंडार कम हो रहा है. यह 1 अगस्त को 65.5 मिलियन टन था, जो छह साल के निचले स्तर पर था। 
  • इसी कारण केंद्र ने जनवरी,2023 से NFSA लाभार्थियों को प्रति माह 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज देना बंद कर दिया। 
  • लेकिन केंद्र की कार्रवाई PDS अनाज आवंटन को पुराने 5 किलोग्राम/व्यक्ति/माह पर बहाल करने तक सीमित नहीं है।
  • मई 2022 से इसने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • जून,2023 में स्टॉक सीमा लागू कर दी गई थी, थोक व्यापारियों और बड़े खुदरा विक्रेताओं को किसी भी समय 3,000 टन से अधिक अनाज रखने की अनुमति नहीं थी। 
  • जुलाई,2023 में, सभी सफेद (गैर-उबला हुआ) गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  •  25 अगस्त,2023 को उबले हुए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया गया था।
  •  केवल 1,200 डॉलर प्रति टन से अधिक कीमत वाले बासमती चावल  के निर्यात को ही अनुमति दी गई है।
  • केंद्र की कार्रवाई न केवल सार्वजनिक गोदामों में, बल्कि खुले बाजार में भी अनाज की कमी की ओर इशारा करती है। 
  • निर्यात पर प्रतिबंध और स्टॉकहोल्डिंग सीमा लगाने का उद्देश्य अनिवार्य रूप से अनाज की घरेलू उपलब्धता में सुधार करना और किसी भी "जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी" को रोकना है, जो आम तौर पर कमी से उत्पन्न होती है।

विरोधाभास-

  • लेकिन यहाँ विरोधाभास है,क्योंकि आधिकारिक उत्पादन आँकड़ों के अनुसार अनाज की कोई कमी नहीं है।
  • संलग्न तालिका 2020-21 और 2022-23 (जुलाई-जून से कृषि वर्ष) के बीच भारत के चावल उत्पादन में 11.2 मिलियन टन की वृद्धि दर्शाती है।
  •  मार्च 2022 में गर्मी की लहर और मार्च 2023 में बे-मौसम अधिक बारिश से उपज के नुकसान की रिपोर्ट के बावजूद, गेहूं के उत्पादन में भी कुल मिलाकर 3.2 मिलियन टन की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • बेशक, अनाज की घरेलू उपलब्धता केवल उत्पादन का कार्य नहीं है। जिस हद तक उत्पादित होता है, उसकी खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा भी की जाती है और निर्यात किया जाता है, इससे घरेलू बाजार के लिए उतना ही कम अनाज बचता है।
  • हालाँकि, इस मामले में कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, उच्च उत्पादन खरीद में प्रतिबिंबित नहीं होता है। 
  • सरकारी अनाज खरीद वास्तव में गिर गई है और विशेष रूप से गेहूं के लिए तेजी से। 
  • खरीद और निर्यात को पूरा करने के बाद भी पिछले दो वर्षों में चावल और गेहूं दोनों की घरेलू बाजार में आपूर्ति स्पष्ट रूप से बढ़ गई है।
  • इससे सवाल उठता है कि यदि बाजार में अधिक गेहूं और चावल है, तो क्या इससे कीमत कम नहीं होने चाहिए? यह दोहरे अंक वाली मुद्रास्फीति के साथ कैसे मेल खाता है?
  • एक संभावना यह है कि NFSA लाभार्थी, जिन्हें पहले 5 किलो अतिरिक्त अनाज मिलता था, वे अब बाजार से वही अनाज खरीद रहे हैं, जिससे कीमतें बढ़ रही हैं।
  • लेकिन उन खरीदों की भरपाई कम सरकारी खरीद से की जानी चाहिए। इसके अलावा, अतिरिक्त मुफ्त अनाज आवंटन बंद होने से पहले ही, सितंबर,2022 से अनाज मुद्रास्फीति दोहरे अंक में रही है।
  • चाहे इसे कोई भी देखे, रिकॉर्ड चावल और गेहूं उत्पादन के सरकारी अनुमान के बावजूद निरंतर दोहरे अंक वाली अनाज मुद्रास्फीति का बने रहना एक विसंगति को दिखाता है। 
  • निर्यात प्रतिबंध और व्यापार नियंत्रण के रूप में विभिन्न "आपूर्ति-पक्ष" कार्रवाइयां, प्रणाली में अनाज की प्रचुरता की तुलना में कम आपूर्ति का अधिक संकेत देती हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत किस फसल को आच्छादित नहीं किया गया है?

(a) गेहूं

(b) चावल

(c) मोटे अनाज

(d) तिलहन

उत्तर - (d) 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- महामारी के दौरान ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) सबसे प्रभावी सामाजिक सुरक्षा जाल के रूप में उभरी थी।विवेचना करें।

स्रोत- Indian Express

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