रेड पांडा एक स्तनपायी जानवर है जो ऐलुरुस (Ailurus) वंश का एकमात्र जीवित सदस्य है। यह मुख्य रूप से हिमालय से हेंगडुआन पर्वत शृंखला (चीन) के साथ लगी सीधी रेखा के क्षेत्र में पाया जाता है। इसके वास स्थानों में नेपाल, सिक्किम, भूटान, उत्तरी बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तरी म्यांमार और चीन के सिचुआन और युन्नान प्रांत शामिल हैं।
ब्रह्मपुत्र का महान मोड़ (The Great Bend of the Brahmaputra) पांडा की आबादी को दो भागों में विभाजित करता है: 1. हिमालयन रेड पांडा 2. चीनी रेड पांडा।
वर्तमान स्थिति
IUCN की ‘लाल सूची’ (Red List) में इसे 'संकटापन्न' (Endangered) प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साथ ही, इसे भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत क़ानूनी संरक्षण प्राप्त है।
लाल पांडा आखेट, अवैध शिकार, रैखिक बुनियादी ढांचे और निवास स्थान की क्षति, तस्करी, पालतू पशुओं के व्यापार, जंगली प्रजातियों में भोजन के लिये प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ पशुधन और आंतरिक प्रजनन के कारण चिंताजनक रूप से खतरे की स्थिति में है।
सम्बंधित बिंदु
1990 के दशक में लाल पांडा सिक्किम का राज्य पशु और दार्जिलिंग चाय महोत्सव का शुभंकर बना।
दार्जिलिंग स्थित पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क ने 1990 के दशक में लाल पांडा के संरक्षण हेतु एक प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया।
लाला पांडा भोजन के लिये ज्यादातर बांस पर निर्भर होता है, जो कि बहुत कम ऊर्जा वाला आहार है। यद्यपि यह एक मांसाहारी जीव है, जो बांस के अलावा अन्य पौधों और छोटे जानवरों को भी खाता है। इस प्रकार यह वातावरण में एक प्रकार का संतुलन बनाए रखता है।
हाल ही में, उत्तरी बंगाल में सिंगालिला (Singalila) और नेओरा (Neora) घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इसकी तस्करी चर्चा में रही हैं।
प्रत्येक वर्ष सितम्बर के तीसरे शनिवार को लाल पांडा के संरक्षण हेतु लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय रेड पांडा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस 19 सितम्बर 2020 को मनाया गया। इस दिन की शुरुआत साल 2010 में रेड पांडा नेटवर्क द्वारा की गई थी।