वर्ष 2024 के क्रिसमस के अवसर पर दो रेड पांडा को नीदरलैंड के रोटरडैम चिड़ियाघर से दार्जिलिंग के पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क (PMZP) में लाया गया है और उनका नाम ‘विशाल’ और ‘कोशी’ रखा गया है।
एक दशक बाद किसी विदेशी राज्य से कोई रेड पांडा लाया गया है।
वर्ष 1958 में स्थापित PMZP रेड पांडा के लिए देश के सबसे सफल संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम की मेजबानी करता है।
यहाँ नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम वर्ष 1986 में ग्लोबल कैप्टिव ब्रीडिंग मास्टरप्लान के एक भाग के रूप में शुरू हुआ था।
कार्यक्रम की शुरुआत में, PMZP में जंगली मूल के एक नर और तीन मादा रेड पांडा थे।
रेड पांडा के बारे में
रेड पांडा को लेसर पांडा के नाम से भी जाना जाता है।यह पूर्वी हिमालय और दक्षिण-पश्चिमी चीन का एक छोटा स्तनपायी प्राणी है।
वैज्ञानिक नाम :ऐलुरस फुलगेन्स (Ailurus fulgens)
प्राकृतिक वास : भारत में यहसिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में पाया जाता है।
लाल पांडा सिक्किम का राज्य पशु है।
आबादी : 10,000 से कम (विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार)।
संरक्षण की स्थिति :
IUCN स्थिति [वर्ष 2015 में शामिल] : संकटग्रस्त (EN)
भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I के अंतर्गत सूचीबद्ध।